आप सभी ने कई प्रकार के वाद्ययंत्र (Musical Instruments) जैसे, गिटार, हारमोनियम और बांसुरी आदि देखे होंगे, लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि अनुपयोगी सामानों अथवा कबाड़ से भी म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट बनाया जा सकता है। इतना ही नहीं कबाड़ से बने इंस्ट्रुमेंट से भी वैसी ही संगीत की मधुर धुन सुनाई देती है, जैसे अन्य वाद्ययंत्रों से सुनते हैं। आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे संभव है तो बता दें कि एक शख्स ने यह कमाल कर दिखाया है।
कौन है वह व्यक्ति?
जी हाँ, कोलकाता (Kolkata) के हुगली जिले के रहनेवाले सोमनाथ बंधोपाध्याय (Somnath Bandyopadhyay) पिछले 7 वर्षों से कबाड़ से म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनाते आ रहे हैं। इन वाद्ययंत्रों से भी हुबहू वैसी ही संगीत की सुर सुनाई देती है जैसे बाकी के यंत्रों से धुन बजती हैं। वर्ष 2015 से कबाड़ से म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट बनाने वाले सोमनाथ के पिता का नाम नीरद वरन बन्धोपाध्याय है, जो बहुत बड़े वादक थे तथा वे भी घर के अनुपयोगी सामानों से ऐसे इंस्ट्रुमेंट बनाने का काम करते थे। इसके अलावा वे उन इंस्ट्रुमेंट को बजाते भी थे।
सोमनाथ बताते हैं कि, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु (First Prime Minister Of India Pandit Jawahar Lal Neharu) के सामने भी उनके पिता अपनी कला को प्रस्तूत कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने अनेकों प्रोग्राम में पंडित रविशंकर जो एक मशहूर सितार वादक और संगीतज्ञ थे, के साथ भी काम कर चुके हैं। सोमनाथ के पिता नीरद के बारें में यह कहा जाता है कि, जाइलोफोन का भारतीय एडिशन बनाने की चाह रखने वाले वे पहले व्यक्ति थे। इसके अलावा उन्होंने इस चाहत को पूरा करने के लिए लकड़ी से जाइलोफोन बनाया जो सफल रहा।
कैसे आया कबाड़ से वाद्ययंत्र बनाने का ख्याल?
वर्ष 2015 की एक बात याद करते हुए सोमनाथ कहते हैं कि, जब उनके घर मे काम चल रहा था तो कबाड़ के तौर पर टाइल्स के सैकड़ों टुकड़े निकले। तभी एक टाइल्स के नीचे गिरने से उत्पन्न आवाज आई, उस क्षण के बाद उन्हें अपने पिता की याद आई जो बेकार पड़े सामानों से म्युजिकल इंस्ट्रुमेंट बनाते थे। उसके बाद उनके मन में भी ऐसा करने का विचार पनपा। Somnath Bandyopadhyay makes musical instruments out of scrap.
पिता की मौत के बाद बिगड़ी घर की स्थिति
वह आगे कहते हैं कि, वर्ष 1985 में जब पिता का देहांत हो गया तो उसके बाद घर की स्थिति पहले जैसी नहीं रहकर काफी बिगड़ गई। ऐसे में वे कोलकाता के एक निजी कम्पनी में नौकरी करने लगे। आमतौर पर हमारे समाज में कहा जाता है कि सही उम्र में लड़का-लड़की की शादी कर देना अच्छा होता है। लेकिन सोमनाथ का विवाह वर्ष 2007 में 40 वर्ष की आयु में हुआ, उनकी पत्नी सरकारी शिक्षक हैं।
अभी तक बना चुके हैं कई म्युजिकल इंस्ट्रुमेंट
सोमनाथ की पत्नी ने भी उन्हें पिता की तरह ही कबाड़ से वाद्ययंत्र बनाने के लिए प्रोत्साहित किया था। चूंकि इस काम के लिए कबाड़ की जरुरत थी, ऐसे में उन्होंने इसके लिए कबाड़ को इकट्ठा करना शुरु किया। बता दें कि, उन्होंने अभी तक बेकाड़ पड़े सामानों का इस्तेमाल करके कई प्रकार के इंस्ट्रुमेंट (Musical Instruments) निर्माण कर चुके हैं। उदाहरण के लिए, बोतल तरंग, कांच तरंग, तबला तरंग, बांस तरंग, टेराकोटा तरंग और टाइल्स तरंग आदि। हालांकि, इन सभी इंस्ट्रुमेंट का नामकरण वे स्वयं ही करते हैं।
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बोतल तरंग
इस तरंग को बनाने के लिए वे अपने किचन में प्रयोग होनेवाली शीशे के सॉस की बोतलों का इस्तेमाल करते हैं। वे इन बोतलों को उनके आकार के अनुसार पानी भरकर बोतल तरंग तैयार करते हैं। इस प्रक्रिया में वह खास ध्यान रखते हैं कि किस बोतल को कहां और कैसे लटकाना है। Somnath Bandyopadhyay makes musical instruments out of scrap.
