आजकल बहुत सारे लोग किचन गार्डनिंग, गार्डनिंग और टेरेस गार्डनिंग को अपना शौक बना रहे हैं। सभी की कोशिश हो रही है कि वह अपनी जरूरत के हिसाब से पेड़ पौधे लगाएं तथा जरूरत की सब्जियां उपलब्ध करें। लोगों के घर में कम जगह हो या अधिक जगह हो, सभी अपनी आवश्यकता के अनुसार सब्जियां या पेड़ पौधे लगा रहे हैं। स्वयं के द्वारा उगाए गए फल और सब्जियों का फायदा क्या होता है कि हम ताजा और बिना केमिकल के उसका इस्तेमाल करते हैं जिससे हमारा स्वास्थ्य सही रहता है। आज की यह कहानी भी एक ऐसी ही दंपति की है जिसने स्वस्थ और सुरक्षित जीवन के उद्देश्य से अपनी छत को अर्बन फॉर्म में परिवर्तित कर दिया।
पद्मा की उम्र 54 वर्ष है। वह आरंभ से ही गार्डनिंग की शौकीन थी। उन्होंने अपने इस शौक को वर्ष 2014 तक घर के एक छोटे से बालकनी में कुछ पेड़-पौधों को लगाकर पूरा करती थीं। वह बहुत बार कोशिश करती थीं कि अलग-अलग प्रकार के पेड़-पौधे लगाएं। परंतु जगह की कमी की वजह से वह यह नहीं कर पाती थीं।
श्रीनिवास ने बताया कि उन्होंने शुरू से हीं एक बड़ा टेरेस गार्डन लगाने का प्लान किया था। परंतु बालकनी में वह कुछ गमले को हीं रख सकते थे पद्मा को बागवानी का बहुत शौक है वह हमेशा फूलों और अनेक प्रकार के पेड़-पौधे को लगाना चाहती थीं। उसके बाद वर्ष 2014 में जब श्रीनिवास और पद्मा दोंनो अपने नए घर में शिफ्ट हुए तो उन्हें अपने हिस्से का गार्डनिंग के शौक को अच्छे से पूरा करने का अवसर मिला।
वर्तमान में दंपति के घर के टेरेस पर फल, फूल और सब्जियों के 40 प्रकार के किस्मों के करीब 500 पौधे हैं। इनको हैदराबाद के अनेकों लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही हैं। उन्होनें टिप्स शेयर करने के लिए एक यूट्यूब (YouTube) चैनल भी शुरु किया है। उनके यूट्यूब चैनल का नाम “पतनम लो पल्लेतुरु बाय पिन्नाका पद्मा” है। उनके इस चैनल को आरंभ किए छह महीने हीं हुए थे। सिर्फ 6 महीने में ही उनके यूट्यूब चैनल के 77 हजार सब्सक्राइबर हो गए। इसके साथ हीं उनके सभी वीडियोज में हजारों की संख्या में लोगों ने देखा है।
यह भी पढ़ें :- शिक्षक ने अपने घर पर सैकड़ो पौधों से बागवानी बना दिये, अब उसी से बच्चों को पर्यावरण के गुर सिखाती हैं
पद्मा कम कीमत और कम वेस्ट के सिद्धांत पर विश्वास करती हैं। उनके गार्डन में सभी गमले के नीचे एक बर्तन रखा हुआ है ताकि अतिरिक्त जो भी पानी निकले वह इकट्ठा हो सके। गर्मियों के मौसम में पानी की बचत करने के लिए पद्मा पौधे पर दिन में तीन बार पानी से स्प्रे करती हैं जिससे पानी की बचत होती है।
पौधे को पानी देने की जिम्मेवारी पद्मा की है। पौधों के लिए दिन में 150 लीटर पानी अधिक होता है। श्रीनिवास इस बात का ध्यान रखते हैं कि गार्डन में पेड़-पौधों को कोई कीड़े-मकोड़े हानि नहीं पहुंचाए। श्रीनिवास ने बताया कि वह अपने गार्डन की रक्षा-सुरक्षा करने के लिए ‘सर्किल ऑफ लाईफ’ का फलसफा प्रयोग करते हैं। श्रीनिवास जैविक खाद बनाने के लिए गार्डन से मिलने वाले फल और सब्जियों के पत्ते तथा पेड़ों के सूखे पत्तों का इस्तेमाल करते हैं।
