Home Inspiration

नौकरी छूटने पर बहनों ने शुरू की खेती..पिता ने सिखाया ट्रैक्टर चलाना, अब लोग कर रहे तारीफ

किसान शब्द सुनते ही हम एक पुरुष की ही कल्पना कर लेते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं कि पुरुष ही केवल किसान हो सकते हैं।

महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, जिसमें एक खेती भी प्रमुख रूप से शामिल हो गया है। अब महिलाएं भी कृषि के क्षेत्र में अपना हाथ आजमा रही है। राजधानी समेत पूरे प्रदेश में कुल 60 लाख किसान हैं, जिसमें महिला किसानों की संख्या 5332 है। लॉकडाउन के दौरान अनेक महिलाओं ने इस पेशे में अपना कदम रखा और उन्हें सफलता भी मिली। उनसे प्रेरित होकर अब अन्य महिलाएं भी खेती सीखा रही हैं।

नौकरी छुटने पर बहनों ने साथ मिलकर शुरू की खेती

भोपाल (Bhopal) के सुरेंद्र प्लेस की रहने वाली शिखा जैन (Shikha Jain) पीएचडी (Phd) करने के बाद काउंसलर का काम कर रहीं थीं लेकिन लॉकडाउन के दौरान नौकरी चली गई। ऐसे में शिखा और उनकी बहन पिता के साथ खेती करने लगीं। 70 एकड़ जमीन पर बहनों ने खेती करना शुरू किया। इस दौरान शिखा की सबसे बड़ी चुनौती ट्रैक्टर चलाना था, जो उन्हें नहीं आता था परंतु पिता के प्रोत्साहन पर उन्होंने ट्रैक्टर चलाना सीख लिया।

These two daughters starts farming after losing job in Covid and father taught them to drive tractor

लोग कर रहे तारीफ

शिखा ने जब अपने काम की शुरूआत की तो गांव के बहुत से लोगों ने उनका मजाक उड़ाया परंतु शिखा अपने फैसले पर अटल रही। हर कदम पर शिखा के पिता उन्हें गाइड करते रहे।

यह भी पढ़ें :- 25 वर्षीय साक्षी ने प्लास्टिक बॉटल्स और कोकोनट शेल से घर मे बनाया मिनी जंगल,अनेकों प्रकार के पशु पक्षियों को आशियाना मिला

इन फसलों के साथ हुई शुरुआत

शिखा ने गेंहू और चने की फसल से अपनी खेती की शुरूआत की। जब वह अपनी पहली फसल ट्रैक्टर पर लादकर मंडी गई, तो अधिकांश लोगों ने उनका वीडियो भी बनाया। शिखा ने बताया कि अब लोग अपनी बेटियों को मेरे पास लाकर कहते हैं, ‘इन्हें भी काम सिखा दीजिए।’

सभी चुनोतियों को परे रख की खेती

शिखा की तरह ही संजीवनी सुकलीकर (Sanjeevani Suklikar) कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएट हैं और उनके पति मर्चेंट नेवी में काम करते हैं। उन्होंने परवलिया सड़क के नजदीक खेती के लिए जमीन लिया था, परंतु दबंगों ने मजदूरों को धमकी दी कि कोई खेत में काम नहीं करेगा, जिससे कोई मजदूर उनके खेत में काम करने नहीं जाता था। ऐसे में संजीवनी खुद ही केवल तीन माह में जमीन को उपजाऊ बना दिया। बाद में गांव के मजदूर भी मदद के लिए सामने आने लगे। शिखा ने पॉली हाउस बनाया, जिसमें जरबेरा और गुलाब की फसल लगाया और बाकी बचे जमीन पर अनार उगाए।

सब कुछ ठीक चल रहा था तभी किसी ने उनके खेत में आग लगा दी, जिससे अनार की फसल बर्बाद हो गई। किसी तरह पॉली हाउस को बचाया गया। जरबेरा से वह अब तक कभी मुनाफा कमा चुकी हैं। अब संजीवनी जरबेरा वाली मैडम के नाम से प्रसिद्ध है।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

Exit mobile version