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15 फसलों की 700 प्रजातियों पर रिसर्च कर कम पानी और कम लागत में होने वाले फसलों के गुड़ सिखाते हैं: पद्मश्री सुंडाराम वर्मा

आज युवाओं द्वारा सरकारी नौकरियां बहुत पसंद की जाती है। अगर नौकरियां आराम की हो तो कोई उसे क्यों छोड़ेगा। लोगों का मानना है कि सरकारी नौकरी में ज्यादा फायदा होता है। अगर हम कोई सरकारी नौकरी कर रहे हैं तो हमारे बच्चे और हमारा परिवार खुशी-खुशी जीवन बिता सकता है। लेकिन आज की कहानी कैसे किसान की है जिन्हें एक या दो बार नहीं बल्कि तीन बार सरकारी नौकरी लगी और उन्होंने उसे ठुकरा दिया और खेती करने लगे। आईए जानते हैं कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यूं किया और कृषि में अपना भविष्य बनाया और सफलता की इबारत लिख डाली।

सुंडाराम वर्मा

सुंडाराम वर्मा (Sundaram Varma) को राजस्थान (Rajasthan) में हर व्यक्ति जानता है। वैसे तो वह किसान हैं लेकिन उनकी समझ, नई तकनीकों का उपयोग द्वारा कोई कार्य करना कृषि वैज्ञानिकों की तरह है। इन सभी बातों का सबूत है वह 2020 में पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं। वह अपने कार्यों के लिए देश-विदेशों से दर्जनों की मात्रा में अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं। जब उन्हें पता चला कि कार्यों के लिए उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलने वाला है तब उन्हें बहुत खुशी हुई। सुंडाराम ने बताया कि यह पल मेरी जिंदगी में मिलने वाली सबसे अधिक खुशी का पल था। वह पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और जैव विविधता पर कार्य करते हैं और वह अपने कार्य को और आगे बढ़ाना चाहते हैं।

sundaram Varma with his teem

मात्र 1 लीटर पानी से करतें हैं पेड़ तैयार

सुंडाराम की कृषि की तरफ रुझान 1972 में ही हुआ था। उन्होंने बीएससी किया है और जब 3 बार शिक्षक की नौकरी लगी इस दौरान भी उन्होंने सरकारी टीचर बनने को नहीं चुना बल्कि खेती करने के लिए तैयार हुए। उन्होंने शुष्क वानिकी विधि के माध्यम से काम शुरू किया। सुंडाराम ने ऐसी तकनीक विकसित की जिसमें पौधों को पेड़ बनने तक मात्र एक लीटर पानी हीं लगे। 1 लीटर पानी से पेड़ तैयार करने में सफलता हासिल करने के लिए उन्हें सरकार की तरफ से “जल संरक्षण” क्षेत्र में मान्यता मिली। उनकी सराहना हरित क्रांति और कृषि वैज्ञानिक के पिता डॉ. स्वामीनाथ ने भी की है। 1 लीटर पानी से पौधों को तैयार करने में उन्हें पूरे 10 साल का समय लगा था।

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700 प्रकार की प्रजातियों को उगातें हैं

उन्होंने राजस्थानी फसल के रूप में ग्वार, काबुली चना, धनिया, मिर्च और मेथी के साथ 15 फसलों के 7 सौ प्रजातियों के बारे में अध्ययन किया। वे पानी की बचत के साथ अच्छा उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाने के तरीके के गुण सभी किसानों को सिखाते हैं। उन्हें राजस्थान में देशी कृषि वैज्ञानिक कहा जाता है। वह पिछले 25 वर्षों से अपने कृषि कार्य में लगे हुए हैं। सुंडाराम जी की एक और खासियत है कि उन्होंने “आदर्श फसल चक्र” को निर्मित किया है जिसकी मदद से 3 साल में 7 प्रकार की फसलें उगाई जा सकती हैं। वहां पर इस विधि से खेती करने वाले किसान को मात्र एक हेक्टेयर में लाखों का मुनाफा हो रहा है।

मिल चुके हैं कई पुरस्कार व सम्मान

वैसे तो सुंडाराम जी को इंटरनेशनल और नेशनल पुरस्कार मिले हैं। लेकिन उनका प्रथम पुरस्कार वर्ष 1997 में “एग्रो बायो डायवर्सिटी बायो” मिला। फिर दूसरा 1998 में राष्ट्रीय स्तर पर “जगजीवन रामकिशन” अवार्ड मिला और इनका तृतीय अवार्ड “पंडित पुरस्कार” है जो राज्य सरकार से मिला है।

​पानी की बचत के साथ खेती करने और उसके गुण को अन्य किसानों को सिखाने के लिए The Logically सुंडाराम जी को सलाम करता है।

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