Tuesday, December 12, 2023

बैंक से उधार लेकर शुरू की गई थी दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल की कम्पनी, जानिए इस कम्पनी की रोचक बातों को

साइकिल आज से नहीं बल्कि पुराने जमाने से हीं लोगों की पसंदीदा सवारी रही हैं। पहले जब स्कूटर और कार का ज्यादा प्रचलन नहीं था तब यह साइकिल यातायात का प्रमुख साधन हुआ करती थी। बाद में विज्ञान के अविष्कारों ने कई तरह के स्कूटर्स, बाइक्स, कार आदि बना दिए लेकिन फिर भी साइकिल की प्रासंगिकता नहीं कमी।

साइकिल की जब भी बात आती है तो हीरो कम्पनी का नाम हमेशा ऊपर आता है। क्या आपको पता है कि साइकिल की इस दिग्गज कम्पनी की शुरुआत कैसे हुई थी.? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसकी शुरुआत उधार लिए गए पैसों से हुई थी। आज हम इस कम्पनी की शुरुआत, संघर्ष और सफलता की कहानी बताएंगे। आईए जानते हैं.. – By this way Hero Cycles, the oldest company of bicycles, was started.

  • चार भाइयों की मेहनत ने खड़ी की हीरो साइकिल कंपनी

यह कहने वाले साइकिल के मालिक ओपी मुंजाल (OP Munjal) के। दरअसल यह मुंजाल भाईयों में एक थे जिन्होंने हीरो साइकिल को दुनिया के सामने लाए थे। बहादुर चंद मुंजाल और ठाकुर देवी के घर में एक पुत्र पैदा हुए, जो आगे चलकर हीरो साइकिल को साइकिलों का सुपर हीरो बना दिया। दरअसल बहादुर चंद मुंजाल के चार बेटे सत्यानंद मुंजाल, ओमप्रकाश मुंजाल, ब्रजमोहनलाल मुंजाल और दयानंद मुंजाल हैं। बहादुर चंद मुंजाल एक अनाज की दुकान चलाते थे। सब कुछ ठीक था, लेकिन तभी सरकार का आदेश आया कि देश को दो भागों में बांट दिया जाएगा।

Hero Cycle Company Founded By Four Brothers
  • बैंक से लोन लेकर शुरू किया काम

एक समय ऐसा था जब पाकिस्तान में रह रहे हिंदू और सिखों को भारत वापस लौटना पड़ा। इस भीड़ में मुंजाल भाई भी थे। वह पंजाब के लुधियाना आ बसे। यहां आने के बाद उनकी सबसे बड़ी समस्या थी रोजगार की तलाश करना। शुरुआती दिनों में मुंजाल ने गलियों और फुटपाथों पर साइकिल के पुर्जे बेचने का काम करने लगे। कुछ समय बाद उन्होंने थोक में साइकिल पार्ट्स खरीदा और उसे बेचने की बजाए खुद से साइकिल पार्ट्स बनाने का फैसला कर लिए। इस काम को शुरू करने के लिए उन्होंने 1956 में बैंक से 50 हजार रुपए लोन लिया और अपनी साइकिल पार्ट्स बनाने की पहली यूनिट लुधियाना में बनाया। – By this way Hero Cycles, the oldest company of bicycles, was started.

इसी तरह हुई Hero Cycles की शुरुआत। बहुत ही जल्द मुंजाल भाइयों को आइडिया आया कि साइकिल के पार्ट्स बेचने के बजाय साइकिल निर्माण करके बेचने में ज्यादा लाभ होगा। उसके बाद कड़ी मेहनत से उन्होंने एक दिन में 25 साइकिलें बना दी। इसी तरह धीरे-धीरे साइकिल बनने की स्पीड बढ़ती गई। केवल 10 साल में उनकी तरक्की आसमान छूने लगी। साल 1966 तक हीरो कंपनी प्रति वर्ष एक लाख साइकिल तैयार करने लगी। रिर्पोट के अनुसार साल 1986 तक Hero Cycles ने हर साल 22 लाख से अधिक साइकिलों तैयार कर सभी को चौंका दिया। Hero company साइकिल का उत्पादन करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी थी।

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  • भारत की सबसे पुराना साइकिल कंपनी

एक समय ऐसा भी था जब एक बढ़िया साइकिल मिलना बच्चों के लिए किसी सपने से कम नहीं था। साइकिल को बिना चढ़े चलाने से शुरू हुआ सफर पहले कैंची और फिर काठी पर बैठ कर चलाने से यह सफर खत्म होता था। हर बच्चे के शौक को पूरा करने वाला भारत का पुराना ब्रांड हीरो साइकिल था। जब से इसकी शुरुआत हुई आज तक हीरो साइकिल की संख्या कभी घटी नहीं है। हीरो साइकिल पर बैठकर साइकिल चलाने वाला हर बच्चा खुद को हीरो ही समझने लगता है। जानकारों के अनुसार एक बार हीरो साइकिल कंपनी में हड़ताल हुई थी, जिससे साइकिल का निर्माण बिल्कुल ही रुक गया था। ऐसे में उस कंपनी के मालिक ने खुद से मशीन चला कर साइकिल बनाया था।

