हादसे तो हर किसी के जीवन में होते हैं कोई उस हादसे का दर्द झेल नहीं पाता है जिस वजह से वह टूट कर बिखर जाता है। लेकिन कुछ हिम्मती लोग ऐसे भी होते हैं जो जीवन में हो रहे दिल को झकझोर देने वाली घटना से टूटते नहीं हैं और दोबारा से उठ खड़े होने होते हैं और जीवन में सफलता की ऊंचाईयों तक भी पहुंच जाते हैं।
कुछ ऐसी ही कहानी है IAS किन्जल सिंह (IAS Kinjal Singh) की, जिन्होंने अपने पिता की हत्या और मां की मौत का दर्द सहा लेकिन हार नहीं मानी और अपनी छोटी बहन की जिम्मेदारी संभालते हुए आखिरकार IAS बनकर अपने पिता की हत्यारों को जेल की सलाखों तक पहुंचाया। तो इसी कड़ी में चलिए जानते हैं किंजल सिंह की प्रेरणादायक सफर के बारें में-
महज 5 वर्ष की उम्र मे कर दी गई पिता की हत्या
किंजल सिंह (IAS Kinjal Singh) का जन्म उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के बलिया जिले (Baliya District) में 5 फरवरी 1982 में हुई थी लेकिन किसे पता था कि महज 5 वर्ष की उम्र में ही उनके सिर से पिता का साया हमेशा-हमेशा के लिए छिन जाएगा। किन्जल अभी सिर्फ 5 साल की छोटी बच्छि थी उसी समय उनके पिता की हत्या कर दी गई। पिता की मौत के समय उनकी मां गर्भवती थी और 6 महिने बाद उन्होंने एक और बेटी को जन्म दिया।
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मां ने अकेले पाल-पोश करके किया बड़ा
आप समझ सकते हैं कि एक नवजात बच्ची और एक 5 वर्ष की बेटी को अकेले पालना कितना मुश्किल होता है और खासकर तब जब उन छोटे-छोटे बच्चों के सिर पर पिता का प्यार भरा हाथ न हो। लेकिन फिर भी किंजल की मां विभा सिंह ने हिम्मत दिखाई और अपनी दोनों बेटियों किन्जल और प्रांजल को पाल-पोष कर बड़ा करने लगी। बेटियों की परवरिश के साथ-साथ वह अपने पति DSP केपी सिंह की हत्या के केस में इंसाफ के लिए बलिया से दिल्ली स्थित CBI कोर्ट का चक्कर लगाती थीं।
बीमारी ने मां की जान भी ले ली
कहते हैं इन्सान के जीवन में जब एक से अधिक बार दिल को झकझोर देने वाले हादसे होते हैं तो इन्सान टुटकर बिखर जाता है लेकिन किंजल ने हिम्मत दिखाई। दरअसल, बदकिस्मती से उनकी मां को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया और साल 2004 में उनकी मां इस बीमारी के कारण हमेशा के लिए अपनी दोनों बेटियों को अकेला छोड़ इस दुनिया से अलविदा कह गईं। यह घटना हिम्मत को तोड़ देनेवाला था लेकिन किंजल ने हिम्मत दिखाई।
मां के देहांत के बाद पढ़ाई के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में लिया दाखिला
माता-पिता के इस दुनिया से चले जाने के बाद उनकी छोटी बहन प्रांजल की जिम्मेदारी अब किंजल के कंधों पर आ गई। उसके बाद अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी करके किंजल ने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली के श्री राम कॉलेज में दाखिला लिया। आपको जानकर हैरानी होगी कि, साल 2004 में ही जब किंजल की मां ने अंतिम सांस ली उसी वर्ष किंजल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में टॉप किया था।
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दूसरे प्रयास में हासिल हुई सफलता
किंजल की मां का सपना था कि उनकी दोनों बेटियां IAS अधिकारी बने। ऐसे में किन्जल ने अपनी मां के इस सपने को साकार करने के लिए छोटी बहन प्रांजल को भी अपने पास दिल्ली बुला लिया और साथ मिलकर UPSC की तैयारी करने में जुट गईं। हालांकि, पहले प्रयास में किंजल को UPSC की परीक्षा में असफलता हाथ लगी लेकिन दूसरी बार सफलता ने उनके कदम चूम लिए। साल 2008 में किंजल ने UPSC की परीक्षा में सफल हुईं और IAS के लिए उनका चयन हो गया।
बहन और मौसा-मौसी को देती हैं सफलता का श्रेय
किंजल सिंह (IAS Kinjal Singh) के साथ ही साल 2008 में उनकी छोटी बहन प्रांजल सिंह (Pranjal Singh) ने भी कामयाबी हासिल की और IRS के लिए चयनित हुईं। इस प्रकार किंजल और प्रांजल ने अपनी मां के देखे हुए सपने को सच कर दिखाया। किंजल अपनी सफलता का यह श्रेय अपने मौसा-मौसी और बहन प्रांजल को देती हैं।
साल 2013 में अपने पिता की मौत के दोषियों को दिलाई सजा
IAS बनने के बाद जब किंजल की पोस्टिंग बहराइच में थी उसी दौरान साल 2013 में उनके पिता की हत्या में शामिल 18 हत्यारों को 5 जून 2013 को सजा दिलाई और अपने पिता की मौत का इंसाफ लिया। इस इंसाफ से उनकी मां की आत्मा को भी शान्ती मिली होगी क्योंकि न्याय पाने के लिए सालों तक कोर्ट के दरवाजे खटखटाती रहीं लेकिन न्याय नहीं मिला।
IAS किंजल सिंह की कहानी से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि चाहे जीवन में कितनी भी मुश्किलें आए कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और अपनी मंजिल को पाने के लिए हर सम्भव कोशिश करनी चाहिए। The Logically IAS किन्जल सिंह और प्रांजल सिंह को उनकी सफलता के लिए ढेर सारी बधाई देता है।