मोमबती (Candle) का इस्तेमाल रौशनी और घरों की खुबसूरती बढ़ाने के लिए तो किया ही जाता है, साथ ही वर्तमान में हर सेलिब्रेशन जैसे, बर्थडे पार्टी, क्रिसमस पार्टी, एनिवर्सरी पार्टी या तीज-त्योहार और दिवाली में भी इसका काफी प्रयोग किया जाता है। इतना ही नहीं फैशन के हिसाब से अब इसमे भी अलग-अलग वेरायटी और खुशबू वाले मोमबती की डिमांड अधिक है जिसके कारण इसकी बिक्री भी धड़ल्ले से हो रही है।
कैंडल इस्तेमाल करने और इससे अपने-अपने घरों की शोभा बढ़ाने में हम सभी इतने अधिक मशगूल हो जाते हैं कि, इससे हमारे सेहत पर पड़ने वाले नुक्सान के बारें में हम नहीं सोच पाते हैं। दरअसल, मोमबती से निकलने वाला जहरीला पैराफिन वैक्स हमारी सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। इसके प्रभाव से सिर दर्द, सांस लेने में समस्या और अस्थमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं कई बार यह ट्यूमर और कैंसर जैसी बीमारियों का भी कारण होता है।
ऐसे में इको फ्रेंडली कैंडल (Eco-Friendly Candles) का इस्तेमाल मोमबती से होनेवाले इन गंभीर बीमारियों से बचने का सरल उपाय है। अब आप सोच रहे होंगें कि इको-फ्रेंडली कैंडल कैसा होता है। तो बता दें कि तनुश्री जैन ने स्वास्थ्य की ध्यान में रखते हुए ऐसे ही पहल की शुरुआत की है, जो प्राकृतिक वैक्स की सहायता से जैविक मोमबती बना रही हैं।
तनुश्री जैन के बारें में कुछ बातें..
तनुश्री जैन (Tanushree Jain) जयपुर (Jaipur) की रहने वाली है और एक मध्यम परिवार से संबंध रखती हैं। साल 2017 में कंप्यूटर साइंस (CS) से इंजीनियरिंग करने के बावजूद भी इस सेक्टर में रूचि नहीं होने के कारण उन्होंने कई कंपनियों के जॉब के ऑफर को ठुकरा दिया। वह अक्सर चाहती थी कि ग्राउंड लेवल पर स्थानीय लोगों के साथ काम करें। इस काम की शुरुआत उन्होंने पढ़ाई के दौरान ही स्थानीय कामगारों के साथ मिलकर कर दी थी।
स्थानीय कारीगरो के प्रोडक्ट की मार्केटिंग में किया अपने टेक्नीकल स्किल का इस्तेमाल
तनुश्री के अनुसार, स्थानीय कारीगरों और कलाकारों को मार्केटिंग में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बेहतर प्रोडक्ट बनाने के बावजूद भी मार्केटिंग नहीं कर पाने की वजह से उनकी आमदनी पर इसका काफी असर पड़ता है। अपने यहां के स्थानीय कलाकारों की समस्याओं को देखते हुए तनुश्री ने अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल उनकी अलग-अलग ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों की मार्केटिंग में करने लगी। ऐसा करके उन्हें भी इसके बारे में अच्छी खासी जानकारी प्राप्त हो गई।
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कैसे आया ऑर्गेनिक कैंडल बनाने का विचार?
जब तनुश्री ने इंडियन स्कूल ऑफ डेवलपमेंट मैनेजमेंट से मास्टर्स की शिक्षा ले रही थी। उस दौरान उन्हें दिल्ली रहना पड़ा, जहां की हवा उनके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं था और इसका असर उनकी सेहत पर पड़ा। दरअसल उन्हें सांस से संबंधित समस्याएं होने लगी, जिसपर उन्होंने रिसर्च करना शुरु कर दिया, जिसके बाद उन्हें यह जानकारी मिली कि केमिकल युक्त मोमबती को जलाना बहुत बड़ा कारक है। ऐसे में अब वह इसे बनाने की प्रोसेस के बारें में जानकारी जुटाने लगीं।
वह बताती हैं कि, काफी स्टडी और रिसर्च करने के बाद यह जानकारी मिली कि मोमबती बनाने में अधिकांश लोग ऐसे रासायनों का प्रयोग करते हैं जिन्हें जलाने से प्रदूषण फैलता है जो हमारी सेहत के लिए काफी घातक सिद्ध हो सकता है। ऐसे में यदि एरोमेटिक हर्ब और नेचुरल वैक्स से बने तेल का प्रयोग मोमबती बनाने में किया जाए, तो इससे स्वास्थ्य को नुक्सान नहीं होगा और गंभीर बीमारियों से बचाव हो सकती है।
शुरु की खुद का स्टार्टअप
उसके बाद साल 2018 में तनुश्री ने जैविक मोमबती (Organic Candle) बनाने के बारें सोचा और इसके लिए उन्होंने अपने आसपास के कारीगरों से बात की। उनके इस काम को करने के लिए 10 महिलाएं आगे आई, जिन्हें उन्होंने सबसे पहले मोमबती बनाने का प्रशिक्षण दिया। उसके बाद उन्होंने मोमबत्ती बनाने में इस्तेमाल होने वाले रॉ मटेरियल पर इकट्ठा किया और घर से ही इसे बनाने का कार्य शुरू कर दिया। इस प्रकार उन्होंने 10 महिलाओं के साथ “Nushaura” नाम से अपना खुद का स्टार्टअप शुरु किया। इस स्टार्टअप को सेटअप करने में उन्हें डेढ़ लाख का खर्च आया।
20 अलग-अलग वेरायटी की कैंडल्स हैं मौजूद
तनुश्री कहती हैं कि, बाकियों की तुलना में उनके प्रोडक्ट की क्वालिटी बेहतर होने की वजह से लोगों को उनका उत्पाद काफी पसंद आया। इसी तरह उनका प्रोडक्ट धीरे-धीरे लोगों के बीच लोकप्रिय होने लगा और उनका बिजनेस चल पड़ा। जैसा कि आप जानते हैं आजकल कैंडल के भी अलग-अलग प्रकार मार्केट में मौजूद हैं। तनुश्री द्वारा बने प्रोडक्ट में भी अभी 60 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम तक लगभग 20 किस्मों के मोमबती मौजूद हैं। उन मोमबतीयों की शुरुआती कीमत 99 रुपये से लेकर 1999 रुपये तक है।
250 महिलाएं को रोजगार से जोड़ा
उनके इस स्टार्टअप के जरिए कई महिलाओं को रोजगार मिला है। वह चाहती हैं कि अधिक से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बने। यही वजह है कि वर्तमान में उनके साथ राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक ढाई सौ महिलाएं काम कर रही हैं, जिन्हें काम के लिए बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ती है। वे सभी महिलाएं अपने घर पर ही मोमबत्ती बनाती हैं और जब कैंड्ल्स तैयार हो जाती है तो वे उन्हें तनुश्री तक पहुंचा देती हैं। उसके बाद प्रोडक्ट की बिक्री होने के बाद जो कुल कमाई होता है उसे सभी कारीगरों के बीच बराबर हिस्सों में बांट दिया जाता है।
कैसे बनता है ऑर्गेनिक कैंडल?
