Home Farming

टूटे बर्तन, डब्बे और कीचन से निकले कचड़ों का उपयोग कर यह शिक्षिका घर मे उगा रही हैं अनेको सब्जियां: तरीका सीखें

अपने आस पास हरियाली देखना , पेड़ पौधों को देखना हर किसी को पसंद है। पर जब हम खुद बागबानी की सोचते हैं तो मन मे बहुत से बहाने आते हैं जैसे पौधे लगाएंगे कहा, यहाँ की मिट्टी उपयोगी नही है आदि। मन मे अगर सच मे बागबानी से प्रेम हो तो यह सब बाते बहाने लगते हैं। कुछ इसी तरह का प्रेम पेड़ पौधों से गुरुग्राम की रहनी वाली अनामिका को है तभी तो भारत के फाइनेंसियल और टेक्नोलॉजी हब कहे जाने वाले शहर में उन्होंने अपने घर की छत को गार्डन में तब्दील कर दिया ।

टेरेस गार्डन की शुरुवात

पेशे से एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका रही अनामिका को बचपन से बागबानी का शौक था। अनामिका बताती है कि पहले वह जहा रहती थी वहाँ पर्याप्त जगह की कमी थी पर जब वह कुछ साल पहले गुरुग्राम के अपने नए पत्ते पर रहने आयी तब यहा उन्होने अपने शौक को पूरा किया।

Trares garden

शुरवात में हुई निराशा

शुरुवात में उन्होंने घर के पुराने बर्तनों ,बाल्टी, डिब्बे मे गुलाब, चम्पा, निम्बू आदि के 25 पौधे लगाए पर अनुभव की कमी कहे या मिट्टी का उपयुक्त ना होना, उन 25 में से अधिकतर पौधे सुख गए। इस से शुरू में तो अनामिका बहुत निराश हुई पर उन्होंने हिम्मत नही हारी। यूट्यूब पर टेरेस गार्डनिंग के वीडियो देख कर जानकारी हासिल की। फिर से कुछ पौधे लगाए। वह बताती है कि उनके आस-पास की मिट्टी बागबानी के लिए उपयुक्त नही हैं, इस वजह से शुरुवाती दिनों में उनके पौधे सूख गए। बाद में उन्होने बाज़ार से वर्मी कम्पोस्ट खरीद के इसे मिट्टी में मिलाया। वह बागबानी में किचन वेस्ट का भी इस्तेमाल करने लगी जो पौधों के लिए खाद का काम करता हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि मिट्टी की उर्वरक शक्ति में वृद्धि हुई। इस के बाद धीरे-धीरे उन्होंने अपने बगीचे में पौधों की संख्या बढ़ानी शुरू की। इसी मेहनत का परिणाम है कि आज अनामिका के 35×9 के टेरेस गार्डन में 150 से अधिक पौधे हैं।

यह भी पढ़े :- अपने घर पर 650 से भी अधिक गमलों में उगा रही हैं तरह तरह के फूल और सब्जियां, तरीका है बहुत ही सरल

जैविक खेती

अनामिका बहुत गर्व से बताती है आज उनकी छत पर आम, अनार, निम्बू, इमली, लेमनग्रास, पीपल जैसे कई पौधे हैं। इसके अलावा वह जैविक खेती भी छत पर करती है जिसमे उन्होंने लौकी, करेला, खरबूजा जैसे फल-सब्जियां लगाई हैं! छत पर की गई इस खेती से अनामिका की बाजार पर निर्भरता कम हो गई है और बाजार में बिक रहे केमिकल युक्त सब्जियों से भी बच गई।

घर पर ही ग्राफ्टिंग

एक खास बात यह है कि अनामिका शहतूत, निम्बू, गुलाब आदि पौधों की ग्राफ्टिंग कर अपने घर पर ही एक पौधे से कई पौधे बनाती हैं। उनके घर मे पौधे सिर्फ गमलो में ही नही बल्कि पुराने बर्तन, डिब्बो से लेकर जीन्स तक मे देखने को मिलेंगे। अनामिका को अपने बगीचे में बैठना बहुत पसंद हैं। इससे उनके मन को शांति मिलती हैं। वह बताती है कि बागबानी से उन्हें तनाव मुक्त रहने में मदद मिलती हैं।

बागबानी की लिए सुझाव:-

अनामिका बागबानी के शौकीनों को इसके लिए कुछ सुझाव भी देती हैं।

  1. बागबानी के लिए मिट्टी महत्वपूर्ण हैं इसलिए इसका चुनाव सावधानी से करे। गमले में मिट्टी और खाद को 60:40 के अनुपात में मिलाएं
  2. पहली बार शुरुवात के लिए जनवरी से मार्च का महीना उपयुक्त है क्योंकि इस समय पौधे सूखेंगे नही।
  3. बागबानी की शुरुवात आसानी से लगने वाले पौधे से करे जैसे गुलाब, चम्पा आदि।
  4. पौधों को 4-5 घंटे धूप दिखाए।
  5. पौधों मे नीम आयल या मिर्च या लहसुन का पेस्ट हफ्ते में एक बार स्प्रेय करे
  6. बागबानी के लिए धैर्य की आवश्यकता हैं। पौधा सुख जाए तो निराश न हो बल्कि उस पौधे को सही तरीके से लगाने की तलाश करे।

लोगो से अपील

अनामिका लोगो से अपील करती है कि जितना हो सके इस भागम-भाग वाली ज़िन्दगी से समय निकाल पौधे लगाए। अनामिका के इस टेरेस गार्डनिंग से प्रेरित हो कर अब उनके कुछ रिश्तेदारों ने भी बागबानी शुरू कर दी है।

The Logically के लिए इस कहानी को मृणालिनी द्वारा लिखा गया है। बिहार की रहने वाली मृणालिनी अभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती हैं और साथ ही अपने लेखनी से सामाजिक पहलुओं को दर्शाने की कोशिश करती हैं!

Exit mobile version