मनुष्य के जीवन में किसी काम को करने के प्रति लगन और मेहनत का बड़ा महत्व है। जिस मनुष्य में लगन है वह बूढ़ा भी युवा है, तथा जिसमें लगन और श्रद्धा नहीं हैं वह युवा भी बूढ़े के समान है। लगन के कारण ही अनेकों लोग जिन्हें जीवन में अवसर नहीं मिलने पर भी अपनी राह बना लेते हैं और सफल हो जाते हैं। इंसान अपनी मेहनत और लगन के भरोसे जीवन में नये रास्तों का निर्माण करते हैं और आत्मनिर्भर बनते हैं। आजकल खेतों का रकबा घट रहा है और जनसंख्या में लगातार वृद्घि हो रही है। लोग कृषि से अपना मुंह मोड़ रहे हैं।
आज हम आपको ऐसी हीं एक आत्मनिर्भर महिला के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसकी लगन के आईडिया ने उसे आत्मनिर्भर बना दिया है। उस महिला के दिखाए रास्तों पर चलकर आप भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इतना ही नहीं बल्कि उसके द्वारा दिखाये गए रास्तों पर चलकर अपनी जरुरत के समान के साथ-साथ अच्छी आमदनी भी किया जा सकता है। तो आइए जानतें है उस महिला के बारे में।
सुनीता प्रसाद (Sunita Prasad) बिहार (Bihar) के सारण (Saran) जिले के बरेजा गांव की रहने वाली हैं। उनके पति का नाम सत्येंद्र प्रसाद है। सुनीता ने सिर्फ 10 कक्षा तक की हीं पढ़ाई की है। सुनीता ने खेती करने में जिस तकनीक का उपयोग किया है, उसे वर्टिकल खेती कहा जाता है। सुनीता को शुरु से ही सब्जियां उगाने का बहुत शौक था। उन्होंने बताया कि घर का कोई भी बर्तन टूट जाता है, उस टूटे बर्तन में मिट्टी डालकर कुछ-न-कुछ लगा देती थी। एक बार की बात है सुनीता ने कबाड़ी वाले के पास एक पाईप देखी और उसे खरीद लिया। वह पाइप ऐसे हीं छत पर कुछ दिनो तक बेकार पड़ा रहा और उसमें मिट्टी जमा हो गई। बारिश के मौसम में पाइप में पानी पड़ा तो उसमें से घास निकलने लगे। यह देख कर सुनीता के मन में उपाय सुझा।
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सुनीता के इस काम में उनके पति ने भी उनका पूरा समर्थन किया। अपने पति से सुनीता ने वैसा और भी पाईप मंगवाई। उसके बाद सुनीता ने पाइप में मिट्टी भरकर उसमे छेद किया और पौधों को लगाया। सुनीता का उपाय कारगर सिद्ध हुआ। उसकी सहयता से सुनीता घर में ही गोभी, बैगन जैसी अन्य सब्जियां भी उगाने लगीं। सफलता की कहानी छुपती नहीं हैं। सुनीता की सफलता की कहानी भी नहीं छुपी और वह कृषि विज्ञान केंद्र तक पहुंच गई। कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों ने सुनीता को प्रदर्शनी लगाने का सुझाव दिया। 10वीं कक्षा तक पढ़ने के बाद भी वे आत्मनिर्भर बन गई हैं और अपने आईडिया से लोगों को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।
सुनीता ने कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों के द्वारा दिए गये सुझाव से प्रदर्शनी लगाई। प्रदर्शनी लगाने के लिए उन्हें किसान अभिनव सम्मान से सम्मानित किया गया। सुनीता के काम को डीडी किसान का एक खास शो महिला किसान अवार्ड में भी सम्मिलित किया गया। सुनीता प्रसाद द्वारा किए गये कार्यों की सराहना भी की जा रही है।
उत्पादन बढ़ाने के लिए सब्जियों में कई प्रकार के कीटनाशक और रसायनों का प्रयोग तेजी से किया जा रहा है। सुई देकर सब्जियों के आकार में वृद्धि की जा रही है। इस तरह की सब्जियों के सेवन से मनुष्य का स्वास्थ्य हमेशा बिगड़ता रहता है। ऐसे में सुनीता के द्वारा की गई वर्टिकल खेती शहरों में रह रहे सभी के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है। यदि चाहे तो सभी लोग छत पर पाइप वाली खेती का इस्तेमाल कर के सब्जियां उगा सकते है। पाईप के जगह बांस का प्रयोग भी किया जा सकता है। सुनीता के अनुसार वर्टिकल खेती में पाईप के लिये 800 रुपये का खर्च आता है वहीं बांस से इसमें सिर्फ 100 रुपये में हो जाता है।
सुनीता ने बताया कि आरंभ के दिनों में उन्होंने पॉल्ट्री फार्म खोला था लेकिन उससे अधिक मुनाफा नहीं हुआ। उसके बाद सुनीता ने मशरुम के उत्पादन में काम करना शुरु किया। हालांकि आरंभ में मशरुम उत्पादन के कार्य में भी सुनीता को कुछ मुश्किलें हुईं। लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और उनका कार्य आगे बढ़ने लगा। सुनीता ने अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को भी मशरुम की खेती से जोड़ा। वर्तमान में वह इसकी सहायता से सालाना 2 लाख रुपयों की आमदनी कर रही हैं। घर बैठे जब एक गृहिणी आमदनी कर सकती है तो खासकर पुरूष लोग कोशिश कर बहुत कुछ कर सकते हैं।
सुनीता प्रसाद द्वारा लिए गए खेती की वीडियो देखें
लोगों को वर्टिकल खेती के बारें में जानकारी देने व उन्हें प्रेरित करने हेतु The Logically सुनीता जी की खूब सराहना है और अपने पाठकों से उम्मीद करता है कि वह रसायन वाली खेती छोड़ जैविक खेती करने की ओर अग्रसर होंगे।