पद्मा ने बताया कि उनका टेरेस गार्डन बहुत बड़ा नहीं है जिससे वह और अधिक पेड़-पौधे लगा सकें। इसलिए उन्होंने अधिक पेड़-पौधे लगाने के लिए गमलों के अंदर गमले रखने की पद्धति अपनाई है। वह बड़े गमलों में छोटे-छोटे दो तीन गमले रखती है। पद्मा को सिर्फ ऊपर वाले गमले को ही पानी देना पड़ता है बाकी नीचे वाले गमलों में पानी स्वयं ही चला जाता है।
पद्मा कहती हैं कि वह सोशल मीडिया से नए-नए विधि सीखकर नया-नया एक्सपेरिमेंट करती हैं। लेकिन अधिकतर पौधों में वह खुद से बनाया हुआ जैविक खाद हीं डालती हैं। पद्मा की यह कोशिश रहती है कि उनका गार्डन जैविक और रसायन मुक्त हो।
पद्मा के गार्डन में पांच सौ किस्म के अलग-अलग आम के पेड़, दो किस्म के अंगूर, नारियल, केला एवोकैडो, ड्रैगन फ्रूट, पपीता, मलेशिया सेव, शिमला सेव, कटहल, स्ट्रॉबेरी, बेल, कृष्णा फल, इमली, मौसमी, अनार, नींबू और संतरे के पेड़ हैं। इसके अलावा सब्जियों में टमाटर, हरी मिर्च, बैगन, करेला ब्रोकली, खीरा, तोरी, अदरक, भिंडी, फ्रेंच बींस, हल्दी तथा हरी पत्तेदार सब्जियां है।
पद्मा गार्डनिंग के फायदे के बारे में कहती हैं कि इससे हमें ताजे फल और सब्जियों की प्राप्ति होगी। तथा वह रसायन मुक्त होगा जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। दूसरा फायदा इससे हमारे शरीर का अच्छा एक्सरसाइज हो जाता है। पद्मा कहती हैं कि एक पौधे से दूसरे पौधे पर जाना, दिन में दो बार पानी देना तथा उन्हें बढ़ते हुए देखना यह कई तरीकों से अच्छा है। अपना एक जैविक गार्डन होना बच्चों और खुद के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है।
पद्मा और श्रीनिवास बताते हैं कि सप्ताह में 4-5 दिनों के लिए सब्जियां उनके गार्डन से हीं प्राप्त हो जाती हैं। समय के साथ जैसे-जैसे उनके गार्डन बढ़ने लगे वैसे-वैसे वहां आस-पड़ोस के लोगों ने भी पद्मा और श्रीनिवास के यहां गार्डनिंग के बारे में जानने और समझने के लिए आने लगे। हैदराबाद में भी उनकी इस गार्डनिंग की खबर बहुत जल्दी फैल गई। उसके बाद इस दंपति के घर अजनबी लोगों ने भी अर्बन ऑर्गेनिक फार्मिंग के बारे में जानने के लिए आने शुरू हो गए।
पद्मा बताती हैं कि वह अर्बन ऑर्गेनिक फार्म के बारे में टिप्स देने के लिए एक दिन में 20 से 25 कॉल रिसीव करती थीं। उसके बाद उन्होंने अपने बेटे के द्वारा सुझाए गए उपाय को जून 2019 में एक युटुब चैनल की शुरुआत करके किया।
पद्मा के गार्डन गर्मियों के मौसम में भी हरे-भरे रहते हैं। वह कहती हैं कि गर्मियों में मोल्चिँग, पूरे वर्ष खाद देना तथा मल्टी क्रॉपिंग जैसी तकनीकों की सहायता से सभी अपने फार्म को हरा-भरा रख सकते हैं। उनकी कोशिश है कि जितना हो सके वह उतने लोगों तक अपने ज्ञान को फैलाएं। ऐसा करने के लिए यूट्यूब बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है।
पद्मा और श्रीनिवास ने जिस तरह सफल खेती की और उसके विधि लोगों को बताकर सफल कृषि को विस्तार दे रहे हैं उसके लिए The Logically पद्मा और श्रीनिवास की भूरि-भूरि प्रशंसा करता है।