हम इस बात से भंली-भांति परिचित हैं कि इस डिजिटल जेनरेशन में प्रत्येक कार्य ऑनलाइन हो रहा है। नई पीढ़ि तो इसे जानती है लेकिन बुजुर्गों में इसकी जानकारी बहुत कम मात्रा में है। इसलिए मुंबई की महिमा भालोटिया बुजुर्गों को इस ऑनलाइन खरीदारी करना या यूं कहें तो सभी चीज़े ऑनलाइन कैसे होती हैं उसकी बारिकियां सीखा रही हैं। तो चलिए जानते हैं उनकी पूरी कहानी…
एक पूर्ण सेल्फी क्लिक करने, व्हाट्सएप के माध्यम से कोई भी जानकारी भेजने, भोजन ऑनलाइन ऑर्डर करने या कैब बुक करने की कला कुछ ऐसे कार्य हैं जो बुजुर्ग व्यक्तियों की डिजिटल कार्य सीखने की इच्छा सूची में एक स्थान प्राप्त किया है।
कोरोनो वायरस-प्रेरित लॉकडाउन से पहले किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 60% बुजुर्गों ने महसूस किया कि उनके बच्चों के पास तकनीक से संबंधित पाठों या जानकारी सिखाने में मदद करने का समय नहीं है। यह सर्वेक्षण हेल्प एज इंडिया (Help Age India) द्वारा किया गया जो एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है। जो देश में वृद्ध व्यक्तियों की देखभाल और उत्थान की दिशा में काम करता है। एक रपोर्ट के अनुसार यह पता चला जब विश्लेषण में आठ राज्यों के कई शहरों के 1,580 बुजुर्गों से इनपुट्स लिया गया तो यह पता चला कि आधे से अधिक प्रतिभागी ऑनलाइन बैंकिंग पोर्टल्स का उपयोग करना सीख रहे हैं। उपयोगिता के बिलों का भुगतान कर रहे हैं, भोजन का आर्डर दे रहे हैं और दवाइयों को ऑनलाइन से खरीद रहे हैं। अन्य लोग प्रौद्योगिकी का सबसे अधिक उपयोग करना चाहते हैं और यह भी सीख रहें हैं कि Google मानचित्र का उपयोग कैसे करें, ईमेल कैसे खाते बनाएं और वीडियो-कॉलिंग अनुप्रयोगों का उपयोग कैसे करें। लगभग 47% वरिष्ठ नागरिकों ने अपने दम पर डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने का तरीका सीखा, उसके बाद जो बुजुर्ग हैं उन्हें उनके बेटों (25%) और बेटियों के (18%) द्वारा सिखाए गए। अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि देश के वरिष्ठ नागरिक जो तकनीकी प्रगति के साथ संघर्ष कर रहे थे, वह COVID-19 महामारी की शुरुआत के साथ गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे।
इस सामाजिक बहिष्करण ने उनके बीच चिंता और अकेलेपन की समस्याओं को भी जन्म दिया। इस मुद्दे से निपटने के लिए, महाराष्ट्र के मुंबई की 26 वर्षीय महिमा भालोटिया (Mahima Bhalotia) बुजुर्ग नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की पहल कर रही हैं। अपनी पहल के साथ, द सोशल पाठशाला (The Social Paathshaala) के रूप में महिमा ने एक कोच की भूमिका निभाई और अपने विशेष छात्रों के लिए डिजिटल तकनीक सीखने पर ऑनलाइन सत्र आयोजित किया, जो 50 वर्ष से अधिक आयु के व्यतियों के लिए है। कोरोना काल के दौरान बहुत से बुजुर्ग लोगों को घर के अंदर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह अपने और वरिष्ठ नागरिक-मित्रों को यह चर्चाएं करती देखती रहती थीं कि कैसे उन्हें किराने का सामान और दवाइयां ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए अपने परिचितों और बच्चों पर निर्भर रहना पड़ता है। वह हमेशा कुछ सार्थक करने की इच्छा रखतीं थी जिससे लोगों का आत्मबल बढ़े। लेकिन अपने जीवन के कार्यकाल में उन्हें कभी भी अपना खुद का कुछ शुरू करने का मौका नहीं मिला। COVID-19 संकट में अपनी नौकरी गंवाने के बाद, महिमा ने मन बनाया कि वह अब वही कार्य करेंगी जो वह चाहतीं हैं।
