कोरोनकाल में अधिक लोगों की नौकरी जा चुकी है। जिसकी नौकरी बची है वे उसे बचाने में लगे है। कुछ लोग नौकरी जाने के बाद कृषि कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग अपनी नौकरी छोड़ कर कृषि कार्य में लगे हैं।
हम बात कर रहें हैं वाराणसी (Varanasi) के 3 पढ़े-लिखे युवा की। ये अपनी नौकरी छोड़ कर कृषि के जरिए आत्मनिर्भर भारत के सपनें को पूरा करने में जुटे हैं। इस वजह से वे तीनों चर्चा के विषय बने हुए हैं।
उत्तरप्रदेश (Uttarpradesh) के वाराणसी जिले के चिरईगावा ब्लॉक के अंतर्गत आनेवाला चौबेपुर क्षेत्र का गांव नारायणपुर तीन दोस्तों की वजह से बहुत चर्चित हो गया है। इन तीनों दोस्तो के नाम इस प्रकार हैं :- श्वेतांक, रोहित और मोहित। ये सभी मित्र नौकरी छोडक़र गांव वालों को सीप की खेती करने के गुण सीखा रहें हैं। सीप की खेती करने के साथ-साथ मधुमक्खी पालन और बकरी पालन का कार्य भी कर रहें हैं। श्वेतांक, मोहित और रोहित ने अपने घर के बाहर स्वयं एक तालाब का निर्माण कियें और उसी में सीप की खेती कर रहें हैं।
श्वेतांक (Swetaank) M.A और B.ed की उपाधि हासिल किये हैं लेकिन उन्हें हमेशा से सीप की खेती में लगाव था। वह हमेशा सीप की खेती करना चाहतें थे। सीप की खेती करने के किये उन्होंनें इंटरनेट से जानकारी हासिल करना शुरु किया। उसके बाद उन्होंने इसकी ट्रेनिंग भी ली। श्वेतांक बताते हैं कि यह पारंपरिक खेती से भिन्न है। यह सीप की खेती है। वे सीप की खेती एक कृषक उद्यम के सहायता से कर रहें हैं। श्वेतांक ने यह भी बताया कि सीप से मोती को निकालने में 3 गुना फायदा होता हैं और इससे काम में भाग लेने वालों की संख्या में प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही हैं।
श्वेतांक के दूसरे दोस्त मोहित आनन्द पाठक (Mohit Aanand Pathak) पारंपरिक खेती करने के बजाए कुछ अलग करने चाहते थे। उन्होंने BHU से B.A की डिग्री हासिल की है। मोहित अलग करने के ख्याल से दिल्ली गांधी दर्शन में प्रशिक्षण के लिये। दिल्ली गांधी दर्शन से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने मधुमक्खी पालन का कार्य शुरु किया। इसके लिये उन्होंने बनारस में खुद के काम की शुरुआत की। इतना ही नहीं वे बनारस के बाहर के किसानों की भी सहायता करतें हैं जो मधुमक्खी पालन करतें हैं। मोहित अब दूसरों को भी इस कार्य के लिये प्रशिक्षण देते हैं। मोहित द्वारा किया जाने वाला मधुमक्खी पालन से निकलने वाला शहद को खरीदने के लिये कई शहद बेचने वाली कम्पनियां और कई औषधालय वाले भी आते हैं।
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तीनों मित्रों में से एक रोहित आनंद पाठक (Rohit Aanand Pathak) भी है जिन्होंने रीजनल हेड की नौकरी छोड़कर अपने गांव वापस वाराणसी आ गयें। रोहित समिति कृषि उद्यम से जुड़े हुयें थे लेकिन अब अपने दोस्तों के साथ नई शुरुआत किए हैं। अलग-अलग कृषि कार्य कर रहें इन सभी दोस्तों का कहना है, “आने वाले समय में बहुत कुछ बदल रहा है। ऐसे में हम सभी खुद के लिये एयर दूसरे लोगों के लिये भी आमदनी का जरिया बना रहें हैं। इतना ही नहीं इससे लोगों को दूसरे अलग प्रकार के खेती करने के बारें में भी जानकारी दे रहें हैं।” तीनों दोस्त का इस साल 200 लोगों को इस मुहीम से जोड़ने का उद्देश्य हैं।
तीनों मित्रों द्वारा अपनाए गए खेती के नायाब तरीके को वीडियो में देखे
UP सरकार के कैबिनेट मंत्री और क्षेत्र के विधायक अनिल राजभर इन तीनों दोस्तों को उनके काम के लिये प्रोत्साहित करने के लिये उनके गांव गयें। वहां जाकर उन्होंने इसके तरीके के बारें में भी जानकारी हासिल की। इसके बारें में उन्होंने बताया कि ये युवा बहुत अच्छा काम कर रहें हैं। यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता कर रहें हैं।
The Logically तीनों दोस्तों को आत्मनिर्भर भारत बनाने में मदद करने और आने वाले समय में लोगों को रोजगार देने के लिये सराहना करता है।