साल भर के लंबे इंतजार के बाद पर्यटकों को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित मुग़ल बाग (Mughal Gardens) की खूबसूरती देखने का मौका मिलता है। हर साल वसंत ऋतु में एक महीने के लिए इसे आम जनता के घूमने हेतु खोल दिया जाता है।
डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद ने मुग़ल गार्डन को पर्यटकों के लिए खोलने की अनुमति दी
स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) ने मुग़ल गार्डन को जनता के लिए खोलने की बात की थी। उन्हीं की वजह से प्रति वर्ष मध्य-फरवरी से मध्य-मार्च तक हम (आम जनता) इस आकर्षक गार्डन की खूबसूरती का लुत्फ उठा सकते हैं।
ब्रिटिश काल में बने बाग़ का नाम मुग़ल गार्डन क्यों पड़ा???
मुग़ल गार्डन की परिकल्पना 1911 में हुई थी। बात तब की है, जब अंग्रेजों ने भारत की राजधानी कोलकाता से बदलकर दिल्ली की थी। दिल्ली और वायसराय हाउस (वर्तमान का राष्ट्रपति भवन) डिजाइन करने के लिए इंग्लैंड के महान वास्तुकार एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स को भारत बुलाया गया था। उन्होंने रायसीना की पहाड़ी काटकर वायसराय हाउस का नक्शा तैयार किया। नक्शे में ब्रिटिश शैली का एक बागीचा भी था। तत्कालीन वाइररॉय लॉर्ड हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग ने श्रीनगर में निशात बाग और शालीमार बाग देखे थे। उन्हें भारतीय शैली के मुगल उद्यान काफ़ी पसंद आए थे। इसलिए उन्होंने लुटियन्स के सामने अपना प्रस्ताव रखा। फिर लुटियन्स ने जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत उद्यानों, ताजमहल के उद्यान तथा पारसी व भारतीय बाग़ का भ्रमण किया और अंततः वायसराय हाउस के उद्यान का खाका तैयार किया। चूंकि यह बाग़ मुगलों के कलाकृति एवं बागवानी से प्रेरित होकर बनाया गया है, इसलिए इसका नाम मुगल गार्डन पड़ा।
मुग़ल गार्डन के मुख्य भाग में 12 फीट ऊंचे झरने बाग़ की खूबसूरती बढ़ाते हैं
वायसराय हाउस और आकर्षक व मनमोहक मुगल गार्डन का निर्माण 1912 में शुरू हुआ था जो 1929 में पूरा हुआ। मुग़ल गार्डन में छोटे बड़े कई बगीचे हैं जो अपनी खुशबू और सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। गार्डन के मुख्य भाग में दो नहरें हैं जो इस उद्यान को कई छोटे-छोटे वर्गों में बांटती हैं। इन नहरों के संगम पर कमल के आकार के छह झरने हैं। इस झरने का पानी 12 फीट ऊंचाई तक जाता है और अत्यंत ही सुरीली व संगीतात्मक ध्वनि पैदा करता है। यह झरने बाग़ की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
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डॉ० जाकिर हुसैन ने बाग़ में लगवाएं कई किस्म के गुलाब
रोज गार्डन, जहां गुलाब की लगभग 250 से ज़्यादा किस्में हैं। लाल, पीला, नीला, हरा, काला क़रीब-क़रीब हर रंग का गुलाब यहां देख सकते हैं। देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ० जाकिर हुसैन (Dr. Zakir Hussain) गुलाबों के अत्यंत शौकीन थे। उन्होंने देश-विदेश से गुलाब की कई किस्में मंगवाकर यहां लगवाई और बाग की सुंदरता बढ़ाई।
मुग़ल गार्डन के आकर्षक केंद्र
रोज गार्डन के अलावा मुग़ल गार्डन के एक हिस्से में औषधि उद्यान भी है जहां जड़ी बूटी और औषधियां उगाई जाती हैं। यहां तितलियों के लिए भी फूलों के पौधों की बहुत सी पंक्तियां लगी हुई हैं। इस हिस्से को बटरफ्लाई गार्डन कहते हैं। इसके अलावा पर्ल गार्डन, सकरुलर गार्डन, सनकीन गार्डन, कैक्टस गार्डन, न्यूट्रीशियन गार्डन भी है। यहां आप बायो डायवर्सिटी पार्क, म्यूजिकल फाउंटेन और बायो फ्यूल पार्क की भी सैर कर सकते हैं। गार्डन के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन का संग्राहलय भी देख सकते हैं।
डॉ॰ शंकर दयाल शर्मा ने बाग़ में लगवाएं ठेठ भारतीय फूल
मुग़ल गार्डन में अनेक प्रकार के गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी, बॉगनविलिया, स्वीट विलियम आदि फूलों की प्रजातियां हैं। इनके अलावा ट्यूलिप, मोगरा-मोतिया, रजनीगंधा, बेला, रात की रानी, जूही, जैसे और भी कई फूल देखने को मिलेंगे। भारत के नवें राष्ट्रपति डॉ॰ शंकर दयाल शर्मा को फूलों से अधिक उनकी खुशबू से प्यार था। इसलिए उन्होंने मुग़ल बाग में अनेक खुशबूदार फूलों के पौधों को लगाने पर जोर दिया था। उनके कार्यकाल में बाग़ को चम्पा, चमेली, हरसिंगार जैसे ठेठ भारतीय फूल से सुशोभित किया गया।
आम तौर पर मुग़ल गार्डन फरवरी के पहले सप्ताह से पर्यटकों के लिए खुल जाता है। मंगलवार से रविवार तक पर्यटक किसी भी दिन सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे के बीच यहां जाकर घूम सकते हैं। सोमवार के दिन रखरखाव के लिए बाग़ बंद रहता है।
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