भले ही हमारे देश ने बहुत कामयाबी हासिल कर ली है परंतु अगर बात देश में स्वच्छता की हो, तो यह देश काफी पिछड़ा हुआ है। हम अक्सर लोगों को अपने आसपास ही गंदगी फैलाते हुए देखते हैं जबकि अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना हमारी ही जिम्मेदारी है।
इस लेख द्वारा हम आपको कुछ ऐसी ही पर्यावरणविद महिलाओं के बारे में बताएंगे, जिन्होंने प्रकृति को बचाने के लिए एक मुहिम चलाई है, जिसमें वह प्रकृति को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।
हम सभी जानते हैं कि विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है। यह दिन लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है मगर क्या एक दिन की जागरूकता से लोगों में बदलाव आना संभव है?
प्रकृति की रक्षा करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आगे आने की जरूरत है। आज के समय में ऐसे कई लोग हैं, जो पर्यावरण को बचाने की मुहिम चला रहे हैं। जिसमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं, जो अलग-अलग तरीकों के साथ पर्यावरण संरक्षण में लगी हुई हैं।
डॉक्टर कृति कारंथ को जानिए
पर्यावरणविद और वैज्ञानिक रह चुकीं डॉ. कृति कारंथ पिछले 20 वर्षों से पर्यावरण पर मानव का प्रभाव विषय पर अध्ययन कर रही हैं। इन्होंने ड्यूक विश्वविधालय से पर्यावरण विज्ञान और नीति में पीएचडी (PHD) और येल विश्वविधालय से एम.ई. एससी भी कर चुकी हैं। अभी वह वन्यजीव अध्ययन केंद्र बैंगलोर में मुख्य संरक्षण वैज्ञानिक के रूप में कार्य कर रही हैं। बीते दिनों वर्ष 2021 के लिए उन्हें अन्वेषक पुरस्कार से भी नवाजा गया था। डॉ.कृति पहली भारतीय और एशियाई महिला हैं, जिनको इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार वाइल्ड एलिमेंट फाउंडेशन (wild element foundation) की ओर से उन लोगों को दिया जाता है, जो सतत विकास जलवायु परिवर्तन और वन्य संरक्षण के लिए काम करते हैं। डॉ कृति अपना काम देश के पश्चिमी घाट वन क्षेत्र में करती हैं,औ जहां कई तरह के वनस्पति और जीव मौजूद हैं। अभी तक उनके 90 से ज्यादा वैज्ञानिक आर्टिकल और एक बच्चों की किताब पब्लिश हो चुकी हैं।
डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन
पर्यावरणविदों में काफी चर्चाओं में रहने वाली डॉक्टर पूर्णिमा देवी बर्मन एक प्रकृति संरक्षक और जीव विज्ञानी हैं। अभी वह एनजीओ (NGO) आरण्यक के साथ कार्य कर रही हैं। उन्होंने हरगीला सेना के नाम से एक ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप द्वारा हरगिला संरक्षण को लागू करने के लिए करीब 400 से अधिक महिलाओं को इसमें शामिल किया है। इसमें सबका कार्य जंगल को बचाना और सभी ग्रामीणों को प्रकृति के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस कार्य के लिए इन्हें राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है, जो अन्य भारतीय महिलाओं के लिए एक सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। इतना ही नहीं इनको सारस की लुप्त होती प्रजाति ग्रेटर एडजुटेंट स्ट्रोक के संरक्षण के लिए ग्रीन ऑस्कर के रूप में जाना जाने वाले व्हिटले अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।
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नेहा सिन्हा पर्यावरण मुद्दों की लेखिका
नेहा सिंह देश के कई जगहों में जीव-जंतुओं की लुप्त होती प्रजातियों और महत्वपूर्ण जैव विविधता वाले क्षेत्रों के संरक्षण पर काम कर रही हैं। वे प्रकृति प्रेमी और पर्यावरण मुद्दों की लेखिका भी हैं। नेहा बाज की लुप्त हो रही प्रजातियों मोड़ के संरक्षण में लगी हुई हैं। इसके साथ ही वह दुर्लभ प्रजाति के पेड़ पौधों को और बाघ को भी बचाने का काम कर रही हैं। वह लोगों में प्रकृति के प्रति जागरूकता फैला रही हैं। वह बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के साथ काम कर रही हैं। नेहा सिन्हा दिल्ली यूनिवर्सिटी में पर्यावरण नीति पढ़ाती हैं। उनका यह मानना है कि हमें पर्यावरण बचाने के लिए प्रत्येक दिन इस पर ध्यान देने की जरूरत है, ना कि हम केवल 5 जून का इंतज़ार करें।
जिस सेबेस्टियन परिस्थिति विज्ञान शास्त्री
जिस सेबेस्टियन एक ऐसी परिस्थिति विज्ञान शास्त्री हैं, जिन्होंने लैंगिक भेदभाव से लड़ाई लड़ी और पर्यावरण क्रांति को बढ़ावा दिया है। उन्होंने जंगल में अकेले रहकर अपनी रिसर्च को जारी रखा है। पर्यावरण को बचाने के लिए वह पौधों और जानवरों के बीच काम करती हैं। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा वानिकी में प्राप्त किया है। वह देश की पश्चिमी घाट वन क्षेत्र में आर्केड फूलों के संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने एपिफाइटिक ऑर्किड के वितरण का अध्ययन किया है ताकि उससे यह समझा जा सके कि उनकी पर्यावरणीय स्थिति और जलवायु परिवर्तन का संकेत कैसे मिल सकता है। एपीफाइट्स एक ऐसे पौधे होते हैं, जो यांत्रिक विकास और समर्थन के लिए दूसरे पेड़ों का उपयोग करते हैं परंतु उनसे किसी पोषण को प्राप्त नहीं करते हैं। वे ऑर्किड को फिर से स्थापित करने के लिए प्रोजेक्ट मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से केरल की पश्चिमी जंगलों में अध्ययन कर रही है।
प्रकृति को बचाने के लिए इन महिलाओं का कार्य देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक प्रेरणा है। पर्यावरण को स्वच्छ रखना सभी देशवासियों का कर्तव्य है।