हमारे पुरुष प्रधान देश में महिलाओं को प्रताड़ित किया जाना बहुत आम बात है। यहां एक महिला को कदम दर कदम प्रताड़ना का शिकार होना ही पड़ता है। कभी घर में.. तो कभी ससुराल में.. कभी रास्ते पर.. तो कभी ऑफिस में। महिलाओं की जिंदगी में सुकून मानो तो कहीं भी नहीं है। एक महिला ही दूसरों को खुशियां देने के लिए अपनी जिंदगी में हर खुशी कुर्बान कर देती हैं। इसके बावजूद उसे कभी वह सम्मान नहीं मिल पाता, जिसकी वह हकदार होती है।
हमारे देश की वर्षों पुरानी परंपरा है महिला और पुरुष में भेदभाव रखना, जो आज निभाया जा रहा है। पढ़े-लिखे समाज में ऐसा मामला थोड़ा कम देखने को मिल रहा है, लेकिन कुछ ही जगहों पर। यहां जन्म से ही लड़का और लड़की में भेदभाव शुरू कर दिया जाता है। दोनों का हक तो बराबर होता है लेकिन लड़के को हर आजादी मिल जाती है, वहीं लड़की को नहीं मिलती। हालांकि अब यह थोड़ा कम हो रहा है लेकिन पूरी तरह से बदलने में न जाने कई पीढ़ियां अभी ऐसे ही कुर्बान होंगी।
घरेलू हिंसा (Domestic Voilence) के शिकार महिलाओं के लिए हमारे देश में कई कानून है लेकिन इसकी जानकारी सभी को नहीं है। यहां महिलाओं को कोई सहारा देने वाला नहीं है। अगर वह कानूनी मदद भी लेना चाहती हैं तो उन्हें जानकारी भी नहीं है कि उनके लिए क्या-क्या कानून व्यवस्था है। ऐसे ही महिलाओं के लिए सहारा बनी हैं, एलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी (Advocate Alexandra Venus Bakshi)। ये घरेलू हिंसा से प्रताड़ित महिलाओं को कानूनी मदद मुहौया करवा रही हैं, वो भी बिल्कुल मुफ्त में।
घरेलू हिंसा के शिकार महिलाओं की मसीहा
घरेलू हिंसा के शिकार महिलाओं के लिए मसीहा कहलाने वाली महिला एलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी हैं, जो पेशे से सुप्रीम कोर्ट में वकील है(Advocate of Supreme court)। वह घरेलू हिंसा के शिकार महिलाओं के लिए मुफ्त में कानूनी मदद दिलाने का काम करती हैं। एलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी (Advocate Alexandra Venus Bakshi) का का कहना है कि मनुष्य या कोई अन्य प्राणी दूसरे मनुष्यों की पीड़ा को स्वयं भी महसूस करें तो वह संवेदनशीलता है। ऐसी संवेदनशीलता तो बहुत कम ही लोगों में पाई जाती है। यही वजह है कि वह घरेलू हिंसा के शिकार महिलाओं के लिए वर्षों से खुद कानूनी लड़ाईयां लड़ रही हैं, वो भी बिना किसी शुल्क के।
एलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी (Advocate Alexandra Venus Bakshi) नोएडा सेक्टर 31 में रहती हैं, जो सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता हैं। जाहिर सी बात है कि किसी के लिए अपनी नौकरी ही सबसे प्यारी होती है, इनके लिए भी होगी। लेकिन यह महिला अन्य लोगों से बहुत अलग हैं क्योंकि यह खुद दूसरों की पीड़ा को महसूस करती हैं और उसकी मदद करने का हर संभव प्रयास भी करती हैं। यहां तक कि कानूनी इंसाफ भी दिलाती हैं। जो महिला आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनसे वीनस बख्शी किसी भी तरह की फीस भी नहीं लेती हैं।
एलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी का वकील बनने का सफर
एलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी दिल्ली के गार्गी कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद कानूनी पढ़ाई पूरी की और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में वकील के रूप में अपना कार्यभार संभाल रही है। पिछले 10 वर्षों से एलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी (Advocate Alexandra Venus Bakshi) नि:स्वार्थ भाव से महिलाओं की मदद कर रही हैं और अभी भी उनका यह सिलसिला जारी है।
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वकालत के साथ करती हैं यह काम
पेशे से वकील (Advocate of Supreme court) होने के साथ-साथ ऐलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी एक उपन्यासकार और कवि (Poet) भी हैं। इनकी लिखी उपन्यास “आरंभ की ग्यारह कहानियां” समाज के अन्याय और बुराइयों पर ही आधारित है। इनके द्वारा लिखे गए इस उपन्यास को हर व्यक्ति को जरूर पढ़ना चाहिए, विशेषतः महिलाओं को क्योंकि महिलाओं में जागरूकता की बहुत ज्यादा कमी है। उन्हें सभी जगह सिर्फ उल्लाहने ही सुनने को मिलती है। वह अपने मूल अधिकारों से भी वंचित रह जाती हैं।
पिछले दो वर्षों में अधिक संख्या में औरतों को घरेलू हिंसा (Domestic Voilence) का शिकार होना पड़ा है। को’रोना वायरस संक्रमण के दौरान सभी लोगों को घर में ही रहना पड़ रहा था। ऐसे में पहले के मुकाबले और भी ज्यादा महिलाओं को प्रताड़ित होना पड़ा है। ऐसी मुश्किल घड़ी में भी ऐलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी ने घर बैठे महिलाओं के लिए मोबाइल नंबर मुहैया कराई और आधी रात को भी महिलाओं की समस्या का समाधान निकाली है।
गुप्त रखा जाता है प्रताड़ित महिलाओं का नाम
ऐलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी के अनुसार घरेलू हिंसा से प्रताड़ित महिला का नाम और पहचान सबके सामने नहीं लाया जाता। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि समाज में उसके मान सम्मान को ठेस नहीं पहुंचे। ऐसा सामाजिक दबाव के कारण भी करना पड़ता है। अगर कोई महिला घरेलू हिंसा के शिकार होकर अत्याचार करने वालों पर शिकायत दर्ज कराती है, तो हमारा समाज उसे बहुत हीन दृष्टि से देखता है। क्योंकि हमारे समाज में आवाज उठाने का अधिकार सिर्फ मर्दों को ही मिला है। अगर कोई औरत अपने ऊपर हुए अत्याचार के लिए कानूनी मदद का सहारा लेती हैं और कोर्ट का दरवाजा खटखटाती हैं तो उसे हमारे समाज में सम्मान और आधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है। इसीलिए घरेलू हिंसा के शिकार महिलाओं का नाम गुप्त ही रखा जाता है।
घरेलू हिंसा का ही एक रुप है मानसिक प्रताड़ना
कानून के नजरों में ऐसी महिलाओं को भी पीड़ित माना जाता है जिन्हें मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। कई बार महिलाओं के ऊपर अपनी मनमानी के लिए भी मानसिक दबाव भी बनाए जाते हैं.. तो कभी दहेज़ के लिए भी प्रताड़ित की जाती है। महिलाओं के ऊपर हो रहे कोई भी अत्याचार उन्हें प्रताड़ित करना ही हुआ, इसके लिए कड़ी कानून व्यवस्था बनाई गई है। अगर कोई महिला अपने ऊपर हुए अत्याचार के लिए आवाज उठाती है, तो हर संभव कानून उसकी मदद करता है।
हमारे समाज में ऐसी महिलाएं बहुत कम है जो अपने ऊपर हुए अत्याचार के लिए आवाज उठाई हों लेकिन हमारे बीच की ही एक महिला हैं ऐलेक्जेंड्रा वीनस बख्शी (Advocate Alexandra Venus Bakshi)। जो खुद की ही नहीं सभी महिलाओं के तकलीफ सुनती हैं और उसके लिए लड़ाइयां भी लड़ती है, यहां तक कि उन्हें बिना किसी शुल्क के इंसाफ में दिलाती हैं। खुद की आवाज हमें खुद ही बनना होगा क्योंकि हम डरेंगे तो और भी डराए जाएंगे।