टाइल्स तरंग
नाम से ही जाहिर हो रहा कि इस तरंग को बेकाड़ पड़े टाइल्स का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। इस तरंग को तैयार करने के लिए वे टाइल्स की मोटाई का विशेष ध्यान रखते हैं कि किस टाइल्स का शेप कैसा होगा और कौन-से टुकड़ें को कहां रखा जाएगा। उसके बाद उन्होंने इन सभी टाइल्स के टुकड़ो को एक विशेष शेप में रखकर बजाना शुरु किया। फिर क्या उससे मंत्रमुग्ध कर देनेवाली धुन आने लगी।
टेराकोटा तरंग
यदि आप ग्रामीण इलाके से होंगें तो आपको यह जानकारी होगी कि पहले के जमाने में घरों की छत का निर्माण ईंट से नहीं बल्कि खपरैल से होता था, जो अब धीरे-धीरे लगभग गायब हो गया है। टेराकोटा इंस्ट्रुमेंट के निर्माण में सोमनाथ इन्हीं खपरैल का प्रयोग करते हैं। वह बताते हैं कि धुन के अनुसार खपरैल के टुकड़ें को रगड़कर पतला करते हैं ताकि सुर का तालमेल सही से बैठे।
शीशा तरंग
आमतौर पर सभी कांच को फेंकने में भलाई समझते हैं, लेकिन सोमनाथ कहते हैं कि कांच के टुकड़े से भी बेहद मनमोहक आवाजें निकलती है। शीशा तरंग को बनाने के लिए पहले वे कांच के टुकड़े पर एक्सपेरिमेंट करते हैं कि उसकी मोटाई कितनी होनी चाहिए और उसे किस स्थान पर रखना उचित होगा। तब जाकर कांच से इंस्ट्रुमेंट बनाते हैं।
बांस तरंग
वे बांस का इस्तेमाल करके भी म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट बनाते हैं। इसके लिए सबसे पहले वे बांस को 3 से 4 भाग में चीरकर छोटे-छोटे टुकड़ो में बांटा जाता है, उसके बाद उससे बांस तरंग का निर्माण करते हैं।Somnath Bandyopadhyay makes musical instruments out of scrap.
नारियल के खोल से बनाए सजावटी सामान
कोरोना के लॉकडाउन में कईयों के पास काम नहीं था, ऐसे में अनेकों लोगों ने उसका सदुपयोग तरह-तरह के कामों को करने के लिए किया। सोमनाथ भी कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास कोई काम नहीं था, ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों न नारियल के खोल का इस्तेमाल सजावट के सामान के रुप में किया जाएं। इसी सोच के साथ वह आगे बढ़ें और नारियल के खोल का इस्तेमाल करके तबला, वीणा जैसे यंत्रों का निर्माण सजावट के तौर पर किया। इन यंत्रों का इस्तेमाल घर में सजावट के लिए किया जा सकता है।
इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड 2022 में दर्ज हुआ नाम
सोमनाथ (Somnath Bandyopadhyay) द्वारा कबाड़ से बनाए गए म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट की डिमांड बंगाल समेत अन्य कई राज्यों में भी है। वहीं आजकल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का जमाना है, लगभग हर काम ऑनलाइन हो रहा है। ऐसे में सोमनाथ भी अपने इंस्ट्रुमेंट को ऑनलाइन माध्यम के जरिए ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका तक बेच चुके हैं। लेकिन वे इस काम को बतौर पैशन के लिए करते हैं। इसके अलावा उन्हें कबाड़ से म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट (Musical Instruments) बनाने के लिए खिताब भी मिल चुका है। साथ ही उन्होंने अपना नाम इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड 2022 में भी दर्ज करा लिया हैं।