प्रत्येक व्यक्ति का कुछ न कुछ सपना जरुर होता है जिसे वह किसी भी हाल में पाना चाहता है, पर सपनों को पूरा करना इतना आसान नहीं होता है। इसके लिए बहुत से मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, पर कहते हैं न कि अगर कुछ पाने की जिद्द हो तो हम हर उस चीज को पा सकते है जो हमे चहिए होता है। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी से रूबरू करवाएंगे जिन्होंने अपनी जिद्द से अपने सपनों को पूरा करने में कामयाब हुए। आईए जानते हैं उनकी सफ़लता की कहानी…
निरंजन कुमार (Niranjan Kumar) जो बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। इनका पूरा बचपन गरीबी में बीता है, इसके बावजूद इन्होंने UPSC के एग्जाम पास किया। अपने पहले प्रयास में इन्होंने 728वां रैंक हासिल किया परन्तु इससे वे संतुष्ट नहीं थे। इस कारण इन्होंने दूसरे बार प्रयास किया और दूसरे प्रयास में इन्होंने 535वां रैंक हासिल किया जो पहले से बेहतर था। इनके लिए यह सब आसान नहीं था क्योंकि इनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। इन सब के बावजूद भी इन्होंने अपने सपने को पूरा किया, यह एक बहुत बड़ी बात है।
पढ़ाई करने के लिए नहीं थे पैसे
निरंजन के परिवार वालों के पास इतनी पैसे नहीं थीं कि वह इन्हें आगे पढ़ा सके, पर कहते हैं ना जब किसी को कुछ करना होता है वह हर हाल में कर हीं लेता है। निरंजन को बचपन से ही IAS बनने का सपना था और वह किसी भी हाल में इसे पूरा करना चाहते थे। भगवान ने भी उनका साथ दिए और उनका सेलेक्शन नवोदय विद्यालय में हो गया।
नवोदय विद्यालय में जाने के बाद इन्होंने अपने सपनों की उड़ान भरनी शुरू कर दी। यहां इन्हें पढ़ाई में किसी भी तरह का खर्च नहीं करना पड़ता था और वहां पढ़ने के लिए भी सभी सुविधाएं उपलब्ध थीं। उन्होंने यहां से दसवीं करने के बाद इंटर की पढ़ाई के लिए पटना चले गए, परंतु इंसान को सफलता पाने के लिए थोड़ी बहुत मुश्किलों का सामना करना ही पड़ता है और यही निरंजन के साथ भी हुआ।
शुरू किए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना
निरंजन को पढ़ाई के लिए पैसे की जरूरत पड़ने लगी और तब उन्होंने इसके लिए कुछ बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। इन्हें खुद की कोचिंग के लिए रोज कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता था। 12वीं की पढ़ाई पूरी के बाद उनका सिलेक्शन आईटीआई (ITI) के लिए हो गया।
परिवार को भी उनसे होने लगी उम्मीद
निरंजन से उनके परिवार को भी कुछ उम्मीद होने लगी थी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद कोल इंडिया में उन्हें नौकरी भी मिल गई। नौकरी मिलने के बाद उनकी शादी भी हो गई, परंतु उनका सपना अभी मरा नहीं था। उनका सपना एक आईएएस बनने का था, जो अभी तक बरकरार था। शादी के कुछ समय बाद फिर से वे आईएएस बनने की तैयारियों में लग गए।
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संघर्ष की कहानी
निरंजन ने काफी संघर्ष किया है। उनके साथ एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें अपने पिता अरविंद कुमार के साथ एक छोटी सी दुकान में खैनी बेचना पड़ा था। इतनी संघर्षों के बाद जब एक बाप अपने बेटे को आईएएस अधिकारी के रूप में देखता है तो उसे एक सपने जैसा लगता है। इसके बावजूद भी यह दुकान कोरोना महामारी के वजह से बंद हो गया और फिर निरंजन के पिताजी का स्वास्थ्य बिगड़ गया जिसके कारण यहां दुकान कभी खुला नहीं।
इस छोटी सी दुकान से हीं इनके घर गृहस्थी चलती थी। आपको बता दें कि इस दुकान से मात्र ₹5000 हर महीने कमा पाते थे। अपने पिताजी की मदद के लिए निरंजन को भी इस छोटी सी दुकान पर बैठना पड़ता था। जब उनके पिता कहीं बाहर आते-जाते थे तब वही दुकान को संभाला करते थे।
अपनी पढ़ाई के लिए निरंजन ने बैंक से 4 लाख का लोन लेकर IIT-ISM धनबाद से माइनिंग इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल किया। वर्ष 2011 में जब उनकी जॉब कोल इंडिया लिमिटेड में लग गई तब उन्होंने इसी नौकरी से लिए हुए लोन को भर पाए।
हार नहीं मानी और सपनों को पूरा कर दिखाया
दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नही होगा जिन्हें अपने जीवन में संघर्षों का सामना नही करना पड़ता है पर जो व्यक्ति इनसे बाहर निकलकर कुछ बेहतर कर गुजरता है वही कामायाब हो पाता है। निरंजन के साथ भी ऐसा हीं हुआ। जिनके परिवार का हर जरूरत एक छोटी सी खैनी की दुकान पर निर्भर थी, ऐसे परिस्थिति से बाहर निकलकर इन्होंने UPSC का एग्जाम पास कर लिया।
साल 2017 में निरंजन ने UPSC की परीक्षा में पहले प्रयास में 728वां रैंक हासिल किया परन्तु इन्होंने और अच्छे रिजल्ट के लिए दोबारा प्रयास किया और इस बार इन्होंने 535वां रैंक हासिल किया। -Success Story of IAS Niranjan Kumar
ऐसी हीं परिस्थितियों से बाहर निकलकर जो सफलता की ऊंचाइयों को छूता है, वही व्यक्ति हजारों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है। वैसे ही निरंजन भी लाखों मिडिल क्लास लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर सामने आए हैं।