मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मोरेटोरियम के दौरान ब्याज वसूली के खिलाफ दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस के कॉल एवं जस्टिस एम आर साह की पीठ ने केंद्र सरकार एवं रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया को एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
इस याचिका को एक ऐसे लेनदार ने दाखिल किया है, जो 27 मार्च के रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के नोटिफिकेशन से व्यथित हैं। इस नोटिफिकेशन के अनुसार कर्जदाता मोरेटोरियम अवधि का ब्याज भी लेनदार से वसूल करेंगे। गौरतलब है कि मोरेटोरियम अवधि को अब 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है।
याचिकाकर्ता के तरफ से बोलते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने मांग किया कि उनके मुअक्किल का कुल ब्याज इस केस के फैसला आने के बाद ही जोड़ा जाए।
इस याचिका में दावा किया गया है कि मोरेटोरियम के दौरान ब्याज लिया जाना असंवैधानिक है चूँकि इस लॉकडाउन के कारण लोगों की आमदनी बिल्कुल ही समाप्त हो गई है।
याचिकाकर्ता के अनुसार रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया का यह नोटिफिकेशन न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है चूँकि यह लेनदारों के बोझ को और बढ़ाता है।
अंत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के तरफ से जवाब आने के बाद ही आगे की सुनवाई की जाएगी।