  • ग्राहकों की खुशी सबसे ज्यादा जरूरी

हिरो साइकिल कंपनी के मालिक के कार्य को देख कर कंपनी के बड़े अधिकारियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उनका जवाब था कि “आप सब चाहें तो घर जा सकते हैं लेकिन मेरे पास ऑर्डर हैं और मैं काम करूंगा। अगर साइकिल निर्माण नहीं हुए तो एक वक्त के लिए डीलर समझ जायेंगे कि हड़ताल के कारण काम नहीं हो रहा है मगर उस बच्चे के मन को हम कैसे समझाएंगे जिसके माता-पिता ने उसके जन्मदिन पर उसे साइकिल दिलाने का वादा किया होगा। हमारी हड़ताल की वजह से ऐसे कई बच्चों का दिल टूटेगा, लेकिन ऐसा मैं होने नहीं होने दूंगा। मैं हर उस माता-पिता का किया हुआ वादा पूरा करूंगा जिन्होंने अपने बच्चे को साइकिल दलाने का वादा किया है।

  • गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

बता दें कि 1986 में Hero Cycles का नाम गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल उत्पादक कंपनी के तौर पर दर्ज हुआ। साइकिल बाजार में 48 फीसदी हिस्सेदारी के साथ Hero Cycles भारत सहित मध्य पूर्व, अफ्रीका, एशिया और यूरोप के 89 देशों में साइकिल निर्यात करती है। यह मुंजाल भाइयों की सोच ही थी कि आज हीरो साइकिल इस मुकाम पर हैं। मुंजाल भाईयो ने अपने डीलर्स, वर्कर और ग्राहकों को एक साथ लेकर चले। वह अपने लाभ से पहले ग्राहकों के खुशी के बारे में सोचते हैं। सन 1990 एक ऐसा था जब हीरो साईकिल के आगे दुसरा कोइ ब्रांड नहीं था। साल 1980 में हीरो साइकिल का एक लोडेड ट्रक एक्सिडेंट में जल गया। ऐसे में कोई भी कंपनी अपने नुकसान के बारे में सोचेगी लेकिन मुंजाल भाइयों ने अपने प्रोडक्ट के बारे में सोचे सबसे पहले पूछा कि ड्राइवर तो ठीक है ना ? उसके बाद उन्होंने मैनेजर को ऑर्डर दिया कि जिस डीलर के पास ये ट्रक जा रहा था उसे फ्रेश कंसाइनमेंट भेजा जाए क्योंकि इसमें डीलर की कोई गलती नहीं हैं। – By this way Hero Cycles, the oldest company of bicycles, was started.

Hero Cycle Company Founded By Four Brothers
  • ब्रिटेन में हीरो कंपनी को सुपर ब्रांड का दर्जा

आपको बता दें कि हीरो साइकिल्स के मैनेजमेंट की तारीफ बी.बी.सी. और व‌र्ल्ड बैंक ने भी कर चुकी है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल और इंसीड फ्रांस में हीरो कंपनी पर entrepreneurship के लिए केस स्टडी किया जाता है। हीरो साईकिल कंपनी की सफलता ऐसी थी कि ब्रिटेन ने साल 2004 में इसे सुपर ब्रांड का दर्जा दिया था। साथ ही 14 करोड़ से अधिक साइकिलों का निर्माण करने वाली यह हीरो कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी का दर्जा भी प्राप्त कर चुकी है। जानकारों के अनुसार इसके दुनिया भर मे 7500 से अधिक आउटलेट्स हैं जहां 30 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं।

  • Honda के साथ मिलकर हुआ Hero Honda Motors Ltd का स्थापना

ना केवल साइकिल बल्कि मुंजाल ब्रदर्स ने हीरो ग्रुप के बैनर तले साइकिल कंपोनेंट्स, ऑटोमोटिव, ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स, आईटी, सर्विसेज जैसे कई प्रोडक्ट भी तैयार किय। हीरो ग्रुप ने हीरो मैजेस्टिक के नाम से टूव्हीलर बनाने की शुरुआत की थी। उसके बाद 1984 में हीरो ने जापान की बड़ी कंपनी Honda के साथ हाथ मिलाया ओर Hero Honda Motors Ltd की स्थापना हुई। इस कंपनी ने 13 अप्रैल 1985 में पहली बाइक CD 100 को लॉन्च किया। 27 सालों तक एक साथ काम करने के बाद साल 2011 में यह दोनों कंपनियां अलग हो गईं और फिर हीरो ने शुरू की हीरो मोटोकॉर्प।

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अभी हीरो कंपनी ​हर साल 75 लाख साइकिल बना रही हैं। मुंजाल भाइयों में सबसे बड़े भाई दयानंद मुंजाल 1960 के दशक में इस दुनिया को अलविदा कह गए थे और उनके अन्य तीनों भाइयों का निधन एक साल के भीतर ही हो गया। 13 अगस्त 2015 को ओमप्रकाश मुंजाल, 1 नवंबर 2015 को बृजमोहन लाल मुंजाल और 14 अप्रैल 2016 को सत्यानंद मुंजाल की मृत्यु हो गईं। वर्तमान में यह कंपनी ओमप्रकाश मुंजाल के बेटे पंकज मुंजाल चला रहे हैं। – By this way Hero Cycles, the oldest company of bicycles, was started.