प्लास्टिक की समस्या से आज पूरा विश्व जूझ रहा है। प्लास्टिक यूज पर भले ही प्रतिबंध लग चुका है लेकिन आज भी लोग प्लास्टिक यूज करने से नहीं मान रहे हैं। लेकिन हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग मौजूद हैं जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति सराहनीय कार्य कर रहे हैं और अन्य लोगों को इसके लिए जागरूक कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको एक टीचर और उनके शिक्षक से मिलाएंगे जो प्लास्टिक बोतल से पौधों की आयु बढ़ाकर पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं।
तरुण गोगोई की तरकीब
वह टीचर हैं तरुण गोगोई जिन्होंने झारखंड के चाईंबासा में एक अनूठा कार्य किया है जो पर्यावरण के हित में है। यहां स्थित राजाबास ग्राम के शिक्षक यानि तरुण गोगोई ने प्लास्टिक के बेकार बोतलों से टपक विधि द्वारा पौधों को सिंचित करने की तरकीब सोंची और इसे पौधों पर अप्लाई भी किया। टपक विधि द्वारा पौधों को हमेशा पानी मिल रहा है जिस कारण उनका अच्छी तरह से ग्रोथ हो रहा है।
बेकार प्लास्टिक बोतलों को बनाया उपयोगी
वह कहते हैं कि अक्सर हम सभी पानी पीकर बोतल को फेंक देते हैं। यह बोतल प्लास्टिक का होता है। जिस कारण यह अपशिष्ट नहीं हो पाता। इसको अपशिष्ट होने में हजारों वर्षों का समय लग जाता है। साथ ही यह हमारे जमीन को भी बर्बाद कर देता है इसीलिए हमने बेकार बोतलों को एकत्रित किया और फिर इसके पेंदे को काटकर अलग ताकि इस बोतल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा सके।

अब इन बोतलों को उल्टा लटका दिया गया और ढक्कन हल्के खोले गए ताकि पानी बूंदबूंद होकर गिरे जिस कारण सुबह में पानी भरने की बाद पूरे दिन पौधों को पानी मिलता रहे। साथ ही इसके सपोर्ट के लिए एक लकड़ी खड़ी की गई और बोतल को टांग दिया गया।
यह भी पढ़ें:-इस खास किट की मदद से साइकिल बन जाएगी बाइक, सिंगल चार्ज में तय कर सकेंगे 40 किमी की दूरी
लगाए हजारों पौधे
वह कहते हैं कि हम पौधों में एक ही बार पानी डाल देते हैं जिस कारण वे जल्दी ही सुख जाता है। परंतु अगर हम पौधों में धीरे-धीरे पानी डालें तो उनकी विकास अच्छी तरह होगा और उन्हें अच्छी तरह पानी भी मिलेगा। वहीं साथ में हमारा पानी भी बर्बाद नहीं होगा। एक प्रयोग द्वारा उन्होंने सहजन के लगभग 2000 पौधे लगाए और टपक विधि से बोतल बांधा जो आज सफल हो चुका है।