ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के तट पर बसा है। यह ज्योतिर्लिंग एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग हैं जहाँ भगवान शिव सोने के लिए आते हैं ! बाबा भोलेनाथ का शयन दर्शन करने हेतु भक्तों का आना यहाँ विशेष रूप से होता है !
यह मंदिर ॐ के आकार जैसा है। इस लिए इस मंदिर को ओंकारेश्वर मंदिर कहते हैं। ओंकारेश्वर में ज्योतिर्लिंग के दो रूप ओंकारेश्वर और ममलेश्वर हैं। यहां दोनों ज्योतिर्लिंग की पूजा की जाती है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की आराधना की जाती है। प्राचीनकाल से ही मां नर्मदा नहीं ओंकार ज्योतिर्लिंग की जलाभिषेक करती हैं। इस मंदिर के चारो ओर हमेशा जल भरा रहता है। ऐसी मान्यता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को मात्र दर्शन पा लेने और नर्मदा नदी में स्नान कर लेने से धर्म, यश, मोक्ष की प्राप्ति होती है। और सारे पाप धुल जाते हैं।
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3250 फीट की ऊंचाई पर स्थित बाबा भोलेनाथ का यह ज्योतिर्लिंग आस्था का केंद्र है !
यहां सालो भर हजारों की भीड़ में श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना करने आते हैं। लेकिन श्रावण महीना भगवान शिव का प्रिय महीना होता है अत: इस महीने में ये भीड़ दोगुनी हो जाती हैं। ओंकारेश्वर में भगवान शिव जी को दिन में तीन बार दूध, दही और नर्मदा नदी के जल से अभिषेक किया जाता है। ओंकारेश्वर में शाम की आरती का विशेष महत्व दिया गया है।
ओंकारेश्वर मंदिर के चारों ओर कई मंदिर पंच मुखी हनुमान, शनि मंदिर, द्वारकाधीश हैं। ओंकारेश्वर क्षेत्र में सीता वाटिका , चौबीस अवतार , धावड़ी कुंड , मार्कण्डेय शिला , अन्नपूर्णाश्रम , गायत्री माता मंदिर , सिद्धिनाथ गौरी सोमनाथ , विष्णु मंदिर , ब्रह्मेश्वर मंदिर आदि स्थित हैं जहाँ भक्त आस्था भरा वन्दन करते हैं ! ओंकारेश्वर में परिक्रमा का विशेष महत्व है। यह परिक्रमा 16 किलोमीटर लम्बा है। ओंकारेश्वर में परिक्रमा पूरा कर लेने से भगवान शिव अपने भक्तों को सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। ओंकारेश्वर मंदिर में गुप्त आरती का विधान है। इस आरती में पुजारियों के अलावा कोई नहीं रहता। यह आरती भगवान शिव की विशेष आरती होती है। और भगवान शिव जी का अभिषेक किया जाता है।
आस्था और भक्ति को पोर-पोर समेटे हुए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान के प्रमुख तीर्थस्थानों में से एक है ! भक्ति-भाव से सराबोर होने से श्रद्धालुओं के बीच यह मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है !
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