यह आवश्यक नहीं है कि किसी कार्य को करने के लिए ऊंचे औहदे की ज़रूरत होती है। बहुत से व्यक्ति छोटी शुरुआत द्वारा भी सफलता हासिल करके सभी के लिए उदाहरण बन रहे हैं।
आज हम आपको एक ऐसे व्यवसायियों की कहानी बताएंगे, जिन्होंने हाथी के लीद (Dung) से कारोबार की शुरुआत की थी, मगर आज करोड़ों की कमाई कर रहे हैं।
कचरे से आया बिजनेस का आइडिया
वर्ष 2003 में विजेंद्र शेखावत (Vijendra Shekhavat) और महिमा मेहरा (Mahima Mehra) दोनों राजस्थान (Rajasthan) के आमेर का किला भ्रमण करने के लिए गए थे। वहां उन्हें कुछ ऐसा दिखाई दिया, जिससे उन्हें बिजनेस (Startup) का आइडिया आया। उन्होंने देखा कि किले के निचले भाग में हाथी की लीद (Dung) पड़ी थी। उन्होंने इंटरनेट पर रिसर्च करना शुरू कर दिया कि किस प्रकार हाथी के लीद (Dung) द्वारा पेपर का निर्माण होता है? उन्हें सारी जानकारी मिल गई कि श्रीलंका, थाईलैंड और मलेशिया में हाथी के लीद से पेपर का निर्माण किया जाता है। उन्होंने इसे स्वयं करने के बारे में निश्चय किया और इस कार्य में लग गए। (Startup with elephant dung)
लोन लेकर किया शुरुआत
उन्होंने लगभग 15 हज़ार की राशि लोन ली और हाथी की लीद का उपयोग कच्चे माल के तौर पर करके अपना व्यापार शुरू (Startup) किया। वर्ष 2007 में उन्होंने हाथी-छाप ब्रांड को देश में लॉन्च कर दिया। हाथी के लीद से फोटो एल्बम, बैग्स, नोटबुक गिफ्ट टैग, फ्रेम्स, टी कोस्टर और स्टेशनरी आदि निर्मित किए जाते हैं। हमारे देश में इसका निम्नतम मूल्य मात्र 10 रुपये और अधिकतम मूल्य 500 रुपये है।
(Startup with elephant dung)
यह भी पढ़ें :- कोलकाता में कचरे और टायर से तैयार हो रहा है भारत का पहला ‘टायर पार्क’
लीद को सुखाकर बनाया जाता है पेपर
महिमा का यह व्यवसाय चल पड़ा। उन्होंने अपने पेपर का निर्यात विदेशों में प्रारंभ कर दिया। अब जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम में भी उनके पेपर का निर्यात प्रारंभ हो गया है। जानकारी के अनुसार पेपर निर्माण के लिए सबसे पहले लीद को क्लीन करने के लिए उसे बड़े वाटर टैंक में रखा जाता है, जब वह पूरी तरह साफ हो जाए तब पेपर का निर्माण होता है। वही लीद को धोने के दौरान जो पानी निकलता है, उसका उपयोग भी उर्वरक के लिए किया जाता है। (Startup with elephant dung)
पसंद है इको-फ्रेंडली जीवन
जानकारी के अनुसार महिमा की ख्वाहिश थी कि वह इको-फ्रेंडली जीवन जी सकें इसलिए उन्होंने हाथी के लीद द्वारा अपना व्यवसाय शुरू किया। ग्रामवासियों के साथ मिलकर उन्होंने एक छोटी टीम का निर्माण किया, जिसमें हाथी के लीद (Dung) को प्रोसेस कर पेपर का निर्माण किया जाता है। गौरतलब है कि हाथी का पाचन तंत्र अधिक खराब होने के कारण पाचन की क्रिया सही तरीके से नहीं होती है इसलिए लीद में अधिक मात्रा में रेशे पाए जाते हैं, जिस कारण अच्छी मात्रा में पेपर का निर्माण होता है। (Startup with elephant dung)
जिस तरह महिमा और विजेंद्र ने कचरे से पेपर का निर्माण किया। साथ ही रसायन मुक्त कार्य (Startup) के साथ इको-फ्रेंडली कार्य किया, वह सराहनीय है। The Logically दोनों दोस्तों की तारीफ़ करता है।