हमारा देश तरक्की के मार्ग पर काफी आगे बढ़ चुका है, परंतु अब भी भारत के कई हिस्से में लड़कियों पर कई तरह का शासन किया जाता है, जैसे उन्हें पढ़ने ना देना, उनका बाल विवाह करा देना आदि।
आज हम एक ऐसी लड़की के बारे में बात करेंगे, जिसके ऊपर यह सभी तरह के अत्याचार हुए। उसे पढ़ने नहीं दिया गया कम उम्र में शादी हो गई और उसके बाद भी रोज उसे मारा पीटा जाने लगा, परंतु एक समय आया जब वह अपने लिए आवाज उठाई और इन सब अत्याचारों से बाहर निकल गई। अपना और अपने बच्चें का पेट भरने के लिए उसने लोगों के घरों में झाड़ू पोंछा किया। हालंकि आज वह अपनी पहचान लेखिका के रुप पुरी दुनिया में बना चुकी हैं। – A famous writer Baby Halder from Kashmir, faces many challenges in her life.
4 साल की उम्र में मां की हो गई मौत
उस महिला का नाम बेबी हलदर (Baby Halder) है, जिसे साहित्यिक पट्टी से जुड़े दुनिया भर के लोग उन्हें उनकी रचना ‘आलो आंधारि ‘ के लिए जानते हैं। बता दें कि उनकी इस किताब की दुनिया का तमाम भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। यहां तक पहुंचने के लिए बेबी ने कई संघर्ष किए। बेबी का जन्म सन् 1973 में कश्मीर में हुआ। बेबी जब 4 साल की थी तभी उनकी मां की मृत्यु हो गई। उसके पिता पूर्व सैनिक थे, जो अब एक ड्राइवर थे। पत्नी के मौत के बाद वह बेबी को मुर्शिदाबाद ले आए और यहां से वह लोग पश्चिमी बंगाल के दुर्गापुर में चले गए। यहां बेबी के पिता ने दूसरी शादी कर ली और बेबी उनके साथ ही दुर्गापुर में पलने बढ़ने लगी। बेबी पढ़ना चाहती थी, लेकिन छठी क्लास के बाद उसे पढ़ने नहीं दिया गया।
शादी की बाद हुई और परेशानी
12 साल की उम्र में बेबी की शादी उससे 14 साल बड़े लड़के से करा दी गई। बेबी की हालत ऐसी हो चुकी थी कि इतनी कम उम्र में शादी होने के बावजूद भी वह काफी खुश थी। शादी के समय उन्होंने अपनी एक सहेली से कहा था कि चलो, अच्छा हुआ, मेरी शादी हो रही है, अब कम से कम पेट भरकर खाना तो मिलेगा। उस समय बेबी को यह नहीं पता था कि असली चुनौती तो अब उसका इंतजार कर रही है। बेबी के अनुसार शादी के तीन-चार दिन बाद उसके पति ने 12 साल की बेबी के साथ रेप किया और बेबी 13 साल की उम्र में एक बच्चे की मां बन गई जबकि 15 साल की उम्र तक बेबी 3 बच्चों की मां बन चुकी थी।
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हिम्मत कर अपने बच्चों के साथ छोड़ा घर
अब बेबी का जीवन पति की गालियों और मार के साथ ही बीतने लगा। हद तो तब पर हो गई जब बेबी के पति ने उसे गांव के किसी अन्य पुरुष के साथ बात करते देख लिया और इसके लिए उसके सिर पर पत्थर मारकर उसे लहूलुहान कर दिया। बेबी के लिए अब यह सब बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था। साल 1999 में बेबी ने हिम्मत की और तीनों बच्चों के साथ घर छोड़ कर चली गई। उस समय बेबी को कुछ भी नहीं पता था कि उसका आने वाला समय उसे कहां ले जाएगा। बिना देखे वह एक ट्रेन में चढ़ी और ट्रेन के शौचालय में अपने बच्चों के साथ बैठ कर वह दिल्ली पहुंचा गई। बेबी गुड़गांव गई यह शहर और यहां के लोग बेबी के लिए बिलकुल अनजान थे, परंतु वह बेहद खुश थी। – A famous writer Baby Halder from Kashmir, faces many challenges in her life.
