शहरों की भाग-दौड़ तथा चका-चौंध भरी ज़िन्दगी में जीना हर किसी को पसंद नहीं। क्योंकि यहां लोग पैसे कमाने के लिए मेहनत तो करते हैं लेकिन उनके पास सुकून की कमी है। इसलिए सुकून की तलाश में लोग गांव की तरफ रुख मोड़ रहें हैं तो कुछ लोगों को शहरों में ही गार्डनरिंग तथा फार्मिंग द्वारा सुकून की अनुभूति हो रही है।
आज हम आपको ऐसे शख़्स के विषय में बताएंगे जिन्होंने शहरों की चका-चौंध को छोड़कर गांव की तरफ रुख मोड़ा और यहीं अपना जीवन व्यतीत करने का निश्चय किया। वे सुधाकर और नौशाद्य अय्यर हैं जो क्राउडफंडिंग कम्पनी में जॉब करते थे और इसे छोड़कर गांव आएं।-Organic farming
सुधाकर और नौशाद्य अय्यर की कहानी
ये किस्सा वर्ष 2018 का है जब उनके जीवन में परिवर्तन आया। उन्होंने आगे ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए एक प्रोजेक्ट के तहत वॉलंटियर किया। जब इस चीज़ के विषय में उन्हें ज्ञान हो गया तब उन्हें ये एहसास हुआ कि वे बेहतर जीवन में सफलता हेतु बहुत प्लानिंग बाकी है। -Organic farming
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जमीन खरीदकर शुरू की खेती
अब उन्होंने जगह की तलाश शुरू की और जमीन खरीदी। लेकिन यहां जानवरों का आना-जाना लगा रहता। इसलिए यहां लगभग 2 लाख रुपए की लागत से सोलर तार-बाड़ की गई। यहां लगभग 40 पौधे नारियल के थे जिनसे उन्हें फल मिलता रहा। अब आगे यहां खेती प्रारंभ हुई और फसल तैयार होने लगे।उर्वरक के निर्माण के लिए उन्होंने किचन गार्डन सेट-अप तैयार किया ताकि वेस्ट से खाद बन सके। -Organic farming
खेती के साथ शुरू किया मवेशीपालन
आगे उन्होंने 11 देसी गायों को खरीदा और अब इनसे अलग कलेक्शन होने लगा। इनसे दूध-दही, पनीर तथा घी का निर्माण होने लगा। इसके अतिरिक्त यहां मुर्गियों को पाला गया और इनसे अलग कमाई होती। खेत मे उन्हें पेड़ के तौर पर नारियल, केला, अदरक तथा जल्दी लगाया गया। खेतों में दाल तथा मकई भी उगाए जाते हैं। –Organic farming
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