यदि मनुष्य के अंदर हिम्मत, लगन और आत्मविश्वास हो तो वह किसी भी मंजिल को हासिल कर सकता है। फिर चाहें किसी भी परिस्थितयों का सामना क्यों न करना पड़े, अपनी कहानी लिखने का जोश और जुनून रखने वाले किस्मत की लकीरें बदल ही देते हैं। इसका ताजा उदाहरण हैं सुप्रीति कच्छप (Supriti Kachhap), जिन्होंने महज 19 वर्ष की उम्र में खेलो इंडिया (Khelo India) में गोल्ड मेडल (Gold Medal) जीतकर नया रिकॉर्ड कायम किया है।
3000 मीटर की दौड़ को 9 मिनट में किया पूर्ण
The Indian Express के अनुसार, सुप्रीति कच्छप (Supriti Kachhap) ने एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया में नेशनल अवार्ड अपने नाम दर्ज किया। इसके अलावा पंचकूला में “खेलो इंडिया यूथ गेम्स” (Khelo India Youth Games) चल रहा है जिसमें उन्होंने 3000 मीटर की दौड़ को 9 मिनट 46.14 सेकेंड में पूरा करके गोल्ड मेडल अपने नाम किया। बेटी की सफलता देख उनकी मां के खुशी का ठिकाना नहीं था। वे इतनी अधिक प्रसन्न थीं कि उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक आए।
कौन है सुप्रीति?
दरअसल, सुप्रीति कच्छप झारखण्ड के गुमला जिले की रहनेवाली हैं और उनके पांच भाई-बहन हैं। उनके पिता का नाम रामसेवक ओरांव था और वे एक वैद्य थे। उनकी माता का नाम बालमती देवी है। सुप्रीति उस समय बेहद छोटी थी जब उनके पिता ने आखिरी सांस ली। उनके लिए वर्ष 2003 का दिसंबर महीने का वह दिन बेहद ही बुरा था। हालांकि, वह दिन सुप्रीति को याद नहीं क्योंकि वह बेहद छोटी थी लेकिन उनकी माता के आगे आज भी वह दृश्य चमकता है।
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बेहद छोटी उम्र में ही छूटा पिता का साथ
दिसंबर के महीने में सर्द का मौसम रहता है उसी माह में रात के समय सुप्रीति की मां अपने बच्चों के साथ उनके पिता की राह देख रही थीं। उनके पति गांववालों के साथ पास के स्थित गांव में रोगी को देखने गए थे। लेकिन अब किसे पता था कल का सूर्योदय उनके जीवन के उजाले को खत्म कर देगा। अगले सुबह उन्होंने देखा कि नक्सलियों ने उनके पति और बाकी गांववालों की लाश को पेड़ से लटका दिया है। उनके शरीर में इतनी गोलियां लगी थी कि शरीर छलनी हो गया था।
अभी चलना भी नहीं सीखा था तभी पिता ने ली आखरी सांस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीति की माता ने बताया कि, नक्सलियों द्वारा जब उनके पिता की ह्त्या कर दी गई थी उस वक्त सुप्रीति ने चलना भी नहीं सीखा था। अब पांच बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी सब सुप्रीति के मां के ऊपर आ गई और उन्होंने अकेले ही अपना और अपने बच्चों की देखरेख की।
जीवनयापन के लिए मां BDO ऑफिस में करने लगी नौकरी
घर का खर्च चलानेवाला जब इस दुनिया से चला जाए तो घर चलना एक कठिन कार्य होता है। ऐसे में जब सुप्रीति के पिता को नक्सलियों द्वारा ह्त्या कर दी गई तब जीवनयापन के लिए उनकी मां घाघरा ब्लॉक के BDO ऑफिस में नौकरी करने लगी। उस नौकरी में उन्हें रहने के लिए सरकारी क्वार्टर भी मिला था। वह कहती हैं कि जब सुप्रीति छोटी थी तो रेलवे ट्रैक पर दौड़ती थी। वहां से शुरु दौड़ आज नेशनल पोडियम तक पहुंच चुकी है।
गोल्ड मेडल जीतकर रचा इतिहास
इंटर स्कूल में एक प्रतियोगिता थी उसी दौरान प्रभात रंजन तिवारी जो एक कोच थे, सुप्रीति के दौड़ से काफी प्रभावित हुए और उनके गुरु बनने का फैसला किया। उसके बाद साल 2015 में सुप्रीति झारखंड स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर जो गुमला में स्थित है, आ गई और ट्रेनिंग करने लगी। कोच प्रभात रंजन कहते हैं कि, वैसे तो वह कई इंटर स्कूल में होनेवाले दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लेती थी। लेकिन सुप्रीति ने सबसे पहले 400 और 800 मिटर की दौड़ में भाग लिया था। उसके बाद ये सिलसिला बढ़ते गया। उन्होंने 1,500 और फिर 3,000 मिटर की दौड़ में हिस्सा लेने के साथ-साथ गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया।
पिता जिन्दा होते तो आज उन्हें बेटी पर गर्व होता
सुप्रीति की मां कहती हैं कि, सुप्रीति को हमेशा से ही दौड़ने में मन लगता है। उनके अनुसार, सुप्रीति अक्सर कहती हैं कि यदि आज उनके पिता इस दुनिया में होते तो उनकी सफलता से बेहद प्रसन्न होते और अपनी बेटी पर गर्व करते। हालांकि, वह ऊपर से हमें देख रहें हैं। सुप्रीति की मां कहती हैं कि, जब बेटी घर आएगी तो मेडल को घर में अच्छी जगह पर बहुत ही अच्छे से सजाकर रखेंगी।
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सुप्रीति ने अपने नाम किया अनेकों रिकॉर्ड्स
वर्ष 2019 में मथुरा में क्रॉस कंट्री चैम्पियनशिप में 2,000 मीटर की दौड़ हुई थी, जिसमें सुप्रीति ने सिल्वर मेडल जीतकर नेशनल मेडल अपने नाम किया। यह उनकी पहली जीत थी। इतना ही नहीं बल्कि वर्ष 2019 में ही गुंटूर में नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 3000 मीटर दौड़ में उन्होंने भाग लिया था, जिसमें उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया। इसके अलावा साल 2021 में गोवाहाटी में हुए जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 3000 मीटर की दौड़ को उन्होंने महज 10 मिनट 5 सेकंड में ही पूर्ण कर लिया था। वह अविनाश साब्ले को अपना रोल मॉडल मानती हैं।
सुप्रीति ऐसे ही आगे बढ़ते रहे और देश का नाम रोशन करे, इसके लिए The Logically उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं देता है।