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18 वर्ष की उम्र में घर छोड़ा, लोगों के विरोध पर भी नहीं मानी हार, देश की पहली महिला ऑटो ड्राइवर बन मिसाल पेश की

Story of india's first female auto rickshaw driver shila dawre from pune

आप सभी अक्सर सड़कों पर पुरुषों द्वारा ऑटो चलाते हुए देखते हैं, लेकिन यदि वही ऑटो कोई महिला चलाती दिख जाए तो हमारे समाज के लिए बहुत बड़ी बात होती है। क्योंकि हमारा समाज पुरुष प्रधान है। इसके बावजूद भी आरम्भ से ही कुछ महिलाएं ऐसी रहीं, जिन्होंने समाज की रुढिवादी सोच को बदलने का काम किया। यह कहानी भी एक ऐसी महिला की है, जिसने उस समय सड़कों पर ऑटो चलाने का फैसला किया जब सड़कों पर सिर्फ पुरुष ऑटो चालक ही दिखत थे

कौन है वह महिला?

यह कहानी है भारत की सबसे पहली महिला ऑटो चालक शीला दावरे (India’s First Auto Rickshaws Driver Shila Dawre) की, जिनका जन्म महाराष्ट्र (Maharastra) के एक छोटे-से शहर परभणी (Parbhani) में हुआ था। हमारे समाज में जब लड़की बड़ी हो जाती है तो माता-पिता उसकी शादी कर देना चाहते हैं। शीला के पैरंट्स की भी यही ख्वाहिश थी लेकिन शीला शादी न करके अपना करियर बनाना चाहती थीं। चूंकि वह शुरु से ड्राइविंग करने में महारथ हासिल की थीं इसलिए उन्होंने इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाने का फैसला किया।

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18 वर्ष की उम्र छोड़ा घर

शीला जब महज 18 वर्ष की थीं तभी किसी निजी कारणों की वजह से वह घर और जिला छोड़ भाग गईं और पूणे पहुंची। पूणे (Pune) में अकेले शीला के सामने कई सारी समस्याएँ सामने खड़ी थी, जिसमें सबसे बड़ी समस्या यह थी कि यहां वह जीवनयापन करने के लिए क्या किया जाएं। तब उन्होंने फैसला किया कि वे ड्राइविंग स्किल को ही अपना प्रोफेशन बनाएंगी। उसके बाद उन्होंने ऑटो चलाने का फैसला किया लेकिन उनके इस फैसले को काफी लोगों ने विरोध किया, क्योंकि यह समाज एक पुरुष प्रधान है और यहां लोग एक महिला को ऑटो चालक के रूप में मानने को तैयार नहीं थे।

तमाम बाधाओं को पार कर शीला ने शुरु किया ऑटो चलाना

लोगों की रूढ़िवादी सोच ने शीला (Shila Dawre) को ऑटो चलाने के लिए किराए पर ऑटो देना मुनासिब नहीं समझा और ऑटो देने से इन्कार कर दिया। एक अनजान शहर में शीला के लिए यह काफी मुश्किल भरा समय था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ने का फैसला किया। लोगों द्वारा किराए पर ऑटो नहीं देने के बाद उन्होंने जैसे-जैसे करके खुद के लिए एक ऑटो खरीद लिया। उसके बाद शीला ने ऑटो चालक के रूप में पूणे की सड़कों पर ऑटो चलाना शुरु किया।

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शीला और उनके पति ने मिलकर खोली ट्रैवल कम्पनी

ऑटो चलाने के दौरान ही एक समय शीला की भेंट एक शिरीष (Shirish) नामक ऑटो चालक से हुआ। आगे चलकर शीला और शिरीष ने विवाह करके एक-दूसरें के हमसफर बने। शीला और उनके पति ने एक साथ मिलकर कई सालों तक ऑटो चलाने का काम किया लेकिन एक दिन उन्होंने कुछ बड़ा करने का फैसला किया और एक ट्रैवल कम्पनी की स्थापना की। शीला महिलाओं को ड्राइविंग करने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ड्राइविंग एकडमी खोलना चाहती हैं।

कई अवार्ड्स से हो चुकी हैं सम्मानित

जिस समय पूणे की सड़कों पर सिर्फ पुरुष ऑटो दौड़ाते थे, उस दौर में भी शीला दावरे (Shila Dawre) ने लोगों की रुढिवादी सोच को तोड़कर सलवार कमीज पहनकर ऑटो चलाना शुरु किया था। इसके लिए उन्हें कई अवार्ड्स से पुरस्कृत किया जा चुका है। वहीं उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल हो चुका है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित किए गए कैंपेन #BhartKiLakshmi में शीला को फीचर किया जा चुका है।

शीला ने जिस प्रकार अपने हौसले और जज्बे से तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढीं हैं वह प्रेरणादायक है।

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