बिहार में नहीं बल्कि पूरा देश में सरकारी शिक्षा व्यवस्था की दयनीय स्थिति के बारे में कहने की जरूरत नहीं है , हर गांव में मिलने वाली मोड़-चट्टी पर बनी सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति हमेशा याद दिलाती हैं कि भारत में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार कितनी सजग है।
दीवारों पर बने झुर्रियां, टूटे छत, श्यामपट्ट पर फ़टी दरारें सरकारी स्कूलों की जैसी पहचान बन चुकी है , और इस तरह के हुलिए को देखते हुए कोई भी बता सकता है की यह एक सरकारी विधायल है।
इन सबके बीच देश के इक्के दुक्के जगहों से कुछ ऐसे सकारात्मक कहानियां आती हैं जो कहीं ना कहीं फिर से एक उम्मीद जगा देती हैं। ऐसी ही एक कहानी बिहार की है जहां रहने वाले पांच दोस्तों ने मिलकर सरकारी स्कूलों का हुलिया बदलने का काम शुरू कर दिया और अब वह सरकारी स्कूल को कुछ इस तरह से सजाते हैं कि दूर से यह पहचानने में धोखा हो सकता है कि यह एक प्राइवेट विद्यालय है या गांव का सरकारी स्कूल।
बात बिहार के गया की है जहां के 5 बच्चे रोशनी ,राधा ,श्रेया, खुशबू और विवेक ने सरकारी स्कूलों के दृष्टि पटल को बदलने का जिम्मा उठाया है। यह बच्चे स्कूलों को अपने मेहनत से कुछ इस तरह सजाते हैं की देखने वाला बिना सराहे नहीं रुक सकता। इन बच्चों ने खुद के इक्षा अनुसार सरकारी स्कूलों को पेंटिंग से सुसज्जित करना शुरू किया और अब उनकी प्रशंसा पूरे समाज द्वारा हो रही है । इन बच्चों ने अभी तक बिहार के 3 सरकारी स्कूल का हुलिया बिल्कुल बदल दिया।
News 18 से बात करते हुए रौशनी ने बताया कि शुरू में यह काम करने में बहुत परेशानी थी। हमारे पास पर्याप्त पैसे भी नहीं थे कि हम पेंटिंग करने के लिए सामग्री खरीद पाए,लेकिन धीरे-धीरे सब हो गया। स्कूल के दूसरे मंजिल तक हमने खूबसूरत पेंटिंग से सजा दिया और गलियारों को भी आकर्षक बना दिया है।
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बच्चों का कहना है कि ये कोई प्रोफेशनल आर्टिस्ट नहीं है बल्कि शौकिया तौर पर इन्होंने इस काम को करना शुरू किया और अब शिक्षा विभाग की तरफ से इनके काम को सराहना भी मिली है । भविष्य में भी यह अनेकों सरकारी विद्यालयों को खूबसूरत बनाने के लिए प्रयासरत रहेंगे ।
5 बच्चों के द्वारा शुरू की गई मुहिम कहीं ना कहीं पूरे समाज को सकारात्मकता का संदेश देती है और आने वाली पीढ़ी से उम्मीद जगा रही है । इनके कार्य को Logically नमन करता है और अपने पाठकों से अपील करता है की इस तरह के कार्य को बढ़ावा दें ताकि बेहतर कल का निर्माण हो सके !