कहते हैं न, अगर हौसलें बुलंद हो तो किसी भी मुसीबत का सामना किया जा सकता है। जी हां, चेन्नई (Chennai) के पल्लवरम के रहने वाले आसिफ अहमद (Asif Ahmed) को घर की आर्थिक हालात सही नहीं होने के कारण मजबूरन अपनी पढाई छोड़नी पड़ी लेकिन उन्होंने अपने हौसलें को मजबूत रखकर चार हज़ार रूपये की जुगाड़ करकर ठेले पर बिरयानी बेचने का कारोबार शुरू कर दिया और आज उनका सालाना टर्नओवर 40 करोड़ के पार है।
पिता हुए नौकरी से सस्पेंड, जिसके बाद बिगड़ी घर की स्थिति
आसिफ (Asif Ahmed) के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और उन्हें नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया, जिसके बाद इनके घर की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ने लगी। अंततः आसिफ को परिवार की स्थिति सुधारने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ने पड़ी और 12 साल की कम उम्र में हीं काम करना शुरू करना पड़ा।
कई कारोबार में आजमाया अपना हाथ
महज 12 साल के उम्र से हीं आसिफ (Asif Ahmed) न्यूज़ पेपर की डिलीवरी और पुराने किताब बेचकर पैसे कमाते थे। उन्होंने ज्यावा पैसा कमाने के लिए कई कारोबार भी किया। यहां तक कि महज 14 साल की उम्र में हीं ज्यादा पैसा कमाने के लिए उन्होंने चमड़े के जूते का एक कारोबार शुरू दिया। इस कारोबार में शुरुआती दौर में उन्हे सफलता मिली लेकिन उन्होंने इसमें एक लाख तक की कमाई किया। फिर कुछ ही दिनों के बाद चमड़ा उद्योग मंडी के दौर में चला गया जिस कारण आसिफ का कारोबार भी बंद हो गया।
अपने शौक को दिया कारोबार का रूप
आसिफ को बचपन से हीं खाना पकाने बहुत शौक था और इसी शौक को उन्होंने आगे चलकर कारोबार का रूप दे दिया। इसके लिए वे एक बिरयानी विशेषज्ञ के यहाँ सहायक के रूप में शामिल हुए और वे विशेषज्ञ शादियों और अन्य स्थानीय कार्यक्रमों में काम किया करते थे। लेकिन अब उन्होंने उस नौकरी को छोड़ खुद बिरयानी का ठेला लगाना शुरू कर दिया।
घुस में पैसा देना बड़ा महंगा
आसिफ ने बताया कि, उन्हे हमेशा से एक अच्छी नौकरी की तलाश थी और नौकरी प्राप्ति के लिए उन्होंने एक एजेंट को 35 हज़ार रुपये दिया ताकि वे उनका नौकरी लगा दे। उस एजेंट के कहने पर वे मुम्बई में नौकरी करने के लिए पहुंचे लेकिन इनके मुम्बई पहुंचते हीं वह एजेंट पैसे लेकर भाग गया और उन्हें वापस चेन्नई लौटना पड़ा।
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अपनी बैंक सेविंग्स के पैसों से लगाया खुद का बिरयानी का ठेला
आसिफ ने नौकरी नहीं लगने पर फिर से चैन्नेई वापस लौटने का फैसला किया और 4000 रुपये की अपनी बैंक सेविंग्स से खुद का बिरयानी का एक ठेला लगाए। इसके बाद रोजाना वे घर से बिरयानी बनाकरबाज़ार में बेचने जाया करते थे। उनके द्वारा बनाए बिरयानी के टेस्ट लोगों ने खूब पसंद किया और महज तीन महीने में हीं उनकी बिक्री तीन महीने के भीतर ही प्रतिदिन 10 से 15 किलो के पार हो गया।
किराए पर लिया छोटा सा दुकान
साल 2002 में उन्होंने अच्छी कमाई होने के बाद एक छोटा का दुकान किराये पर लिया और उस दुकान का नाम “आसिफ बिरयानी” दे दिया। अब उन्होंने तीन साल बाद 1500 वर्ग फुट क्षेत्र में एक बड़ा आउटलेट खोला, जहां उन्होंने 30 लोगों को काम पर रखा है।
बैंक लोन से लोन लेकर खोला आठ रेस्टोरेंट
आसिफ (Asif Ahmed) ने 8 रेस्टोरेंट बैंक लोन की मदद से खोला और इसी के वजह से इनके परिवार में मतभेद शुरू हो गया। बाद में उन्होंने दो रेस्टोरेंट अपनी माँ और दो अपने भाइयों के नाम कर दिया। आज के समय ने “आसिफ बिरयानी प्राइवेट लिमिटेड” का टर्नओवर 40 करोड़ के पार हो चुका है।