देश के विभिन्न राज्यों, गांवों या कस्बों मे कुछ मिलते-जुलते दृष्य अक्सर देखने को मिल जाता है – जैसे गल्ली, नुकड़, चौराहा,पान या चाय वाले की दुकान के बाहर लोगों का इकठ्ठा होकर देश में चल रही घटनाओं के बारे में चर्चा होना एक आम बात है। अक्सर चाय पीते समय लोग अपने पड़ोस से लेकर देश तक कि राजनैतिक मुद्दों पर बहस कर लेते हैं और इस नुक्कड़ वाली बहस का एक अपना ही सुखद अनुभव होता है। आज की ये कहानी ऐसे चाय वाले की है जिसने ISRO की नौकरी छोड़ IIM अहमदाबाद के बाहर अपनी चाय की दुकान खोली जो 40 वर्षों से चल रही है।
राम भाई कोरी का रिश्ता IIM के हर स्टूडेंट के साथ हैं। यहाँ से निकलने वाला हर वह विधार्थी जो CEO बन चुका है उनका भी राम भाई से बहुत लगाव है। जैसे IIM अहमदाबाद के नाम पूरे देश मे विख्यात है वैसे ही रामभाई कोरी का नाम यहां से निकलने वाले छात्रों के जरिये भारत से लेकर विदेश तक एक चर्चा का विषय है । यहां के विधार्थियों ने इनके कार्य के उपर केस स्टडी किया जिसमे इनके बिजनेस मॉडल को पूर्ण रूप से समझने के बाद विधार्थियों ने अपने क्लास मे प्रस्तुत किया। इस केस स्टडी मे विधार्थियों ने राम भाई के कुशल व्यवहार, कोमल हृदय, समय नियोजन और अपने ग्राहकों के साथ किये गए अनोखे रिश्तों को वर्णन किया। यह सब प्रस्तुत करते समय विधार्थियों ने राम भाई को IIM प्रोफेसर की कुर्सी पर बिठाकर उनका सम्मान किया। राम भाई की इतनी उत्कृष्ट सेवा और तत्परता के कारण विधार्थियों की मांग पर IIM की नई तैयार हो रही बिल्डिंग में राम भाई को खास जगह दी गई है।
सबके चहेते राम भाई की कहानी
राम भाई 1962 मे अहमदाबाद आये थे। अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद राम भाई ने यहां टेक्निकल डिप्लोमा कोर्स मे अपना दाखिला कराया लेकिन आर्थिक तंगी और परिवार के बिगड़े हालातों को देख उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। कुछ महीनों तक राम भाई ने ISRO मे इलेक्ट्रीशियन के रूप मे काम किया। एक दिन उन्हे बीड़ी पीने का मन हुआ और वह IIM के बाहर बीड़ी खरीदने गए, उस समय उन्हे वहां चाय पीने का भी मन हुआ, लेकिन वहां चाय का कोई स्टॉल नहीं था। फिर उन्होंने सोंचा मुझे ये कमी आज महसूस हुई है,अगर इस अवसर को मैं उपयोग में लाता हूँ तो अच्छी कमाई के साथ ही यहां किसी को चाय की कमी महसूस नही होगी। अगले ही दिन से ही राम भाई ने सबके लिए वहां चाय का स्टॉल लगाना शुरू कर दिया।
लगभग 40 वर्ष इस कार्य को लगातार करते रहने की वजह से राम भाई का IIM के हर अधिकारी और विधार्थियों से एक अटुट- बंधन बंध गया। IIM अहमदाबाद के बहुत सारे विधार्थियों को हर साल करोड़ो रुपये की नौकरी मिलती है। इस संस्थान से निकलने वाले विधार्थियों को देश के कई प्रतिष्ठित पदों के लिए नियुक्त किया जाता हैं।
राम भाई के चाहने वाले
राम भाई का साथ विधार्थियों ने हमेशा साथ दिया है। राम भाई का सपना था कि वह अपने पोते को भारतीय सेना मे बहाल कराये, जिसके लिए उन्होंने अपने पोते का नामांकन बड़े स्कूल मे कराया लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उनके पोते की स्कूलिंग फीस जमा नही हुआ जिससे स्कूल प्रशासन वालों ने उनके पोते को स्कूल से बाहर निकाल दिया। इस बात की भनक जब IIM के विधार्थियों को लगी तब उन्होंने लगभग 50 हजार रुपये दे कर उनके पोते का फीस जमा किया और पढ़ाई शुरू कराया।
RBK नाम से लोकप्रिय राम भाई का चाय का स्टॉल IIM के लिए काम करने वाले और पढ़ने वालों के लिए एक अटुट बंधन बना चुका है। चाह के भी इसे कोई अलग नही कर सकता है। राम भाई को इससे फक्र महसूस होता है कि उनके हांथ का चाय पीने वाले ग्राहक राजनेता, प्रोफेसर और CEO है।
चाहे काम कैसी भी हो लेकिन अगर हम उसे पूरे मन के साथ करते हैं तो उसमें मिला सुकून लाखों की नौकरी करने में भी नही मिलता। राम भाई जैसे लोग अपने दिल की सुनते हैं और ज़िन्दगी में हर वो मुकाम हासिल करते हैं जिसकी उन्हें चाह होती है।