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महिमा ने बताया कि किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए व्यावहारिक रूप से धैर्य की आवश्यकता होती है, खासकर जब इसे हम प्रायः संचालित कर रहें हैं। महिमा जो कुछ करती हैं उसमें खुशी ढूंढना चाहती हैं। मेरे परिवार ने मुझे द सोशल पाठशाला शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि उनका मानना था कि मैं अपने दयालु और जो पहली बात आई थी, वह यह कि बुजुर्गों के साथ ऐसा क्यों हुआ। तब चन्हें पता चला कि ऑनलाइन दुनिया के बारे में जागरूकता की कमी ऐसी घटनाओं का प्रमुख कारण है। तत्पश्चात् उन्होंने अपना कार्य शुरू किया। उन्होंने डिजिटल पाठशाला का निर्माण किया और बुजुर्गों को सारी जानकारियां देने लगीं।
अपने डिजिटल पाठशाला के तंत्र के बारे में बताते हुए महिमा ने कहा कि हर रविवार को 11 बजे से 12:30 बजे तक वर्चुअल सेशन आयोजित करती हैं और जिसके लिए प्रति व्यक्ति 99 रुपये का शुल्क लिया जाता है। इस समय सत्र को कई आवश्यकताओं और बुजुर्गों के आराम को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है। इच्छुक व्यक्ति कॉल पर या व्हाट्सएप टेक्स्ट के माध्यम से पता लगा सकता है। इच्छुक उम्मीदवारों के साथ चर्चा के बाद, वे सत्रों में शामिल होने के लिए जाते हैं फिर आपको जिस विषय में रुचि हो उसे चुन सकतें हैं। सभी ऑनलाइन सत्र बहुत धैर्य, सहभागिता और दृढ़ता के साथ आयोजित किए जाते हैं। सत्रों में अधिकतम 25-30 प्रतिभागियों को अनुमति दी गई है क्योंकि इसमें कक्षा के दौरान बहुत अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है। छात्रों के साथ दोस्तों की तरह व्यवहार किया जाता है ताकि वे हमें रोकने और निःसंदेह कोई भी बात पूछने में संकोच न करें।
कक्षाएं आमतौर पर इस उम्र में कुछ नया सीखने के उनके प्रयासों को स्वीकार करने के लिए तालियों के दौर से शुरू होती हैं ताकि उनका मनोबल बढ़े। यह कक्षा 95% प्रैक्टिक्ली है जो एंड्रॉइड और आईओएस उपयोगकर्ताओं से संबंधित पहलुओं को कवर करता है। विषय सोशल मीडिया और डिजीटल दुनिया के बारे में बुनियादी से मध्यवर्ती अवधारणाओं तक है। पुरानी पीढ़ि को तकनीक-प्रेमी बनाने का विचार महिमा को उस दिन आया जब उनके कार्यालय कैंटीन समाप्त हुई। दोपहर के भोजन के दौरान महिमा के बॉस ने उन्हें उन्मत्त कॉलों के बारे में बताया जो वह अपनी माँ से प्राप्त कर रही थीं और कैसे वह काम के कारण कैब बुक करने में अपनी माँ की मदद नहीं कर पा रही थी।