लोगों के घर-घर काम करने के दौरान पहुंची प्रोबोध कुमार के घर
गुड़गांव में ही बेबी ने अपने तीनों बच्चों के साथ एक झोपड़ी में रहने लगी। इस दौरान वह लोगों के घर-घर जा कर काम करती थी। एक दिन उनकी किस्मत ने उन्हें हिंदी साहित्य जगत के पितामह मुंशी प्रेमचंद के पोते प्रबोध कुमार के दरवाजे पर ला दिया, जो कि एक रिटायर्ड प्रोफेसर हैं। बेबी उनके यहां काम मांगने गई थी, लेकिन उन्हें क्या पता था कि यहां से उनकी जिन्दगी बदलने वाली है। बेबी बताती हैं कि प्रबोध कुमार के घर में झाड़ू-पोंछा करने के दौरान वह उनके घर में रखी किताबों को गौर से देखा करती थीं और प्रबोध बेबी के इस कार्य को हमेशा नोटिस करते थे एक दिन उन्होंने बेबी को कॉपी-पेंसिल दिए और बोले, ‘अपने बारे में लिखो, गलती हो तो कोई बात नहीं, बस लिखती जाओ’।
बेबी लिख डाली अपना पूरी जिंदगीनामा
प्रबोध के कहने पर बेबी लिखना शुरू की, उसने इतना लिखा कि उसे लिखने की आदत हो गई। अब बेबी खाना बनाते समय भी अपने साथ कॉपी पेंसिल रखती और जब भी समय मिलता लिखते रहती। घर पर भी बच्चों के सो जाने के बाद वह देर रात तक लिखती रहती। उस दौरान उन्होंने हर वह बात लिख डाली, जो वह कभी किसी से शेयर नहीं कर पाई थी। इसी तरह लिखते हुए बेबी अपनी पूरी जिंदगीनामा ही लिख डाली। उसके बाद उन्होंने इसे प्रबोध को दिखाया। बेबी ने सबकुछ बांग्ला में लिखा था, प्रबोध ने उसका हिंदी अनुवाद किया और इसे “आलो आंधारी” के नाम से एक किताब की शक्ल दे दी। इस तरह बेबी की जिंदगीनाम दुनिया के सामने आई। कुछ साल बाद उर्वशी बुटालि नामक लेखिका ने इस क़िताब का अंग्रेजी में अनुवाद किया और इसे नाम दिया ‘अ लाइफ लेस्स ऑर्डिनरी।
सफल होने के बाबजूद भी बेबी करती हैं प्रबोध कुमार के घर काम
अंग्रेजी वर्जन में पब्लिश होने के बाद यह किताब दुनियां भर में प्रसिद्ध हो गई। उसके बाद बेबी को दुनिया भर में होने वाले साहित्यिक महोत्सवों में आमंत्रित किया गाया। अब बेबी को लिखने की ऐसी आदत हो गई है कि बिना लिखे उनसे रहा ही नहीं जाता। बेबी का बड़ा बेटा अब बड़ा हो चुका है। किताबों की रॉयल्टी से बेबी उस झोंपड़े से अपने खुद के घर में रह रही हैं। आपको उनके व्यक्तित्व के बारे में जान कर हैरानी होगी की दुनिया भर में प्रसिद्धि हो चुकी बेबी आज भी प्रबोध कुमार के घर में अपने हाथों से झाड़ू लगाती हैं। बेबी की संघर्ष भरी कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा हैं, जो आज भी लोगो के अत्याचार बर्दाश्त कर रही हैं। – A famous writer Baby Halder from Kashmir, faces many challenges in her life.