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कोरोना के दौर में चाय की दुकान बंद कर बेच रहे हैं आयुर्वेदिक काढ़ा,अच्छे स्वास्थ्य के साथ हो रहा बेहतर मुनाफ़ा

चाय-चाय चाय-चाय… हमारे देश में अनुमानतः 100 में से 90 लोगों को यह आवाज़ आकर्षित करती है। सच दुनिया में कम ही लोग ऐसे मिलते हैं जो चाय के शौक़ीन न हों। अक्सर चाय की दुकानों पर भीड़ लगी रहती है। कहीं-कहीं की चाय पूरी दुनिया में प्रसिद्ध होती है। जैसे- बनारस की चाय…. वहां की चाय के साथ जो अड़ी लगती है वह पूरी दुनिया में मशहूर है। लेकिन लॉकडाउन में चाय की सभी दुकानें बंद हो गई थी और कोरोना वायरस से बचने के लिए ज़्यादातर लोग काढ़े का इस्तेमाल कर रहे हैं। आज की हमारी कहानी एक ऐसे चाय वाले की है जो कोरोना काल में चाय की जगह लोगों को काढ़ा पीला रहे हैं। सच.. व्यापार और व्यापारी तो वही सही जो लोगों की ज़रूरत और स्वास्थ्य के हिसाब से काम करे।

वाराणसी में एक व्यक्ति ने चाय की दुकान को काढ़े की दुकान में बदल दिया है और लोगों को बहुत कम कीमत में काढ़ा पीला रहे है। लेकिन अभी भी लोग घर से बाहर कम ही निकल रहे है तो वैसे लोगों के लिए वह काढ़े की होम डिलीवरी भी करवा रहे हैं। अब लोग घर बैठे ही इस काढ़े का आनंद ले रहे है।

वाराणसी में चाय की यह दुकान जंगमबाड़ी में स्थित है। वहां कभी विजय की चाय की दुकान लगती थी लेकिन अब वहीं काढ़े की दुकान लग रही है। लॉकडाउन में लोगों को घर में ही रहने की हिदायत दी गई थी जिसके कारण विजय के चाय की दुकान भी बंद हो गई थी। उनके आमदनी का यही एक रास्ता था। लेकिन विजय अब वहीं चाय की दुकान की जगह काढ़े की दुकान खोल लिए और लोगों को उनके घर तक काढ़े की सुविधा देने लगे। जिससे उन्हें भी मुनाफा हो ही जाता है और वह लोगों के सेहत का ख़्याल भी रख लेते है।

विजय अपने काढ़े में 15 जड़ी बूटियों को मिलाते है और एक कप काढ़े की कीमत मात्र 10 रूपए ही लेते हैं। लोगों को यह काढ़ा बहुत पसंद आता है। विजय के अनुसार प्रतिदिन वह 400 – 500  कप काढ़ा बेच लेते हैं जिससे उनकी अच्छी आमदनी भी हो जाती है।

आज कल आयुर्वेद का बहुत ज्यादा प्रचलन है, लोग आयुर्वेदिक चीजों का सेवन अत्यधिक मात्रा में कर रहे है। काढ़े की होम डिलीवरी होने के कारण लोग घर बैठे भी इसका आनंद ले पाते है। विजय साफ-सफाई और सैनिटाइजेशन का पूरा ख़्याल रखते हुए लोगों को यह सुविधा दे रहे है। Logically विजय के सोच और कार्यों कि प्रशंसा करता है।

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