तनुश्री ने बताया कि, जैविक मोमबत्ती (Organic Candle) बनाने के लिए तीन चीजों नेचुरल वैक्स, कॉटन की बत्ती और इसेंशियल ऑयल की आवश्यकता होती है। मोमबत्ती बनाने के लिए सबसे पहले नेचुरल वैक्स को गर्म करके उसमें इसेंशियल ऑयल मिलाकर कैंडल बनाने वाले डमी कंटेनर में भरा जाता है, जिसमें पहले से ही कॉटन की बत्ती लगी रहती है। इस प्रक्रिया के कुछ समय बाद वैक्स जम जाता है जिससे मोमबती बनकर तैयार हो जाती है। उसके बाद डमी कंटेनर को अलग-अलग कर दिया जाता है।
बता दें कि, अलग-अलग आकार के मोमबती बनाने के लिए अलग-अलग सांचे या डमी का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा भिन्न-भिन्न प्रकार के मोमबती को अलग प्रकार के इसेंशियल तेल और कलर का प्रयोग करके तैयार किया जाता है। तनुश्री ने बरेली और गुजरात के वैसे किसान जो मधुमक्खी पालन करते हैं, नेचुरल वैक्स के लिए टाइअप किया है। वहीं इसेंशियल तेल को वह ओर्गनिक फ़ार्म हाउस से इकट्ठा करती हैं।
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B2B और B2C के तहत कर रही हैं मार्केटिंग
बिजनेस को बढ़ाने के लिए उसकी मार्केटिंग करनी जरुरी होती है चाहे वह किसी भी माध्यम से हो। तनुश्री अपने “Nushaura Startup” की मार्केटिंग के लिए ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि, कोरोना काल से पहले वह अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाकर मार्केटिंग करती थीं, लेकीन अभी उनका पूरा ध्यान सोशल मीडिया के जरिए मार्केटिंग करने पर है।
वह B2C अर्थात ब्रांड टू कस्टमर और B2B अर्थात ब्रांड टू बिजनेस मार्केटिंग कर रही हैं। इस काम के लिए उन्होंने कई बड़ी-बड़ी कंपनियों से टाइअप किया है साथ ही मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करती है। क्योंकि सोशल मीडिया आजकल हर फील्ड में लोगों को पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
विदेशों में हो रही है प्रोडक्ट की डिमांड
इसके अलावा उन्होंने हाल ही में इंडियामार्ट और अमेजॉन के जरिए भी प्रोडक्ट की मार्केटिंग शुरू की है जिससे उन्हें कस्टमर्स द्वारा अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। बता दें कि, ऑर्गेनिक कैंडल (Organic Candle) की डिमांड विदेशों में भी काफी हो रही है। ऐसे में तनुश्री सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कनाडा, अमेरिका जैसे अन्य कई देशों में भी अपने प्रोडक्ट को सेल कर रही हैं। वह स्थानीय कारीगरों की सहायता से पिछले 3 वर्षों से नेचुरल वैक्स की मदद से जैविल मोमबती बना रही हैं।
क्या है तनुश्री का मार्केटिंग स्ट्रेटजी?
अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटजी पर बात करते हुए वह कहती हैं कि वह बड़ी-बड़ी हस्तियों को कैंडल उपहार स्वरूप देती हैं, जो उन्हें बदले में प्रोडक्ट की फोटो और वीडियो को ऑनलाइन पोस्ट करते हैं। उनके द्वारा पोस्ट किए गए फोटो औए वीडियो के जरिए कम समय में ही अधिक लोगों तक प्रोडक्ट पहुंच जाता है, जो बिजनेस को काफी फायदा पहुन्चाता है। बता दें कि, पिछले वर्ष उनकी कम्पनी ने 12 लाख का टर्नओवर किया है।
तनुश्री (Tanushree Jain) का जैविक मोमबती का स्टार्टअप हमारी सेहत के साथ-साथ पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद है। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने और स्वस्थ्य रहने के लिए आप भी केमिकल युक्त कैंडल का इस्तेमाल न करके ऑर्गेनिक कैंडल का इस्तेमाल करें।
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