यह लेख है कभी भी हार ना मानते हुए मुश्किल से भरे रास्ते को पार कर सफलता हासिल करने वाले शख़्स का है। जिसने अपने बुलंद हौसलों से सफलता की ऊंचाई पर चढ़कर गांव के सभी बच्चों के लिए उदाहरण बनकर मिसाल कायम की। – success story of Kishor Kumar Rajak who qualifies UPSC
झारखण्ड के किशोर कुमार रजक
किशोर कुमार रजक (Kishor Kumar Rajak) झारखंड (Jharkhand) से ताल्लुक रखते हैं। किशोर कुमार रजक सभी युवाओं के लिए उदाहरण बन गए हैं। उन्होंने भेड़ बकरियों को चराया, ईंट-भट्टो के खदानों में काम भी किया, लेकिन अपने सपनों को कभी ओझल नहीं होने दिया और इसे साकार कर के ही सुकून से बैठे। भले ही वह पढ़ने में शुरुआत में कमजोर थे, लेकिन यूपीएससी (UPSC) जैसे कठिन एग्जाम को एक बार में ही क्रैक कर अपने अफसर बनने के सपने को साकार कर लिए। -success story of Kishor Kumar Rajak who qualifies UPSC
आर्थिक स्थिति थी कमजोर, चराया करते थे पशुओं को
किशोर कुमार रजक (Kishor Kumar Rajak) का बचपन बहुत ही गरीबी में व्यतीत हुआ है। उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी, उनके पिता ईंट के खदानों में काम करते थे जिससे उनका गुजारा होता था। उनके घर में कोई बिजली नहीं थी, जिस कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई लालटेन और दीए के सहारे किया है। बचपन में वह अपने दोस्तों के साथ बकरियां चराने घर से दूर जाया करते थे।-success story of Kishor Kumar Rajak who qualifies UPSC
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शिक्षक के बातों को बैठाया मन में बने अफसर
किशोर कुमार रजक (Kishor Kumar Rajak) जब बचपन में जब इंट के खदानों में कार्य किया करते थे, तो उन्हें मात्र 12 रुपये उनकी मेहनत का फल मिलता था। उन्होंने बताया कि मेरे शिक्षक ने मुझे कहा कि अगर तुम मजदूरी करते रहोगे तो मजदूर बनोगे, लेकिन अगर तुम शिक्षा के महत्व को समझते हुए पढ़ोगे-लिखोगे तो अफसर अवश्य बनोगे। इस बात को उन्होंने गांठ की तरह बांध लिया और निश्चय किया कि मैं अफसर ही बनूंगा।
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पिताजी, माँ, दादी और भतीजा?
— Kishore Kumar Rajak (@dspkishor) July 31, 2020
2016 में DSP बनने के तुरंत बाद फ़ोटो खिंचवाया था। pic.twitter.com/hcK0bWcZ5P
बहन ने गुल्लक तोड़कर दिए दिल्ली जाने के पैसे
किशोर कुमार के प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के सरकारी स्कूल से हीं प्राप्त किया है। साल 2004 में उन्होंने ग्रेजुएशन के लिए अपना नामांकन इग्नू से करवाया। साल 2008 में उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हालांकि वह एक समेस्टर में फेल हो गए थे लेकिन हौशला नहीं हारा और आगे सफल हुए। इसके आगे वह यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली जाने का निश्चय किया, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे कि वे दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी कर सकें। उनकी बहन ने उनका मदद अपने गुल्लक को तोड़कर किया और वह दिल्ली चले गए। -success story of Kishor Kumar Rajak who qualifies UPSC
पहले ही प्रयास में किया यूपीएससी पास
वर्ष 2011 में उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम दिया और उसमें 419वी रैंक हासिल की और असिस्टेंट कमांडेंड के पोस्ट के लिए नियुक्त हुए। आगे वे वर्ष 2013 में ट्रेनिंग के लिए चले गए, लेकिन उन्हें यह एहसास हुआ कि वे इस पोस्ट द्वारा लोगों की सेवा नहीं कर पाएंगे, जिस कारण ट्रेनिंग को छोड़कर वे फिर से दिल्ली चले गए। उन्होंने वर्ष 2015 में यूपीएससी का एग्जाम फिर से दिया, जिसमें वे असफल रहे।-success story of Kishor Kumar Rajak who qualifies UPSC
अब यह अपने घर झारखंड लौटे और यहां उन्होंने कोचिंग संस्थान में पढ़ाना प्रारंभ किया एवं साथी पीसीएस की तैयारी में भी लग गए। उन्होंने साल 2016 में पीसीएस की परीक्षा में सफलता हासिल की और झारखंड पुलिस में डीएसपी पोस्ट के लिए नियुक्त हुए। वर्तमान में वे झारखंड पुलिस के एसआईआरबी (SIRB) पोस्ट पर तैनात हैं।-success story of Kishor Kumar Rajak who qualifies UPSC
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