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माँ अपने जन्मदिन पर अनाथों को खिलाती थी खाना, अब बेटी बेघरों के पेट भरने के लिए मुहिम चला रही है

भोजन हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है। हम जीवन में हर तरह के दिक्कत का सामना कर सकते हैं, परंतु भोजन बिना नहीं रह सकते। रोटी, कपड़ा और मकान में रोटी हमारी प्राथमिकता है। हम अपने सुख सुविधा के बारे में तो हमेशा सोचते हैं, परंतु उन गरीबों के बारे में नहीं सोचते जो बिना भोजन के ही रात गुजारने को मजबुर हैं। लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसे भी व्यक्ति हैं जो इन लोगों का दर्द समझते हैं। आज हम बात करने वाले हैं, चेन्नई की रहने वाली स्नेहा मोहनदोस की।

Sneha Mohandas feeds poorer people

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को दिया सम्मान

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कई महिलाओं को सम्मान दिया। इसके साथ ही पीएम मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर प्रेरणादायक महिलाओं की कहानियां भी शेयर की। इन महिलाओं में स्नेहा मोहनदोस की कहानी भी शामिल है।

स्नेहा मोहनदोस (Sneha Mohandos)

स्नेहा चेन्नई की रहने वाली हैं। इन्होंने साल 2015 में चेन्नई में आए बाढ़ के पहले से शुरू किया गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त में खाना खिलाना। स्नेहा चाहती हैं कि हमारे देश में कोई भी भूखा ना रहे। स्नेहा को यह करने का प्रेरणा अपनी मां से मिली है। वह बताती हैं कि उनकी मां हर साल उनके बर्थडे के दिन आसपास के अनाथालय से बच्चों को घर बुलाती थी और उन्हें खाना खिलाती थी। स्नेहा कहती हैं कि मां की यह आदत इनके लिए प्रेरणा बनी।

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फेसबुक पर फूड बैंक चेन्नई नाम से की पेज की शुरूआत

स्नेहा ने अपने इस अभियान की जानकारी फेसबुक और ट्विटर पर डाली और लोगों को इससे जुड़ने का मौका मिला। स्नेहा ने फेसबुक पर फूड बैंक चेन्नई नाम से एक पेज की शुरूआत की। उस समय स्नेहा 80 जगहों पर लोगों को मुफ्त खाना उपलब्ध करा रही थी। वह ऐसा ही एक सेंटर साउथ अफ्रीका में चला रही हैं ताकि वह बेघर लोगों तक घर का खाना पहुँचा सकें।

स्नेहा उनसे जुड़े लोगों से पैसा नहीं लेती

स्नेहा इस अभियान के लिए उनसे जुड़े लोगों से पैसा नहीं लेती। पैसे की जगह वह लोगों से समान इकट्ठा करती हैं। इनके वॉलंटियर्स खुद खाना बनाते हैं और उसे शहर में अलग-अलग जगह पर जाकर खाना बाटंते हैं। इसके अलावा वह लोगों से उनकी दिक्कत के बारे में भी पूछती हैं, तथा उन दिक्कतों को दूर करने का हर संभव प्रयास भी करती हैं।

The Logically स्नेहा मोहनदोस (Sneha Mohandos) के कार्य की तारीफ करता है और उमीद करता है कि वह भविष्य में भी ऐसा कार्य करती रहें।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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