अक्सर ऐसा देखने-सुनने को मिलता है कि इन्सान बहुत स्वार्थी हो गया है और सिर्फ अपने लिए जीता है। लेकिन इस दुनिया में जहां अधिकांश लोग स्वार्थी हैं वहां कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके दिल में औरों के लिए प्यार भरा होता है फिर चाहे वह पशु-पक्षी ही क्यों न हो। जवाहर लाल भी उन्हीं लोगों में से एक हैं जो तकरीबन 45 वर्षों से पक्षियों का पेट भर रहे हैं।
“बर्ड मैन” नाम से जानते हैं लोग
आमतौर पर जहां आदमी, आदमी की मदद नहीं करता है वहां पशु-पक्षी की मदद की उम्मीद नहीं की जा सकती है। लेकिन महरौली (Mehrauli) के रहनेवाले जवाहर लाल (Jawaharlal) सिर्फ अपने बारें में न सोचकर पशु-पक्षियों के बारें में सोचते हैं और यही वजह है कि लगभग 45 वर्षों से वह उनका पेट भर रहे हैं। उनके इस नेक कार्यों के वजह से लोग उन्हें बर्ड मैन (Bird Man) भी कहते हैं।
महज 19 वर्ष की उम्र से पक्षियों को दे रहे हैं दाना-पानी
महरौली के रहनेवाले 65 वर्षीय जवाहर लाल प्रतिदिन दिल्ली (Delhi) के कुतुबमीनार के पास स्थिति Archeological Park जाकर पशु-पक्षियों को खाना खिलाते हैं। वह हर मौसम में रोजाना सुबह सात बजे से लेकर आठ बजे तक पार्क में पक्षियों को बहुत ही प्रेम से दाना-पानी देते हैं। उन्होंने बताया कि, वे जब महज 19-20 वर्ष के थे तभी से पक्षियों को दाना-पानी देने का काम कर रहे हैं।
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जवाहरलाल के आते ही चहचहाने लगते हैं पक्षी
जवाहरलाल और पक्षियों के बीच ऐसा रिश्ता बन गया है कि जवाहर के पार्क में एन्ट्री करते ही पक्षियों के चहचहाने की आवाज आने लगती है। ऐसा लगता है जैसा मां के आने पर बच्चे खुशी से झुम उठते हैं। इस विषय पर बाते करते हुए जवाहरलाल का कहना है कि, उनके और पक्षियों के बीच में मां और बच्चों का रिश्ता बन गया है। उन्हें बिना भोजन दिए मन को शांति नहीं मिलती है।
बाल काटने का करते हैं काम
जवाहरलाल का परिवार पहले पाकिस्तान में रहता था लेकिन साल 1947 में वह और उनका पूरा परिवार देश की राजधानी दिल्ली आकर बस गया। उनके तीन बच्चे हैं और सभी काम-ध्न्धा करते हैं जबकी जवाहर जीविकोपार्जन के लिए बाल काटने का कार्य करते हैं। ऐसे में वह सुबह 11 बजे दुकान खोलते हैं लेकिन दुकान पर जाने से पहले वह पार्क जाकर पक्षियों को भोजन कराते हैं।
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कमाई का एक हिस्सा होता है पक्षियों के भोजन पर खर्च
जहां अच्छी-खासी इनकम होने के बावजूद भी कोई पैसे खर्च करना नहीं चाहता है वहीं जवाहरलाल (Jawaharlal) को बाल काटने से कमाई होती है उसका एक हिस्सा वह बेजुबान जानवरों पर खर्च कर देते हैं। वह रोजाना 5 किलोग्राम दाना और 10 लीटर पानी लेकर पार्क जाते हैं और वहां पक्षियों को भरपेट खिलाते हैं। पार्क में पहले से रखे गए पानी को वह बदलते हैं और दाना डालते हैं।
सिर्फ पक्षी ही नहीं कुत्तों को भी खिलाते हैं खाना
जवाहरलाल (Jawaharlal) कहते हैं कि बेजुबान जानवरों को भोजन कराकर बहुत खुशी मिलती है साथ ही उनके मन को एक अलग ही शान्ति का अनुभव होता है। उनके इस नेक कार्य को करने से उनके परिवार वाले मना नहीं करते हैं। बता दें कि, वह न सिर्फ पक्षियों के लिए बल्कि कुत्तों के लिए दूध और ब्रेड लेकर जाते हैं और उन्हें भी खाना खिलाते हैं।
वास्तव में जवाहरलाल द्वारा किया जा रहा यह कार्य प्रशंशनीय है। The Logically उनके इस प्रेम भाव की सराहना करता है।