Tuesday, December 12, 2023

मनचलों को सजा दिलाने के लिए लिया पुलिस अधिकारी बनने का फैसला, आज “आयरन लेडी” के नाम से मशहूर है

मौजूदा दौर में अनेकों लडकियों और महिलाओं को हर रोज छेड़खानी का शिकार होना पड़ता है, जिससे उनका घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। वहीं कुछ महिलाएं तो अपने साथ हुए छेड़खानी और बदसलूकी को डर के वजह से किसी को बता भी नहीं पाती हैं और हालात के आगे झुक जाती हैं। लेकिन यह कहानी एक ऐसी लड़की की ही जिसने अपने साथ हुए छेड़छाड़ के विरुद्ध आवाज ही नहीं उठाई बल्कि उन्हें सबक सिखाने के लिए DSP बन गई और उसके नाम से अपराधी डर के मारे कांपते हैं।

कौन है वह लड़की?

दरअसल हम बात कर रहे हैं DSP श्रेष्ठा ठाकुर (DSP Shrestha Thakur) की, जिनका जन्म उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले में एक व्यवसायी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम एसबी सिंह भदौरिया है और वह एक बिजनेसमैन हैं। शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद श्रेष्ठा ने स्नातक की पढ़ाई करने के लिए कानपुर के कॉलेज में दाखिला लिया।

एक घटना ने बदल दी जिंदगी

कॉलेज के दिनों में ही उनके साथ कुछ मनचलों ने छेड़खानी की। बाकी लड़कियों की तरह वह इस बार चुप रहीं लेकिन ये घटना उनके साथ फिर घटी। इस बार उन्होंने हिम्मत से काम लिया और इंसाफ मागने पुलिस स्टेशन गईं। लेकिन पुलिस ने इस बात को गम्भीरता से न लेते हुए इस घटना का कोई जायजा नहीं लिया और न कोई कारवाई की ताकि, उन मनचलों को सजा मिल सके। पुलिस द्वारा उचित कार्यवाही नहीं किए जाने के बाद ही श्रेष्ठा (DSP Shrestha Thakur) ने फैसला किया कि वे उन बदमाशों को सजा दिला के रहेंगी।

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सिस्टम को नाकाम देख खुद ऑफीसर बनने की ठानी

आमतौर पर लोग इंसाफ और दोषी को सजा दिलाने के लिए पुलिस स्टेशन और कोर्ट का चक्कर लगाते हैं लेकीन श्रेष्ठा ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने जब देखा कि हमारा सिस्टम सही तरीके से काम नहीं कर रहा है तो दोषी को सजा दिलाने के लिए खुद ही पुलिस बनने का निर्णय लिया और इसके लिए तैयारी भी शुरु कर दी। उनके इस फैसले को अंजाम देने में उनके बड़े भाई मनीष ने काफी सहायता की। मनीष ने ही लिखित परीक्षा से लेकर फिटनेस तक की सभी के लिए श्रेष्ठा को प्रशिक्षित किया।

साल 2012 में पहनी वर्दी

मनीष ने PPS की परिक्षा के लिए श्रेष्ठा को प्रोत्साहित किया और हर सम्भव उनकी मदद की। उसके बाद साल 2012 में श्रेष्ठा ने PPS की परीक्षा में सफलता हासिल किया और पुलिस ऑफिसर बनकर अपने सपने को पूरा किया। वह कहती हैं कि, वर्दी पहनने के बाद एक महिला पूरी तरह से अपने आप को सुरक्षित समझती हैं और समाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए उसके अंदर एक अलग ही हिम्मत जा जाती है।

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लोगों ने मारा ताना लेकिन नहीं मानी हार

हमारे समाज में जब लड़कियां बड़ी हो जाती हैं तो उनपर कई तरह की बंदिशे लग जाती है, वहीं लड़कियों को लोगों द्वारा ताने भी सुनने पड़ते है। श्रेष्ठा को भी समाज के इस सोच का सामना करना पड़ा, लोगों ने यह कहकर ताना मारा कि लड़की जब बड़ी हो जाती है तो उसे अकेले घर से बाहर नहीं जाना चाहिए। लेकिन श्रेष्ठा का पूरा परिवार उनके साथ था। वे सभी श्रेष्ठा को उनकी मंजिल पाने के लिए सभी ने हमेशा उनका आत्मविश्वास बढ़ाया। परिणामस्वरूप आज श्रेष्ठा DSP बनकर मनचलों पर अंकुश लगा रही हैं।

दबंग अंदाज ने दिलाया “आयरन लेडी” का नाम

वर्तमान में DSP श्रेष्ठा ठाकुर को लोग दबंग ऑफिसर के रूप में जानते हैं और उनके साहसी अंदाज देखकर उन्हें “आयरन लेडी” (Iron Lady) भी कहा जाता है। लड़किया मजबुत बन सकें और खुद की हिफाजत कर सके इसके लिए श्रेष्ठा उन्हें ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देती हैं।श्रेष्ठा ठाकुर सभी लड़कियों और महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं।

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