Wednesday, December 13, 2023

एक डॉक्टर जिसने 12 साल जेल में रहते हुए 186 किताबें लिखी, LLB की पढ़ाई की, खुद से लङा अपना केस

कुछ इंसान अपनी काबिलियत और हुनर से ऐसा मिसाल पेश करते हैं जो हर किसी के लिए प्रेरणा बन जाता है। उन्हीं लोगों में से एक शख्स हैं डॉ. एल प्रकाश का (Dr. L Prakash)। इन्होंने डॉक्टर की पढ़ाई कर लेने के बाद लगभग 12 साल जेल में रहे। जेल में रहकर वकालत की पढ़ाई कर डिग्री भी हासिल की। फिर अपना केस लड़कर के वह जेल से रिहा भी हो गए। अचरज की बात ये है कि उन्होंने जेल में ही 186 किताबें लिख डाली। आज हम बात करेंगे डॉक्टर एल प्रकाश के बारे में।

डॉ एल प्रकाश (Dr. L Prakash) केरल (Keral) के पाल घाट (Palghat) के रहने वाले हैं। यह पेशे से एक डॉक्टर हैं। डॉक्टर प्रकाश हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं। इन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई कर लेने के बाद एमसीएच की डिग्री हासिल करने के लिए विदेश चले गए। वहां से डॉक्टर प्रकाश एमसीएच डिग्री हासिल की। फिर वह वापस अपने स्वदेश भारत लौट आए। इसके बाद डॉ प्रकाश ने यहां आकर चिकित्सा में लोगों को सेवा करने लगे। डॉ एल प्रकाश एक कार्यक्रम में बिहार (Bihar) की राजधानी पटना (Patna) आए हुए थे। उन्होंने अपने बारे में यहां आकर काफी कुछ बताया।

Dr. L Prakash Written By book

डॉ एल प्रकाश (Dr. L. Prakash) कुछ दिन पहले अपना में हड्डी रोग विशेषज्ञ के सम्मेलन में भाग लेने आए थे। इन्होंने बताया कि हम लगभग 30 साल पहले पहली बार पटना आए थे। उसमें हमने पीएमसीएच डॉक्टरों को फ्रैक्चर की सर्जरी के तरीके काफी सारे तकनीक के बारे में बताए थे। इसके बाद वह दूसरी बार पटना अब आए हैं। डॉ प्रकाश कार्यक्रम में आए हुए लोगों से अपने बारे में बताते हैं कि वह लगभग साढ़े 12 साल जेल में रहे। जेल में कैदियों की किसी वजह से हड्डी टूट जाती थी या फिर किसी कैदियों के हड्डियों में दिक्कत होती थी तो हम उनका इलाज करते थे। यह बताते हैं कि जेल में ज्यादा साधन नहीं रहने के कारण हमने किसी साधन के ही वहां के कैदियों के हड्डियों के इलाज करने का तरीका निकाल लिया। सबसे खास बात यह है कि वहां के लोग हमारे निकाले हुए तरीकों को उन्होंने प्रकाश मेथड (Prakash Method) के नाम से जानने लगे।

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डॉ एल प्रकाश (Dr. L. Prakash) कहते हैं कि जब हम जेल में रहते थे तो वहां समय बहुत मुश्किल से निकलता था। इसके बाद काफी सोच विचार करने के बाद हमने सोचा कि हम अपना केस खुद लड़ेंगे। इसके बाद हमने जेल में ही वकालत की पढ़ाई शुरू कर दी। हमने इस वकालत की पढ़ाई के लिए काफी लगन और मेहनत कि साथ किया। वकालत की डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद हमने अपना केस खुद लड़ा और जीत गया। केस जीत जाने के बाद हम रिहा हो गए और फिर अपने घर आ गए। जब घर पहुंचे तो देखा कि हमारे यहां मरीजों की संख्या काफी है। बहुत सारी मरीज हमारे आने का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही उन लोगों ने हमें देखा तो वो लोग काफी खुश हुए।

Dr. L Prakash

डॉ एल प्रकाश (Dr. L. Prakash) बताते हैं कि हमने जेलों में रहकर के काफी सारी किताबें भी लिखी है। वह बताते हैं कि हमने टोटल 186 किताबें लिखी है। इन 186 किताबों में 27 ऐसे किताब हैं जिसमें सहायक लेखक भी रहे हैं। और मैंने खुद से 159 किताबें लिखी हैं। जिनमें से 17 किताब चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है और बाकी के 142 किताबें गैर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। जो बाकी के 27 पुस्तक हैं उसमें हमने सहायक लेखक पर काम किया है।

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डॉ. एल प्रकाश(Dr. L. Prakash) से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि समस्या कितना भी बड़ा क्यों न हो, हमें अपना कर्म हिम्मत के साथ करते रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।