खेती की बात जेहन में आते हीं फसलों को बोने योग्य भूमि.. साथ हीं सिंचाई की उचित व्यवस्था..फसल योग्य मौसम इत्यादि बात आना लाजिमी है लेकिन जमाना बदल चुका है और बहुत सी तकनीक विकसित हो चुकी हैं। अब लोग अपने बालकनी, छत और आंगन में तरह-तरह की सब्जियां और फलों को उगा रहें हैं।
वर्तमान के कुछ सालों में टेरेस गार्डन का प्रचलन अत्यधिक बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। आज की हमारी यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिन्होंने अपने छत को टेरेस गार्डन में तब्दील कर दिया और आज वे गमले में अंगूर, स्ट्रॉबेरी और सेब उगा रहें हैं।
नहीं था खेती करने का कोई अनुभव
राजमोहन (Rajmohan) केरल (Kerala) के तिरुवनंतपुरम के रहने वाले हैं और पेशे से वह रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि “मुझे खेती का कोई अनुभव नहीं था, परंतु मैंने कोशिश एवं धैर्य के साथ अपने कार्य को जारी रखा और यह मेरे लिए बहुत हीं सरल हो गया।” -Terrace Gardenring by Rajmohan from Kerala
ग्रो बैग में उगाया छत पर अंगूर
लोगों का यह मानना है कि अंगूर केवल पहाड़ी क्षेत्रों में ही उगाया जाता है। परंतु राजमोहन ने अपनी छत पर ग्रो बैग में अंगूर को उगाकर इस धारणा को गलत सिद्ध कर दिया। वर्ष 2015 में उन्होंने लगभग 20 ग्रो के साथ अपने टेरेन्स गार्डनिंग का शुभारंभ किया था। वर्तमान में 1250 वर्ग फुट की छत पर 200 ग्रो बैग हैं जिसमें फल और सब्जियां लगी हैं। -Terrace Gardenring by Rajmohan from Kerala
उगातें हैं अन्य प्रकार की सब्जियां और फल
उन्होंने अपने छत पर शुरुआती दौर में मात्र ककड़ी कद्दू और टमाटर की खेती की, जिसमें उन्हें सफलता हाथ लगी। वही आज वह अपने छत पर कस्तूरी, हल्दी, मूंगफली, पालक, चिचीड़ा, अंगूर, बैंगन, गोभी, फूलगोभी, अदरक, सेम, कुंदरू, धनिया, मिर्च, करेला, कृष्णा फल, कागजी, नींबू, केला, बेर, सेव, शहतूत, मक्का, रतालू और स्ट्रौबरी आदि उगा रहे हैं।
-Terrace Gardenring by Rajmohan from Kerala
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उगातें हैं जैविक फसल
हालांकि टेरेस गार्डन थोड़ी महंगी तो है परंतु आपको इससे बहुत लाभ भी मिलता है। राजमोहन ने अपने टेरेस गार्डन में लगभग 200000 रुपए खर्च की है। परंतु आज वह अपने टेरेस गार्डन से जैविक फल और सब्जियों को प्राप्त कर खुद को हष्ट-पुष्ट और तंदुरुस्त रखे हुए हैं। -Terrace Gardenring by Rajmohan from Kerala
उन्होंने बताया कि मैंने पहले प्लास्टिक का चादर खरीदा और फिर उसे अपने छत पर बिछाया। इसके उपरांत उस पर ग्रो बैग को रखने हेतु ईंट एवं मेटल स्टैंड का उपयोग किया। छत पर पानी ना जमे इसके लिए बोरे एवं गमले का उपयोग किया और फिर पूरे छत को सेड नेट से कवर कर दिया। -Terrace Gardenring by Rajmohan from Kerala
आखिर कैसे हुई छत पर अंगूर की खेती
छत पर अंगूर को उगाने के लिए उन्होंने कुछ रिसर्च किया एवं फिर पुराने अंगूर के छोटे पौधे मार्केट से खरीद लाए। अब उन्होंने मिट्टी को लगभग 10 दिनों के लिए रोशनी में रखा और उसमें चुने के पानी को स्प्रे किया। फिर उन्हें दो सप्ताह के लिए ढक दिया।
-Terrace Gardenring by Rajmohan from Kerala
मात्र 9 माह में हुआ पेड़ से फल प्राप्त
इसके उपरांत मिट्टी में लगभग बराबर हिस्से में नारियल की भूसी, वर्मी कंपोस्ट एवं गाय के गोबर को मिलाया गया। फिर उसे ग्रो बैग के 1/3 हिस्से में भरा गया और नर्सरी से अंगूर के पौधे लाकर लगा दिए गए। जब अंगूर का पौधा विकसित हुआ तो उसमें दो स्वस्थ बेलों को छोड़कर बाकी की छंटाई कर दी गई। अब स्वस्थ बेलों को उन्होंने बांस-बत्ती की सहायता से तैयार की। जिस शाखाओं में फल नहीं लगते उन्हें छटाई कर अलग निकाल दिया जाता था। मात्र 9 माह के अंदर ही अब इन बेलो से फल प्राप्त होने लगे। -Terrace Gardenring by Rajmohan from Kerala
उर्वरक एवं सिंचाई का रखें अधिक ध्यान
उन्होंने बताया कि अंगूर के बेलों को मौसम के अनुसार दिन में लगभग 1 से 3 बार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। वहीं उन्हें कीड़ो से बचाने के लिए चावल के पानी से बने जैविक उर्वरक, लहसुन और बर्ड्स आई चिल्ली का उपयोग किया जाता है। अगर आपको कीड़ों को नष्ट करना है तो इसके लिए नीम के तेल का छिड़काव करना अति आवश्यक होता है। -Terrace Gardenring by Rajmohan from Kerala
वहीं विशेष खाद के तौर पर पौधों में मूंगफली की खली, जैविक खाद, नीम खली और पशु की हड्डी का पाउडर का उपयोग किया जाता है। राजमोहन अपने टेरेंस गार्डन के फल और सब्जियों को अपने पड़ोसियों में वितरित करती हैं एवं उन्हें भी टिप्स देते हैं कि वे किस तरह टेरेस गार्डन का निर्माण कर खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। -Terrace Gardenring by Rajmohan from Kerala