Saturday, December 9, 2023

कपड़े से बने पैड जो प्रकृति को बचाने के साथ ही कम खर्चीले हैं, सुजाता ने खोजा Organic Pad बनाने का तरीका: Avni

पीरियड्स को लेकर आज भी लङकियों और महिलाओं में खुलापन नहीं है। खासकर ग्रामीण परिवेश में यह शर्मिंदगी का विषय माना जाता है। वे Periods के समय प्रयोग किए जाने वाले पैड को लेकर भी अधिक जागरूक नहीं हैं। वे पीरियड्स के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें जागरूक करने के लिए यूं तो कई संस्थाएं, सामाजिक संगठन कार्य कर रही हैं। उसी क्रम में सुजाता पवार के द्वारा की गई पहल बेहद हीं सराहनीय है। उन्होंने पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं (Periods Problem) का बेहतरीन हल निकाला है, ऐसे में उनके कार्यों को जानना बहुत महत्वपूर्ण है। आईए जानते हैं…

हर लड़कियों को लगभग 13 साल के बाद से पीरियड्स शुरू होने लगता है और लगभग 30 से ज्यादा सालों तक इस माहवारी का दर्द झेलना पड़ता है। पीरियड्स के दौरान महिलाएं व लड़कियों को कई तरह के पाबंदी लगाई जाती है। महिलाओं के मन पर कई तरह के दर्द, प्रेग्नेंसी, हार्मोन, पीएमएस असर डालता है। आज भी महिलाएं ज्यादातर गांव में इन बातों को बताने में काफी शर्म करती है। महिलाएं पीरियड्स जैसी समस्याओं को दूसरे से साझा करना नहीं चाहती उन्हें इन सब बातों से काफी झिझक सा महसूस करती है। वे अंदर ही अंदर अपने दर्द को दबाए रहती है। वैसे तो बाजार में पीरियड्स के दौरान लगाए जाने वाले पैड तो आसानी से मिल जाती है परंतु जो मध्यम वर्ग के लोग होते हैं वह इस महंगे पैड को खरीदने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। और तो और बाजार में मिलने वाले पैड से पीरियड्स के दौरान जो तकलीफ होती है वह दूर नहीं होती है।

आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताएंगे जिन्होंने महिलाओं के पीरियड्स की कठिनाईयों को आसान बनाने के लिए अपनी तरफ से एक खोज किया है जिससे महिलाओं को इन समस्या से राहत मिल सके। दरअसल इन्होंने कपड़े के पीरियड्स पैड बनाएं हैं। इस कपड़े के बने हुए पैड काफी महिलाएं उपयोग कर रही हैं और इससे उन्हें राहत भी महसूस हो रहा है।

सुजाता पवार (Sujata Pawar)

सुजाता पवार पीरियड्स से होने वाली समस्याओं के हल निकालने के लिए इन्होंने एक खोज की जिससे महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले कठिनाईयों से छुटकारा मिल सके और उन्हें अच्छा महसूस हो सके। सुजाता पवार बताती हैं कि वह जब गर्मियों की छुट्टी में अपने नानी के घर गई थीं तो मैं मात्र 13 साल की थी। इस 13 साल की उम्र में ही मुझे पीरियड्स हो गए जिससे मुझे काफी दर्द और तकलीफ होने लगी।

मुझे पीरियड्स आने के बाद समस्या होने लगी। नानी के यहां पीरियड्स पैड जैसी सुविधाएं नहीं थी जिसको देखते हुए नानी ने मुझे पैड की जगह सूती साड़ी को फाङकर के उसे इस्तेमाल करने को दी। नानी ने मुझे जो सूती के कपड़े दिए वह काफी मुलायम था जिसको जिसे लगाने में मुझे कोई कठिनाइयां नहीं हुई। जिसके बाद मैंने उस दिन से पीरियड्स आने के दौरान सूती के कपड़े उपयोग करने लगी और जब मैं स्कूल जाती थी उस समय भी मैं सूती के कपड़े का ही इस्तेमाल करती थी।

जब मैं कॉलेज पढ़ने के लिए गई तो वहां भी इसी सूती के कपड़े का उपयोग करती थे जिसे देखकर मेरी सहेली मुझे काफी मजाक उड़ाती थी। और कहती थी कि तुम पैड क्यों यूज नहीं करती हो। उन लोगों की बातें सुनकर के मैंने भी पैड का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया। लेकिन मुझे बाजार में मिलने वाले पैड को लगाने से काफी कठिनाईयां होने लगी। जिसके बाद मैंने अपनी सहेली से इसका कारण पूछा तो उन लोगों ने भी इसे होने वाले तकलीफ के बारे में बताया कि इस पैड को उपयोग करने से कठिनाइयां तो होगी ही।

लोगों की बातों को सुनकर के मुझे अब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मैंने रिसर्च करने का विचार बना लिया क्योंकि मैं फार्मा की पढ़ाई की हुई हूं इसके साथ-साथ मेने एमबीए भी की हुई हूं और तकरीबन 8 साल तक कॉरपोरेट कल्चर में काम भी किया हूं। जिसमें मुझे मार्केटिंग और मैनुफैक्चरिंग की अच्छी खासी जानकारी है इसके साथ-साथ इसका मुझे एक्सपीरियंस भी काफी अच्छा है इसीलिए मैंने सोच लिया कि अब मैं इस पीरियड्स से होने वाले समस्याओं का समाधान जरुर निकालूंगी।

