Wednesday, December 13, 2023

बिहार की साइकिल दीदी जो गरीब बच्चों के लिए बन गई मसीहा, अभी तक हज़ारों बच्चों को शिक्षित कर चुकी हैं

हमारे यहां सभी कहते हैं कि हम जिस शहर, गांव या कस्बे में रहते हैं वहां के विकास के लिए ज्यादा सोंचना चाहिए। लेकिन यह कथन असत्य है। देश के नागरिक होने के कारण हमारा यह फर्ज बनता है कि देश के लिए और यहाँ के नागरिकों के लिए जितना सम्भव हो हम उतना कर सकें। आज हम आपको एक ऐसी महिला सुधा वर्गीज के विषय मे बताएंगे जो मूल रूप से कहीं और की निवासी हैं लेकिन वह वहां से अलग राज्यों में जाकर लोगों की मदद कर मिसाल कायम कर रही हैं। उन्हें सभी “साइकिल दीदी” कहते हैं। आइए जानते हैं उदारता की मूरत उस महिला और उनके कार्यों बारे में…

सुधा वर्गीज (Sudha Varghese) मूल रूप से केरल (Kerala) की निवासी हैं। लेकिन उन्होंने बिहार (Bihar) में एक छोटे से कास्ट मुसहर जाति के व्यक्तियों के लिए ऐसा कार्य किया है जिसके लिए वह सभी के दिलों में अपनी एक अलग स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। उन्हें यहां लोग साइकल दीदी कहते हैं। उन्हें अपने कार्यों के लिए “पद्मश्री” भी मिला है। लह 30 वर्षों से महिलाओं को शिक्षित करने में लगी हैं। वह एक NGO जिसका नाम “नारी गुंजन” की अध्यक्षा हैं।

Sudha varghese with her student

मुसहर जाति के हक के लिए किया संघर्ष

वह जब केरल से हजारों किलोमीटर दूर बिहार में आई थी तो उन्हें इस विषय में अधिक जानकारी नहीं थी कि वहां कैसे जाति-प्रथा के बीच भेद-भाव होती है। उन्हें जब पता चला कि वहां एक मुसहर समुदाय है जो यह नहीं जानता है कि उसका सामाजिक और लोकतांत्रिक अधिकार क्या है। तब उन्होंने यह ठान लिया कि वहां की महिलाओं को उनके अधिकारों से अवगत कराकर एक अच्छा जीवन देंगी। उन्होंने उन लोगों को शिक्षित करने के साथ-साथ रोजगार देने का प्रयास कीं ताकि वह हर चीज को भली-भांति समझ सकें और बेहतर कल का निर्माण कर सकें।

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नारी गुंजन NGO

उन्होंने वर्ष 1980 में “नारी गुंजन” नाम की एक एनजीओ का श्रीगणेश किया जो कि बिहार के पांच जिले में चालू है। साथ हीं उनका NGO 2015 में एक स्कूल जिसका नाम “प्रेरणा” है उसकी भी शुरूआत किया जो दानापुर में है जहां सभी छात्रों को हॉस्टल की सारी व्यवस्थाएं प्राप्त है। आज उनकी वजह से लगभग 3 हजार से अधिक छात्राओं को शिक्षा प्रदान किया जा रहा है।

 cycle didi of bihar

डांस, कराटे और ड्रॉइंग भी सिखाया जाता है

वहां सिर्फ लड़कियों को शिक्षा ही नहीं बल्कि डांस, कराटे और ड्राइंग का भी प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वह सभी हुनर से परिपूर्ण होकर बेहतर समाज का निर्माण कर सकें। वह सिर्फ दलित समुदाय या मुसहर जाति के लड़कियों के लिए हीं नहीं बल्कि लड़कों को भी शिक्षा से परिपूर्ण कराना चाहती हैं।

मिला है पुरस्कार

यह NGO उचित मूल्य पर सैनिटरी नैपकिन भी देता है। वहां जितनी भी छात्राएं पढ़ती हैं उन्हें सभी चीज निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधा ने जो कार्य किया है उसके लिए उन्हें बिहार राज्य के मुख्यमंत्री की तरफ से सम्मानित भी किया गया है।

पिछङी जाति के लोगों को शिक्षा के महत्व बताकर उन्हें निःस्वार्थ भाव से शिक्षित करने के लिए The Logically सुधा वर्गीज को शत-शत नमन करता है।