हर माता-पिता की ख्वाहिश रहती है कि उनका बच्चा बड़े स्कूलों में पढ़े, ताकि वह सफल इंसान बन सके। ये कोई नहीं चाहता कि उसका बच्चा किसी कान्वेंट स्कूल को छोड़कर गर्वमेंट स्कूल में जाए। – son of IAS officer Swati and Nitin Bhadauria gets admission in aanganwadi
आज हम आपको एक ऐसे माता-पिता की कहानी बताएंगे जो आईएएस (IAS) ऑफिसर हैं, फिर भी उन्होंने अपने बेटे का एडमिशन किसी प्राइवेट स्कूल नहीं बल्कि आंगनबाड़ी में कराया है। वे पैरेंट्स स्वाति और नितिन भदौरिया (Swati & Nitin Bhadauria) है।
बचपन का सपना था आईएएस ऑफिस बनना
स्वाति ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संपन्न करने के बाद आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद यूपीएससी की तैयारी में लग गई। उनका बचपन से ही यह सपना था कि वे आईएएस ऑफिसर बने, परंतु वे नहीं जानती थी कि इस मुकाम को हासिल करने के लिए विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
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पहले प्रयास में हुई असफल
बहुत मेहनत करने के बावजूद भी वे अपने पहले कोशिश में असफल हुई, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। दुख की बात यह थी कि वे सिर्फ एक नंबर के कारण ही पहले प्रयास में असफल हुईं थी।
पति-पत्नी उत्तराखंड में दे रहे हैं सेवाएं
वर्ष 2012 में उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में 74 रैंक हासिल कर अपने सपने को साकार किया। उन्हें ट्रेनिंग के दौरान छत्तीसगढ़ कैडर अलॉट हुआ। वे सरायपाली और डोंगरगांव की एसडीएम के तौर पर कार्य कर चुकी हैं।
शादी के बाद गईं उत्तराखंड
इसके उपरांत उनकी शादी वर्ष 2011 बैच के आईएएस अधिकारी नितिन के साथ हो गई जो उत्तराखंड बैच के आईएएस अधिकारी हैं। शादी के उपरांत अब वे दोनों उत्तराखंड चले गए और यहां सेवाएं देने लगे।
सारे लोग हो गए आश्चर्यचकित
स्वाति का मूल प्रान्त गोरखपुर है। उत्तराखंड जाने के बाद जब वे अपने बेटे का एडमिशन कराने के लिए आंगनबाड़ी गई तो उन्हें देखकर सब आश्चर्यचकित रह गए। जब वे अपने बेटे का एडमिशन कराने के लिए गईं, उस दौरान वे चमोली जिला की अधिकारी थी। – son of IAS officer Swati and Nitin Bhadauria gets admission in aanganwadi