रिसर्च कर तैयार किए पैड

सुजाता बताती हैं कि मेरी शादी हो चुकी थी। जिसके बाद मैंने पीरियड्स के दौरान होने वाले समस्याओं का समाधान निकालने के लिए अपना काम शुरू करने लगी। मेरे काम में मेरे पति ने मुझे काफी सहयोग किए। मैं अपनी पति के सहयोग से ऑर्गेनिक पैड (Organic Sanitary pad) बनाने की खोज शुरू कर दी जिसके बाद मैंने ऐसे कई महिलाओं से मिली और उनसे बात की और उन सभी महिलाओं को मैंने ऑर्गेनिक कॉटन पैड के बारे में बताया। मैंने यह जाना कि वैसे कितने महिलाएं हैं जो इस कपड़े से बने पैड का उपयोग कर सकती हैं।

इसके बाद मैंने विदेशों में बनाए गए कपड़ों के पैड को यहां मंगवाया परंतु विदेशों में बने हुए कपड़े के पैड यहां के मौसम के अनुकूल नहीं था। जिसके बाद मैंने इस ऑर्गेनिक कॉटन पैड पर और भी अपना रिसर्च जारी रखा जिससे भारत में इसे हर मौसम में और सालों तक उपयोग किया जाए, इसके लिए मैंने खोज करनी शुरू कर दी। इस ऑर्गेनिक कॉटन पैड (Organic Cotton Pad) की खोज करने में काफी समय लगे। काफी मेहनत करने के बाद मुझे अंततः सफलता जरूर हासिल हो गई। मैंने अपने खोज मैं ऐसी ऑर्गेनिक कॉटन पैड बनाई जिससे महिलाओं को पीरियड्स के दौरान कठिनाइयां ना हो।

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रिसर्च करने में लगे ढाई साल (Initiative of Avni)

सुजाता बताती हैं कि मैंने आखिरकार अपनी मेहनत और रिचार्ज करने के बाद ऑर्गेनिक कॉटन पैड की खोज कर ली। इस ऑर्गेनिक कॉटन पैड की खोज करने में मुझे लगभग ढाई साल लग गए। मैंने एक ऐसे ऑर्गेनिक कॉटन पैड की खोज की जिससे महिलाओं को कठिनाईयों से बचाया जा सके। आपने यह देखा होगा कि बाजार में जो पैड मिलते हैं वह एक बार के बाद उसे दुबारा उपयोग नहीं किया जा सकता है परंतु मेरे बनाए हुए पैड को आप उसे कई बार धोकर के इस्तेमाल कर सकते हैं इस ऑर्गेनिक कॉटन पैड को महिलाएं 100 बार धोकर के भी इस्तेमाल कर सकती हैं। और इस पैड को लगाने से महिलाओं को गीलेपन जैसा महसूस नहीं होगा और उन्हें यह ऑर्गेनिक कॉटन पैड काफी आरामदायक रहेगा।

सुजाता कहती हैं कि हम इस ऑर्गेनिक कॉटन पैड को चार साइज में बना रही हूं जो महिलाओं को उनके जरुरत के अनुसार बनाया जाता है। यह ऑर्गेनिक कॉटन पैड को अवनि ब्रांड के नाम से जाना जाता है। इसके साथ-साथ पीरियड्स आने के दौरान जब पैड मैं दाग लग जाते हैं तो उस दाग को हटाने के लिए हम पीरियड्स वियर वॉश भी बनाते हैं। जिससे पैड पर लगे हुए दाग आसानी से निकल सके और उसे फिर से दुबारा उपयोग में लाया जा सके। इसके साथ-साथ हम मासिक धर्म कप भी बनाती हूं जिससे महिलाएं अपने सुविधा और जरुरत के अनुसार उसका चुनाव कर सके। मेरी इस ऑर्गेनिक कॉटन पैड की खोज से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान काफी आरामदायक महसूस होता है।

महिलाएं बनाती हैं पैड

सुजाता बताती हैं कि महिलाओं की मदद से मैं ऑर्गेनिक कॉटन पैड तैयार कर रही हूं इससे महिलाओं को काफी फायदा भी होता है जो महिलाएं बेरोजगार बैठी हुई है उन्हें इससे रोजगार भी मिल जाता है। इसके साथ-साथ हमारी इस खोज से महिलाओं के साथ पर्यावरण का भी काफी फायदा हो रहा है। मैंने इस ऑर्गेनिक कॉटन पैड को महिलाओं के लिए और महिलाओं द्वारा एक नई खोज की पहल की है। मेरी इस नई योजना से काफी कम समय में हमसे काफी सारी महिलाएं जुड़ गई है। और यह सभी महिलाएं हमारे टीम के एक हिस्सा बन गई हैं इसके साथ-साथ यह सभी महिलाएं मेरी ग्राहक भी बन गई है, जो यहां बनाए हुए ऑर्गेनिक कॉटन पैड का इस्तेमाल करती हैं।

सुजाता बताती हैं कि अपने इस पहल को मैं अब धीरे-धीरे इसे और भी आगे बढ़ा रही हूं इसके लिए हम गांव गांव में जाकर के महिलाओं और स्कूल के लड़कियों से मिल रही हूं। और इन सभी को मासिक धर्म स्वच्छता और पीरियड पैड को लेकर के जागरुक कर रही हूं। आज मुझे खुद पर गर्व महसूस होता है कि लोग अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए नौकरी की तलाश करते हैं परंतु मैं वैसा काम कर रही हूं जिससे महिलाओं की जिंदगी आसान बन सके। इसके लिए मैं लगातार कोशिश कर रही हूं ताकि महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले समस्याओं से आराम मिल सके।

प्रेरणा

सुजाता पवार से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि अगर हम अपनी समस्याओं को समाधान करने की ठान लें तो वह समस्या ज्यादा देर तक नहीं रहती। आज सुजाता उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गई है। इन्होंने अपनी खोज से सभी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले कठिनाईयों का हल दिया है।