Wednesday, December 13, 2023

गरीबी के कारण शुरू की ‘खाखरा’ बनाने का काम, आज देश के साथ विदेश में भी बन चुका है बङा ब्रांड

एक समय था जब गुजराती फूड केवल गुजरात में ही मिलता था, परंतु अब इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ चुकी है कि गुजराती फूड आपको कहीं भी मिल जाएगा। पहले बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता था कि गुजराती खाने में क्या-क्या होता है, लेकिन प्रसिद्ध धरवाहिक ‘तारक मेहता के उल्टा चश्मा’ के बाद से लोगों को यह पता चला कि गुजराती खाना होता क्या है । गुजराती खाना का प्रसिद्ध ढोकला ही ज्यादातर लोग जानते थे, लेकिन अब हर कोई गाठिया, फाफड़ा से लेकर खाखरा जैसे स्नैक्स का स्वाद भी जानते है। – The Khakhra of Induben Zaveri from Gujarat, is famous in the country as well as abroad.

खाखरा को एक मसालेदार रोटी भी कहा जाता है

आज हम आपको ‘इंदुबेन जवेरी खाखरावाला’ (Induben jhaveri Khakhrawala) के बारे में बताएंगे, जिसका खाखरा केवल गुजरात में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। आम भाषा में खाखरा को एक मसालेदार रोटी भी कहा जाता है। यह कुरकुरा, सूखा नाश्ता बहुत कम तेल में बनाया जाता है। इसे गेहूं के आटे, बेसन और कुछ मसालों को मिक्स करके बनाया जाता है। खाखरा खाता तो हर कोई है, लेकिन जैन कम्युनिटी में इसे काफी पसंद किया जाता है।

Story of Induben Khakhrawala

जरूरत पड़ने पर उठाई परिवार की जिम्मेदारी

इंदुबेन गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली थीं। पहले वह अपने एक छोटे से घर में तीन बच्चों और पति के साथ रहती थीं। इंदुबेन पहले एक साधारण सी गृहणी थीं, लेकिन जब परिवार को पैसों की जरूरत पड़ी, तो वह खुद सामने आकर जिम्मदारी को संभाली और कमाई करने का सोचने लगी। साल 1960 में इंदुबेन ने अपना काम करना शुरू किया। शुरुआती दिनों में वह खाखरा डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर में अपना बनाया खाखरा बेचती थीं।

Story of Induben Khakhrawala

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इंदुबेन ने दिया कई महिलाओ को रोजगार

इंदुबेन उधार लेकर अपने पति के लिए एक लूना खरीदी, जिससे उनका बनाया खाखरा वह घर-घर पहुंचा सकें। वह अकेले अपने घर और बिजनेस दोनों को संभाल रही थी। कुछ ही समय में उनका खाखरा लोगों को काफी पसंद आने लगा और ऑर्डर बढ़ने लगे तो उन्होंने अपने मदद के लिए और महिलाओं को काम पर रख लिया, जिससेे उन्हें रोज़गार मिल गया। साल 1981 में इंदुबेन का 54 साल की उम्र में निधन हो गया।

Story of Induben Khakhrawala

इंदुबेन खाखरावाला नाम से पहला आउटलेट शुरू हुआ

इंदुबेन के जाने के बाद भी उनके बनाए खाखरे का स्वाद जिंदा रहा। उनके बेटे हिरेन और बहू स्मिता ने इस बिजनेस को संभाल लिया। आज भी लोग इंदुबेन के नाम से ही खाखरा खरीद लेते है। साल 1982 में ‘इंदुबेन खाखरावाला नाम से पहला आउटलेट शुरू किया गया, उसमे खाखरे के साथ दूसरे नमकीन भी रखे गए। उसके बाद हिरेन के दोनों बेटे निशित और अंकित जवेरी भी पिता की मदद करने के लिए इसी फील्ड में आ गए।

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इंदुबेन खाखरावाला के अहमदाबाद में कुल 10 आउटलेट है

साल 2010 में निशित और अंकित एक और आउटलेट खोलना चाहते थे, तब ही वह सत्येन शाह से मिले, जो कंस्ट्रक्शन बिजनेस से जुड़े थे। सत्येन खाखरा की लोकप्रियता को देखते हुए उनके साथ बिजनेस पार्टनर बनने को तैयार हो गए। उन लोगों ने साथ मिलकर इंदुबेन खाखरावाला को एक कंपनी का रूप दे दिया। आपका बता दे कि आज ‘इंदुबेन खाखरावाला’ के अहमदाबाद में कुल 10 आउटलेट है।

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खाखरा के 70 फ्लेवर्स तैयार किया जाता है

ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी खाखरा का डिस्ट्रीब्यूशन होता है। इसकी एक बड़ी मैनुफैक्चरिंग यूनिट है, जहां खाखरा के 70 फ्लेवर्स तैयार किया जाता है। इस मैनुफैक्चरिंग यूनिट में खाखरा के अलावा भी सैकड़ों स्नैक्स बनाते हैं, लेकिन खाखरा की आज भी सबसे अधिक बिक्री है। यह छोटी सी बिजनेस आज 62 साल और तीन पीढियों का सफर तय कर बहुत बड़ा ब्रांड बन चुका है। एक छोटी सी शुरूआत भी इंसान को बड़ा मुकाम तक पहुँचा सकती है। – The Khakhra of Induben Zaveri from Gujarat, is famous in the country as well as abroad.