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मंगल पांडे: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक जिन्होंने अपनी वीरता से अंग्रेजों की चूलें हिला दी !‌ पढ़िए पूरी कहानी !

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत और माँ भारती के वीर सपूत मंगल पांडे जी का जन्म 18 जुलाई 1827 को उत्तरप्रदेश में हुआ था ! पढाई के पश्चात अपने जीविकोपार्जन के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी में अंग्रेजों की फौज में भर्ती हुए थे ! तब उनकी उम्र महज 22 वर्ष हीं थी ! वे बचपन से हीं साहसी और क्रांतिकारी प्रवृति के थे !

सच्चे देशभक्त

यूं तो मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कम्पनी में भर्ती हुए थे लेकिन वह कम्पनी भारतीय लोगों पर खूब अत्याचार ढाती थी ! लोगों के अन्दर उस कम्पनी के खिलाफ विरोध के स्वर तेज होने लगे थे ! उन्हीं दिनों सेना की बंगाल इकाई में एनफील्ड पी-53 रायफल में लगाने हेतु नया कारतूस आया था ! इन कारतूसों को बन्दूक में डालने से पहले उसे मुँह से खोलना पड़ता था ! उसी बीच एक खबर बहुत तेजी से फैली कि जिस कारतूस को खींचना पड़ता था वह गाय और सूअर की चर्बी के प्रयोग से बनी है ! इस बात के फैलने से हिंदू और मुसलमान दोनों धर्म के लोगों में रोष था ! 9 फरवरी 1857 को वही कारतूस सेनाओं में बाँटा गया लेकिन मंगल पांडे ने उस कारतूस को लेने से इंकार कर दिया ! मंगल पांडे की इस मनाही के बाद अंग्रेजों ने उनके हथियार छीन लिए और वर्दी उतारने का हुक्म दिया !

1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम

29 मार्च 1857 यही वह दिन है जिस दिन मंगल पांडे ने स्वतंत्रता संग्राम का पहला बिगुल फूंका था ! उस दिन जब एक अफसर मेजर ह्यूसन आगे बढ़ा तो मंगल पांडे ने उस पर आक्रमण कर दिया ! साथ खड़े दोस्त तमाशा देखते रह गए ! मंगल पांडे ने फिर भी हार नहीं मानी और ह्यूसन को मौत के हवाले कर दिया ! इसके बाद उन्होंने एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉब को भी मार डाला ! इसके बाद अंग्रेजों ने मंगल पांडे को घेर लिया ! ऐसी स्थिति में मंगल पांडे खुद को गोली मारकर शहीद हो जाना चाहते थे , उन्होंने गोली चलाई भी पर वह गोली मंगल पांडे को ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचा सकी ! अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया ! कोर्ट मार्शल द्वारा उन पर मुकदमा चलाया गया और 6 अप्रैल 1857 को उन्हें फाँसी की सजा सुना दी गई !

समय पूर्व फाँसी और जल्लादों का फाँसी देने से इनकार

कोर्ट के फैसले के अनुसार मंगल पांडे को 18 अप्रैल को सजा दी जानी थी ! लेकिन उनके साहस से अंग्रेज महकमें में जो डर का माहौल पैदा कर दिया था उसे देखते हुए समय से 10 दिन पहले 8 अप्रैल को हीं उन्हें फाँसी दे दी गई ! जिस जेल में उन्हें फाँसी दी जानी थी वहाँ के जल्लादों ने मंगल पांडे को फाँसी देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद दूसरे जल्लादों को बुलाकर मंगल पांडे को फाँसी दे दी गई ! इसी के साथ भारत माँ का अदम्य साहसी सपूत सदा के लिए सो गया लेकिन अपने पीछे छोड़ गया स्वतंत्रता क्रांति की ज्वाला !

अमर सपूत मंगल पांडे ने जिस निर्भिकता से अंग्रेजों का सामना किया और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बजाया उसने भारते के वीरों में स्वतंत्रता की अलख जगाई ! Logically प्रेरणा पुरूष मंगल पांडे जी को नमन करता है !

Vinayak is a true sense of humanity. Hailing from Bihar , he did his education from government institution. He loves to work on community issues like education and environment. He looks 'Stories' as source of enlightened and energy. Through his positive writings , he is bringing stories of all super heroes who are changing society.

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