रामधारी सिंह द्वारा लिखी एक खुबसूरत पंक्ति है, मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है। यह कथन बिल्कुल सत्य है क्योंकि यदि इन्सान चाहे तो हर मुश्किलों का सामना करके मंजिल हासिल कर सकता है फिर चाहे बिजनेस को ऊंचाईयों तक पहुँचाना हो, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाना हो या फिर देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC में सफलता हासिल करनी हो। हिम्मत और लगन से मनुष्य सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंच सकता है।
कुछ ऐसी ही कहानी है IAS वन्दना सिंह चौहान (IAS Vandana Singh Chauhan) की, जिन्होंने कई मुश्किलों का सामना करते हुए सेल्फ स्टडी करके Hindi माध्यम से UPSC की परीक्षा में ऑल इंडिया 8वीं रैंक हासिल करके IAS अधिकारी बनकर मिसाल पेश की।
परिवार वाले थे पढाई के खिलाफ
वन्दना का जन्म हरियाणा (Haryana) के नसरुल्लागढ नामक गांव में हुआ था जहां के लोगो की सोच बहुत ही पिछड़ी और रुढिवादी थी। उनके गांव में लड़कियों को अधिक पढ़ाने-लिखाने का रिवाज नहीं था। वन्दना पढ़ाई-लिखाई में काफी होशियार थी इसके बावजूद भी उनके घरवाले उन्हें अधिक पढ़ाई-लिखाई करने देने के खिलाफ थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वन्दना के गाँव मे अच्छे स्कूल नहीं थे।
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बेटी को पढ़ाने के लिए पिता ने परिवार के सदस्यों का विरोध सहा
वन्दना के पिता का नाम महिपाल सिंह हैं। गांव में अच्छा स्कूल नहीं होने के कारण वे अपने दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा हासिल करने के लिए बाहर भेज दिया था जबकी वन्दना यहीं थी और वे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ने के लिए इंतजार कर रही थीं। वन्दना के पिता कहते हैं कि, उनकी बेटी वन्दना हमेशा उनसे एक ही प्रश्न पूछती थी कि मुझे पढ़ने के लिए बाहर कब भेजोगो?
वन्दना (IAS Vandana Singh Chauhan) के ऐसा कहने वह वे अक्सर इस बात को अनसुना कर देते थे लेकिन एक बार वह गुस्से में अपने पिता से बोली कि, ‘बेटी हूँ इसलिए पढ़ने के लिए बाहर अच्छे स्कूल में नहीं भेज रहे हो।’ बेटी की इस बात ने पिता महिपाल सिंह को अंदर तक झकझोर के रख दिया और उसी समय उन्होंने फैसला किया कि वे अपनी बेटी को उच्च शिक्षा देंगे।
अपनी बेटी वन्दना के पढ़ाई के सपने को पूरा करने के लिए महिपाल सिंह ने उन्हें मुरादाबाद कन्या गुरुकुल में दाखिला करा दिया। हालांकि, उनके दिया लिए गए इस फैसले के कारण उन्हें अपने घर के सदस्यों जैसे चाचा, ताऊ, दादा आदि के विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने घुटने नहीं टेके और बेटी को पढ़ाने की रहा पर अग्रसर रहे। वन्दना ने भी अपने पिता का मान रखा और मन लगाकर पढ़ाई करने लगी।
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लॉ की पढ़ाई की साथ ही करती थी UPSC की तैयारी
वन्दना ने इण्टरमीडिएट की पढाई पूरी करने के बाद लॉ की पढ़ाई करने का फैसला किया और इसमें उनके भाइयों ने उनका पूरा साथ दिया। उसके बाद वन्दना ने घर से ही वकालत की पढ़ाई पूरी की साथ ही वह संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा की तैयारी भी करती थीं। एक साक्षात्कार के दौरान वन्दना कहती हैं कि गुरुकुल में जो अनुशासन की शिक्षा दी गई थी वह UPSC की तैयारी में काफी मददगार साबित हुआ।
18 से 20 घन्टे करती थी पढ़ाई
वन्दना की मां के अनुसार, वन्दना ने अपने रूम में कूलर या AC नहीं लगवाया था क्योंकि ठंड में नींद अधिक आएगी जिससे पढ़ाई करने में समस्याएं उत्पन्न होगी। इतना ही नहीं वह UPSC की तैयारी के लिए रोजाना अपने कमरे में लगातार 18 से 20 घंटे सेल्फ स्टडी करती थी। उनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने UPSC की परीक्षा में पहले ही प्रयास में ऑल इंडिया 8वीं रैंक हासिल करके IAS अधिकारी बनने के सपने को पूरा किया।
वन्दना सिंह चौहान (IAS Vandana Singh Chauhan) जिस तरह समाज की रुढिवादी सोच का सामना करके IAS अधिकारी बनी वह काबिले तारिफ है। The Logically उन्हें इस सफलता के लिए ढेर सारी बधाई देता है।