कुछ अभिनेता ऐसे होते हैं जो फिल्म में तो लाजवाब अभिनय करते ही हैं साथ हीं व्यक्तिगत जीवन में भी बहुत अच्छे होते हैं। जिनका ध्यान फिल्म के साथ-साथ सामाजिक भाईचारे एवं न्याय की आवाज के साथ भी बना रहता है। तो आज हम बात करने जा रहे हैं बॉलीवुड के एक बड़े अभिनेता अनुपम खेर के बारे में। दरअसल मुख्य तौर पर हीरो और विलेन किसी फिल्म के दो किरदार होते हैं, जिन्हें लोग हमेशा याद रखते हैं, पर छोटे अभिनेताओं को अक्सर लोग उस तरह से याद नहीं रखते जिस तरह मुख्य किरदार का रखते हैं।
अनुपम खेर वो नाम है जिन्होंने फिल्मों में अपने अभिनय से लोगों के दिल में जगह बनाने में सफल रहे। अनुपम खेर को बहुत सी फिल्मों में देखा गया है और पसंद भी किया गया है। उनके किरदार हमेशा ही अलग और यूनिक होते हैं। अनुपम खेर को एक आलराउंडर अभिनेता कहा ज सकता है, उन्होंने हर तरह के किरदार निभाए हैं और हर किरदार को बखूबी निभाया है। जिस तरह बड़े-बड़े अभिनेताओं को याद किया जाता है, अनुपम खेर को भी उन्ही की तरह दर्जा दिया गया है। उन्हें ना सिर्फ एक अभिनेता के रूप में जाना जाता है बल्कि उन्हें निर्माता, निर्देशक और शिक्षक के रूप में भी जाना जाता है। तो आईए उनकी जिंदगी पर थोड़ी रोशनी डालते हैं और देखते हैं उनके अपने शानदार सफर के कुछ हसीन पल।
अनुपम खेर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला, हिमाचल प्रदेश में हुआ। उनका जन्म एक कश्मीरी पंडित के घर हुआ था। उनके पिता स्व. पुष्कर नाथ खेर है जो पेशे से एक फारेस्ट अफसर थे। उनकी माता का नाम दुलारी खेर है तथा उनका एक छोटा भाई है जिनका नाम राजू खेर है, वो भी फिल्मों में अभिनय का काम करते हैं। अनुपम जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई डी.ए. वी पब्लिक स्कूल शिमला हिमाचल प्रदेश में की और आगे की पढ़ाई पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ भारत में की। उनकी स्कूल के समय से ही एक्टिंग में बहुत रुचि थी इसलिए उन्होंने नई दिल्ली के ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ से डिग्री प्राप्त की। वे थिएटर ड्रामा से ग्रेजुएट हैं।
अनुपम खेर का विवाह साल 1970 में अभिनेत्री मधुमालती कपूर से हुआ था। यह उनकी अरेंज्ड मेर्रिज थी, पर कुछ सालों बाद ही उन्हें एहसास हुआ कि वो अपनी कॉलेज की साथी और मशहूर अभिनेत्री किरण खेर से आकर्षित हैं और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया किरण खेर की भी एक शादी हो चुकी थी, जिससे उन्हें एक बच्चा है जिसका नाम है सिकन्दर खेर है अनुपम खेर ने उन्हें अपना नाम दिया है। उन्होंने कभी सिकंदर को कभी सौतेला होने का एहसास नहीं होने दिया, वह अपने बच्चे को बहुत प्यार करते हैं। अनुपम खेर, किरण के साथ अपना खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। और अब उनका बेटा भी फिल्मों में आने के लिए संघर्ष कर रहा है।
पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुपम जी नई दिल्ली में ही एक शिक्षक की नौकरी करने लगे, पर मुम्बई शहर की चकाचौंध सभी का मन मोह लेती है। यही अनुपम के साथ भी हुआ और उन्होंने मुम्बई जाने का फैसला किया। मुंबई आकर उन्होंने बहुत संघर्ष किया, तब जाकर उन्हें अपने फ़िल्मी करियर की पहली फ़िल्म मिली जिसका नाम था ‘आगमन’. यही वह फिल्म थी जिससे अनुपम खेर ने हिंदी फिल्म जगत में अपना आगमन किया।
उसके बाद अनुपम खेर रुके नहीं, उन्होंने बहुत सी फिल्मों में अपने अभिनय से झंडे फहराएं हैं उन्होंने हर तरीके के किरदार को बखूबी निभाया है। उन्होंने हास्य किरदार भी किये हैं और विलन का किरदार भी उसी बखूबी से निभाया। उन्होंने बहुत से टी.वी शो के होस्ट भी रह चुके हैं।
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2002 में अनुपम जी ने एक निर्माता के तौर पर अपनी पहली फ़िल्म ‘ओम जय जगदीश’ डायरेक्ट और प्रोड्यूस की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुपम ने 2002 में आयी फ़िल्म बैकहम, 2004 में आयी ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस और 2011 में आई स्पीडी सिंह जैसी सुपरहिट फिल्मे की है। अनुपम जी ने अपने खुद के जीवन पर आधारित एक नाटक भी लिखा ‘कुछ भी हो सकता है‘ जिसमें उन्होंने खुद अभिनय किया और उसे अब्बास खान ने डायरेक्ट किया।
इसके बाद प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन ने 2010 में उन्हें अपना गुडविल एम्बेसडर घोषित किया जिनका मुख्य उद्देश्य भारत में सभी बच्चो को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है। 2009 में अनुपम ने कार्ल फ्रेडरिक्क्सन को डिज्नी पिक्सर 3डी एनीमेशन फिल्म के लिये अपनी आवाज भी दी थी।
अनुपम को उनकी फिल्म मिलने से पहले बहुत संघर्ष करना पड़ा था जिसपर उन्होंने एक किताब भी लिखी है ‘द बेस्ट थिंग अबाउट यु इस यु’ इस किताब में उन्होंने संघर्ष करना और उससे मिली सीख के बारे में बताया है, इस किताब में उन्होंने बताया है कि उन्होंने अपने जवानी के दिनों में एक बार उनके पिताजी ने उनके स्कूल के एग्जाम में फेल होने पर उन्हें बड़े होटल में ट्रीट दी थी, क्योंकि उनका कहना था” कभी असफलता से ना घबराओ बल्कि इसे सफलता में बदलने के लिए और मेहनत करो” और यही बातें उनके मुंबई में संघर्ष के दिनों में प्रेरणा स्त्रोत रही।
एक समय ऐसा भी था जब अनुपम के पास खाने तक के पैसे नहीं थे ऐसे में अनुपम निराश नहीं हुए और उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों के भी मजे लिए, इसी संघर्ष के बलबूते आज वो इस मकाम पर हैं। इस वक्त उनका एक फिल्म रिलीज हुआ है जिसका नाम है “द कश्मीर फाइल्स” जो कि सुर्खियों में है और उन्हें बहुत हीं खूब प्यार मिल रहा है। इस फिल्म में कश्मीरी पंडित पर हुए अत्याचारों को दर्शाया गया है। जो कि देश के सभी लोगों के दिलों को छू रहा है। देश के सभी लोग इनकी प्रशंशा कर रहे है।
अनुपम खेर का जीवन न केवल एक बहुत बड़े व्यक्तित्व है बल्कि वो एक नवयुवक के लिए बहुत बड़े आदर्श भी बन चुके हैं। अंत में यूं कहा जाय तो इनके जीवन से बस ये समझ आता है की अगर आप सच्चे मन से अपनी सफलता को चाह लेंगे तो वो आपको प्राप्त हो जाएगा और ये अनुपम जी सिद्ध कर चुके हैं।
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