हम प्रतिदिन कई तरह के मसालों का सेवन करते हैं, जिनमें एक है कली मिर्च। काली मिर्च को किंग्स ऑफ स्पाइस भी कहा जाता है। इसके अनेकों फायदे हैं। इसके उपयोग से भोजन का स्वाद तो बढ़ता ही है, साथ ही इसके कई आयुर्वेदिक फायदे भी है। इसमें अनेकों प्रकार की वैक्टिरिया, कीटाणु आदि को मारने का क्षमता होता है। अनेकों प्रकार की दवाओं को भी बनाने में कली मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है।
हम प्रतिदिन कई तरह के मसालों का सेवन करते हैं, जिनमें एक है कली मिर्च। काली मिर्च को किंग्स ऑफ स्पाइस भी कहा जाता है। इसके अनेकों फायदे हैं। इसके उपयोग से भोजन का स्वाद तो बढ़ता ही है, साथ ही इसके कई आयुर्वेदिक फायदे भी है। इसमें अनेकों प्रकार की वैक्टिरिया, कीटाणु आदि को मारने का क्षमता होता है। अनेकों प्रकार की दवाओं को भी बनाने में कली मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है।
काली मिर्च की खेती ज्यादातर दक्षिण भारत में ही होती है, लेकिन अब वही कृषि के तरफ लोगों के बढ़ते रुझान से मिट्टी को भी बदलने की ताकत समाहित होते जा रही है। छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव के किसान भी अब कली मिर्च की खेती कर रहे है और उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है।
काली मिर्च की खेती ज्यादातर दक्षिण भारत में ही होती है, लेकिन अब वही कृषि के तरफ लोगों के बढ़ते रुझान से मिट्टी को भी बदलने की ताकत समाहित होते जा रही है। छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव के किसान भी अब कली मिर्च की खेती कर रहे है और उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है।
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छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव के चिकिलपुट्टी गांव में कली मिर्च की खेती की जा रही है। डा. राजाराम त्रिपाठी द्वारा निर्मित “मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म” में जैविक तरीके से औषधीय पौधों की खेती की जा रही है। मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म के अनुराग त्रिपाठी का कहना है कि यदि दक्षिण भारत में कली मिर्च की खेती हो सकती है तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं और अपने फार्म में कली मिर्च की खेती करने लगे। अच्छी फसल लगने से उन्हें अच्छा मुनाफा भी हुआ। अन्य देशों जैसे बर्निया, मलय, लंका, इंडोनेशिया और श्याम जैसे देशों में भी काली मिर्च की खेती की जाती है। वहीं भारत में केरल में भी इसकी अच्छी खेती होती है।
मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म में एक एकड़ जमीन में ऑस्ट्रेलियन टीक का 700 पौधे लगाए है। इसका उपयोग इमारती लकड़ियों के रूप में किया जाता है। इसी के साथ वहां कली मिर्च का पौधा भी लगाए है। काली मिर्च के पौधे की पत्तियां आयताकार होती है, जिसकी लंबाई 12-18 cm और चौड़ाई 5-10 cm की होती है। इसकी जड़ उथली हुई होती है और 2 मीटर की गहराई तक जाती है। इसके पौधे पर सफेद रंग के फूल निकलते है।
काली मिर्च की खेती के एक विशेष फायदे हैं। इसमें अलग से खाद की आश्यकता नहीं पड़ती है। पेड़ से गिरने वाली पत्तियों से ही ऑर्गेनिक खाद बनाया जाता है। साथ ही इसके लिए कोई अलग से खाली जमीन की जरूरत नहीं पड़ती है। कई सारें खुरदरी सतह वाले पेड़ (जैसे – आम, कटहल और अन्य जंगली पौधे) के साथ ही हम कली मिर्च की खेती कर सकते है।
अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए नम्बर पर अनुराग त्रिपाठी जी से संपर्क कर सकते है –
9406358025, 7000719042