शहरों की तुलना में गांव में ज्यादा हरियाली देखने को मिलती है। शहरों में जगह और समय दोनों की कमी होने के कारण लोग चाहकर भी पौधे नहीं लगा पाते, लेकिन मेरठ (Meerut) की सुमिता सिंह (Sumita Singh) के पास जगह कम होने के बावजूद भी पिछले 6 सालों से वह अपनी छोटी-सी बालकनी में पौधे लगा रही हैं। सुमिता को जहां भी खाली जगह मिलता है, वह वहां पौधे लगा देती हैं। -Sumita Singh from Meerut
बचपन से ही था पौधे लगाने का शौक
36 वर्षीया सुमिता सिंह (Sumita Singh) मेरठ के स्वामी विवेकानंद सुभारती यूनिवर्सिटी में फार्मेसी की प्रोफेसर हैं। वह बताती हैं कि उनका बचपन असम (Assam) में तिनसुकिया के पास एक छोटे से शहर में बीता, जहां काफी हरियाली है। कुछ समय बाद पिता का ट्रांसफर असम से उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोरखपुर में हो गया। यहां सुमिता को हरियाली की कमी बहुत खलती थी। जैसे-जैसे वह बड़ी हुई उनका पौधा लगाने का शौक भी बढ़ता गया।
फ्लैट की बालकनी में बागवानी कर रही हैं
फार्मेसी की पढ़ाई के लिए सुमिता लखनऊ चली गई थी। वहां भी उन्होंने कई पौधे लगाए। सुमिता पिछले 5 सालों से मेरठ के अपने फ्लैट की बालकनी में बागवानी कर रही हैं। उनके घर में 7 से 8 फ़ीट की दो बालकनियां हैं, जिसमें उन्होंने 120 किस्मों के 300 से ज्यादा पौधे लगाए हैं। सुमिता बताती हैं कि मेरे अलावा घर में किसी को बागवानी का इतना शौक नहीं था। -Sumita Singh from Meerut.
ज्यादातर लगाती हैं इनडोर प्लांट्स
सुमिता के घरवालों को लगता था कि ज्यादा पौधे रहेंगे तो मच्छर होंगे तथा गमलों के वजन से घर को नुकसान पहुंचेगा, लेकिन सुमिता ने इन छोटी-मोटी समस्याओं पर ध्यान ना देते हुए बागवानी में जुटी रही। अब जो भी उनके घर आता है, वह बालकनी की बागवानी देख सुमिता की तारीफ करता है। वह ज्यादातर इनडोर प्लांट्स लगाती हैं क्योंकि इससे घर की हवा ताज़ी रहती है। साथ ही ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ती है। सुमिता के पास इनडोर प्लांट्स की कई वैरायटी है, जिसमें स्नेक प्लांट की 5, रबर प्लांट की 3, ड्रेसीना (Dracaena) की 7 किस्में हैं। साथ ही बेबी सन रोज़, स्वीट पोटैटो वाइन, इंग्लिश आइवी, Z Z प्लांट जैसे बहुत से पौधे हैं।
पौधों का रखती हैं खास ख्याल
इनडोर प्लांट्स के साथ-साथ सुमिता सिंह (Sumita Singh) हर्ब्स प्लांट भी घर की बालकनी में लगाती हैं। जिसमें गिलोय, अजवाइन, लेमन ग्रास, बेसिल, पुदीना, करी पत्ता जैसे अनेक पौधे शामिल हैं। सुमिता बताती हैं कि सब्जी और फलों के पौधे उगाने के लिए ज्यादा जगह और सही सूरज की रौशनी के साथ देखभाल की जरूरत पड़ती है। इसे छोटी-सी बालकनी में उगाना बहुत मुश्किल है फिर भी वह सीजनल सब्जियां जैसे टमाटर, चेरी टमाटर, शिमला मिर्च, लहसुन, मिर्च जैसी सब्जियां उगाती हैं।
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रसोई से निकलने वाले कचरे से बनाती हैं कम्पोस्ट
सुमिता यह कोशिश करती हैं कि उनके रसोई से कुछ भी कचरा बाहर न जाए। उसका इस्तेमाल वह अपने बालकनी गार्डन में करती हैं। सब्जियों और फलों के कचरे से सुमिता कम्पोस्ट बनाती हैं। इसके अलावा बची हुई सब्जी, दाल, चावल धोने के बाद बचे पानी को भी वह पौधों में डालती हैं। इससे पौधों को पोषण मिलने के साथ-साथ पानी की भी बचत होती है। वह बताती हैं कि केले के छिलकों से बनी खाद या उसके सूखे छिल्के दोनों से ही पौधों को बढ़िया पोषण मिलता है। -Sumita Singh from Meerut.
हैंगिंग गमलें के जरिए लगाती हैं पौधे
सुमिता बताती हैं कि जगह कम होने के वजह से मुझे समय-समय पर पौधों की जगह बदलनी पड़ती है, ताकि सभी पौधों को सूरज की रौशनी मिल सके। ज्यादा वजन ना हो इसके लिए वह (Sumita Singh) प्लास्टिक के गमलों का इस्तेमाल करती हैं। इसके अलवा वह हैंगिंग गमलें भी लगाती हैं। वह बताती हैं कि पौधों को हैंग करते समय ध्यान देना होता है कि पौधे और गमले ज्यादा भारी न हो। सुमिता घर में बेकार पड़े प्लास्टिक के डिब्बे जैसे कोल्ड ड्रिंक की बोतलें, दही और डिस्पोसेबल फ़ूड के डिब्बे या कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट के बड़े बैग्स में पौधे लगाती हैं।
अपने दोस्तों को तोहफे में दिया स्नैक प्लांट
सुमिता पौधे लगाने के लिए मिट्टी की बजाय कोकोपीट और वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल करती हैं, जिससे बालकनी पर ज्यादा वजन ना पड़े। सुमिता बताती हैं कि घर में स्नेक प्लांट इतने ज्यादा हो गए थे कि उन्हें रखना मुश्किल हो गया था इसलिए उन्होंने दिवाली के तोहफे के तौर पर अपने दोस्तों को स्नैक प्लांट दिए। अब उन्हें जानने वाले लोग उनसे पौधों की मांग करते रहते हैं। उन्होंने कुछ ही दिन पहले अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है, जिसमें वह पौधों की देख-रेख की जानकारियां बताती हैं।
पौधों से घर का वातावरण अच्छा रहता है
सुमिता कहती हैं कि मैं चाहे कितनी भी व्यस्त रहूं लेकिन पौधों के लिए समय निकाल ही लेती हूं। सुबह कॉलेज जाने से पहले और काम से आने के बाद सुमिता नियमित रूप से पौधों का ख्याल रखती हैं। उनके पति को पहले पौधों में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन अब वह भी कई पौधों के नाम और उनके फायदे जान चुके हैं। बालकनी में लगे अलग पौधों के कारण उनके घर में एक अलग ही वातावरण होता है।
उनसे (Sumita Singh) प्रेरित होकर अब उनके कई दोस्तों अपने घर पर बागवानी कर रहे हैं। -Sumita Singh from Meerut is planting small plants in her balcony