COVID-19 महामारी की शुरुआत के साथ महिमा के पास बहुत समय था। इस दौरान महिमा को उनकी माँ ने “द सोशल पाठशाला” फिर से शुरू करने का सुझाव दिया। इस कार्य के दौरान उन्हें यकीन नहीं था कि बुजुर्ग लोग ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प चुनेंगे? उनके बच्चे उनकी मदद कर सकते हैं। वे मुझे भुगतान क्यों करेंगे? फिर भी इनकी मां ने इसे आजमाने के लिए कहा। महिमा भी मना नहीं कर पाईं। महिमा ने स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया क्योंकि उन्हें लगा कि लक्षित दर्शक यही मिलेंगे। जब महिमा अगली सुबह उठी तब फोन कॉल्स आने लगे, जिसमें लोगों ने बताया कि वह तकनीक से जुड़ी हर चीज सीखना चाहते हैं। महिमा का पहला छात्र 67 साल का थे, जिसे वह अधिवक्ता चाचा बुलाती थीं। पहले सत्र की कक्षाओं में अन्य प्लेटफार्मों के बारे में फिर फेसबुक अकाउंट खोलने के बारे में सिखाया गया।
वह 67 वर्षीय बहुत खुश हुए जब वह अपने बचपन के दोस्तों से फेसबुक के माध्यम से जुड़े। फिर यह 67 वर्षीय छात्रा जो कि मुंबई में वकील थीं उन्हें पढ़ाया। इन्हें अपने पोते को एक उपहार भेजने में समस्या का सामना करना पड़ा था जिसे वह महामारी के दौरान पूरा नहीं कर पाई थीं। इसलिए यह महिमा के पास ऑनलाइन कार्य सीखने आई। महिमा ने उन्हें सुझाव दिया कि वह ऑनलाइन खरीदारी कर सकती हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि नहीं मैं अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं करना चाहती क्योंकि यह जोखिम भरा होता है। तब माहिम को उन्हें प्रक्रिया समझाने में पाँच दिन लगे और आखिरकार उस वकील ने ऑनलाइन शॉपिंग की। वह सीखने की तकनीक के बारे में बेहद उत्साही हुई और उन्होंने कक्षा में सीखी जाने वाली बहुत सी चीजों का इस्तेमाल भी किया। जैसे- रिमाइंडर सेट करना, व्हाट्सएप पर स्थान भेजना, व्हाट्सएप पर अन्य दोस्तों के साथ संपर्क साझा करना, आदि। महिमा ने बताया कि एक और मनमोहक कहानी यह है कि मेरी एक और छात्र 69 साल के हैं। जो पुराना सिविल इंजीनियर छात्र हैं और यह अपनी पत्नी और माँ के साथ मुंबई में अकेले रहते हैं। उनकी दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है और वह खुशमिजाज व्यक्ति हैं। वह यह नहीं जानते थे कि ऑनलाइन खाना कैसे आर्डर किया जाता है और वही सीखने वह मेरे पास आए। उनकी पत्नी पिज्जा की उत्साही प्रशंसक हैं और लॉकडाउन के दौरान डोमिनोज़ से खाना चाहती थीं। उन्होंने विशेष रूप से उस इच्छा को पूरा करने के लिए एक क्लास ली और सीखा कि कैसे डोमिनोज और अन्य खाद्य पदार्थों से पिज्जा ऑर्डर किया जा सकता है।
महिमा कई एनजीओ के साथ सहयोग भी कर रही हैं, जो उन संगठनों की पहचान कर रहे हैं, जो वरिष्ठ नागरिकों की सेवा करते हैं और उनसे संपर्क करते हैं। महिमा की योजना है कि वह इस कार्य को विश्व स्तर पर शामिल करे क्योंकि उन्हें पता है कि दुनिया में बहुत सारे वरिष्ठ नागरिक हैं जो डिजिटल रूप से सशक्त नहीं हैं। इसलिए इनका उद्देश्य है कि उन्हें उसके अनुकूल बनाने में मदद करें।
बुजुर्गों को ऑनलाइन कार्य सिखाने और उनकी मदद करने के लिए The Logically महिमा के कार्यों की सराहना करता है और आपने पाठकों से अपील करता है कि वह भी बुजुर्गों की मदद का प्रयास करें।