हाँ मैं कोरोना पॉजिटिव हूँ और इस बीमारी से लड़ भी रहा हूँ । मुझे लगता है कि इस बीमारी से हर इंसान लड़ सकता है और जीत भी सकता है । हमारे अंदर की इक्षाशक्ति ही इसपे फ़तह का मुख्य आधार है -शिव शंकर महतो
गौरतलब है कि शिव , बिहार के निवासी हैं और अपने परिवार के साथ अभी दिल्ली में रहते हैं। समाजिक कार्यों में रुचि के कारण शिव ने अपना ग्रेजुएशन का विषय समाजिक अध्ययन के स्वरूप रखा जिसके कारण इन्हें लोगों से मिलना और उनके जीवन शैली से जुड़ने का मौका मिलता है।
कैसे हुए कोरोना पॉजिटिव
MHA के अंतर्गत आनेवाली वालंटियर्स इकाई , सिविल डिफेंस में शिव कार्यरत हैं और
अपने कार्य के स्वरूप शिव शंकर को दिल्ली सरकार के निर्देश पर कुछ दिनों से कोरोना पीड़ित लोगों की सेवा में तैनात किया गया था ।
कोरोना मरीजों को अनेक तरीकों से मदद पहुंचाना और उनकी देखभाल करना , शिव का दिनचर्चा था। कुछ दिन पहले इन्होंने ख़ुद की जांच करवाई जो कोरोना पॉजिटिव आई । शिव के अनुसार , जांच के पहले भी इन्हें कोई सिम्पटम नही दिखा फिर भी इन्होंने जांच कराना उचित समझा जिससे दूसरों को संक्रमित होने से बचाया जा सके ।
सरकार के रवैये से निराशा
चूंकि सिविल डिफेंस , मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के अंतर्गत आती है , जिसमें सामाजिक कार्य से जुड़े लोगों को वालंटियर के रूप में रखा जाता है , और आपदा के समय इन्हें अलग अलग जगहों पर सेवा कार्य मे लगाया जाता है। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद , सिविल डिफेंस नव शिव को बदहाल स्थिति में छोड़ दिया और इनके पास अभी तक किसी भी प्रकार की मदद नही पहुंचाई गई है। आपदा के समय देश के लिए कार्य करनेवाले युवाओं के लिए सरकार का ऐसा व्यवहार निंदनीय है।
अभी क्या कर रहे हैं।
डॉक्टर की सलाह के बाद शिव क्वारंटाइन का नियम पालन करते हुए अपने घर पर ही राह रहे हैं और मेडिकल टीम की सलाह पर अपना ख्याल रख रहे हैं। Logically से बातचीत के दौरान शिव ने बताया कि , उन्हें सांस लेने में कभी कभी तकलीफ हो रही है , लेकिन यह पीड़ा असहनीय बिल्कुल नही है। डॉक्टर की तरफ से इन्हें किसी भी तरह का कोई दवा नही दिया गया है , जबकि इन्हें सलाह दिया गया है कि गुनगुना पानी का सेवन करते रहें । इनके खुद के अनुभव के अनुसार हम बीमारी से अधिक डर के कारण परेशान हैं , जो जानलेवा भी हो सकता है।
समाजिक भेदभाव
कोरोना पॉजिटिव होने के बाद शिव अपने घर आये तब कुछ लोगों ने उनपर टिप्पणी करना शुरू कर दिया जो कहीं न कही मनोबल कम करने वाला था । लेकिन चूंकि शिव शंकर समाजिक कार्यों में खुद को संलग्न रखते हैं , तो इन्हें दोस्तों का सहारा मिला और अभी नियमित तौर पर अपने दोस्तों से बात करते रहते हैं जिससे खुद को प्रेरित रखा जा सके।
क्या है जरूरी ?
अपने अनुभव के तर्ज पर शिव ने बताया कि अगर किसी कोरोना संक्रमित मरीज़ को हम नकारात्मक भाव से निकालने में सक्षम हो जाते हैं तो उसके ठीक होने की संभावना प्रबल हो जाती है । अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते हुए हमे उनलोगों से वक्त निकालकर बात करते रहना चाहिए और उन्हें प्रेरित करने की कोशिश करनी चाहिए । अगर हम अंदर से मजबूत रहेंगे तो खुद ही कोरोना से लड़ सकते हैं ।
शिव शंकर , के जज्बे को Logically नमन करता है और इनके स्वस्थ जीवन की कामना करता है।