Monday, December 11, 2023

मात्र 60 हज़ार के निवेश से हर महीने 24 करोड़ का टर्नओवर, OYO की सफलता ने लोगों को एक नया नज़रिया दे दिया

अक्सर आपलोगों ने एक कहावत सुना ही होगा कि, अगर हौसले बुलंद हो तथा सही दिशा मेहनत में किया जाए तो कामयाबी जरूर मिलेगी। आज हम बात करेंगे, एक ऐसे ही शख्स की जिन्होने अपने मेहनत के बदौलत एक बड़ी सफलता हासिल की है।

ओयो रूम्स (OYO Rooms) के संस्थापक व हुरुन इंडिया रिच लिस्ट-2018 के सबसे युवा अरबपति रितेश अग्रवाल आज किसी भी परिचय के मोहताज नही है। उन्होंने मात्र 24 साल में 5 अरब डॉलर यानि कि 36 हजार करोड़ की कंपनी खड़ी कर यह साबित कर दिया है कि, मेहनत के बदौलत हम पूरी दुनिया को जीत सकते है। ― Ritesh Agarwal, CEO of OYO Rooms.

Ritesh Agarwal CEO of Oyo hotels

रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal)

रितेश अग्रवाल का जन्म 16 नवंबर 1993 को ओडिशा (Odisha) के कटक में हुआ था, जो की नक्सली गतिविधियों के लिए जाना जाता है। रितेश के पिता infrastructure corporation के साथ मिलकर काम करते थे, और उनकी मां हाउसवाइफ हैं। दरअसल रितेश के माता-पिता चाहते थे कि वो IIT में दाखिला ले और इंजीनियर बनें। रितेश भी कोटा, राजस्‍थान में रह कर IIT एंट्रेस एग्‍जाम की ही तैयारियों में जुटे। रितेश कॉलेज ड्राप आउट हैं। यानी कि उन्होंने काॅलेज के दौरान बिच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। लेकिन यही कमजोरी उनकी ताकत बन गई है। रितेश अग्रवाल व्यवसाय वाले परिवार से ही हैं।

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कॉलेज ड्राप आउट है, रितेश अग्रवाल

रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) की शुरुआती शिक्षा रायगढ़ के सेक्रेट हार्ट स्कूल से हुई थी। वे शुरू से ही घुमने वाले प्रवृति के इंसान थे। मिजाज से घुमक्कड़ रितेश छोटी उम्र से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग से बहुत प्रेरित रहे हैं। वे वेदांता के अनिल अग्रवाल को अपना आदर्श मानते हैं। अग्रवाल आईआईएम, आईआईटी, एचबीएस और आईवी लीग्स में पढ़े लोगों की टीम का नेतृत्व करने वाले एकमात्र ड्रॉपआउट हैं। उनका कहना है कि भारत में ड्राप आउट का मजाक बनाया जाता है। इसे स्मार्ट और समझदार नहीं समझा जाता है। रितेश को उम्मीद है कि अगले कुछ साल में देश में कुछ और ड्राप आउट नाम कमाएंगे। ― Ritesh Agarwal, CEO of OYO Room.

Ritesh Agarwal CEO of Oyo hotels

कंपनी की शुरूआत

रितेश (Ritesh Agarwal) शुरू से ही घूमने के शौकीन इंसान थे। एक बार टूर के दौरान सन् 2009 में उन्हें देहरादून और मसूरी जाने का मौका मिला। यहां उन्हें महसूस हुआ कि कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। ऐसे ही अनुभवों ने रितेश को प्रेरित किया और उन्होंने एक ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी बनाने के बारे में सोचा, जहां एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी के मालिकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से पर्यटकों को बेड एंड ब्रेकफास्ट के साथ रहने की किफायती सुविधा मुहैया करवाई जा सके। इस तरह उन्होंने अपनी कंपनी की खोलने का काम किया है। ― Ritesh Agarwal, CEO of OYO Room.

OYO Rooms के सहारे रचा इतिहास

रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) ने 19 साल की उम्र में एक वेबसाइट बनाई, जिसमें वो सस्‍ते और किफायती होटल्‍स के बारे में जानकारी देते थे, जिसका नाम उन्होंने ओरावल रखा था लेकिन साल 2013 में उन्होंने नाम बदल कर OYO Rooms कर दिया। आज कंपनी 230 शहरों में 10 लाख होटल रूम्स का प्रबंधन करती है। ― Ritesh Agarwal, CEO of OYO Room.

Ritesh Agarwal CEO of Oyo hotels

संघर्ष की कहानी

OYO Rooms एक ऐप है जिसके जरिए होटल की बुकिंग की जा सकती है। पूरे भारत में इसके 500 होटलों में 50,000 से भी ज्यादा कमरे हैं। OYO Rooms जैसी सफल कंपनी को खड़ा करना इतना आसान नहीं था। कॉलेज छोड़ने के बाद अपनी खुद की कंपनी खोलने के लिए रितेश ने कड़ी मेहनत की है। एक वक्त ऐसा भी था जब दिल्ली में मकान मालिक ने उन्हें अपने घर में घुसने भी नहीं दिया था। उन्हें कई दिनों तक उसी घर की सीढ़ियों पर रात बितानी पड़ी। लेकिन रितेश ने हार नहीं मानी। मेहनत करने में वह हमेशा से यकीन रखते थे। 8 साल की उम्र में ही रितेश ने साफ्टवेयर कोडिंग शुरू कर दी थी। 16 साल की उम्र में उन्हें ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ के ‘एशियन साइंस कैंप’ के लिए चुना गया। जब रितेश 17 साल के हुए, तब उन्होंने बेस्ट सेलिंग किताब लिखी। ‘दी इंसाइक्लोपीडिया ऑफ इंडियन इंजीनियरिंग कॉलेज’ नाम से उनकी किताब काफी लोकप्रिय रही। इसी साल वह भारत के सबसे युवा सीइओ भी बने। उनकी कंपनी ‘वर्थ ग्रोथ पार्टनर्स’ ज्यादा सफल नहीं रही। रितेश ने 18 साल में ‘ओरावल’ नाम से कंपनी खोली। इसी कंपनी का नाम आगे जाकर उन्होंने OYO Rooms कर दिया। रितेश भारत से ‘थील फेलोशिप’ के लिए चुने जाने वाले इकलौते शख्स हैं। उन्हें फोर्ब्स ने अपने ’30 अंडर 30′ उद्यमियों में भी शामिल किया।