जम्मू-कश्मीर को भारत का स्वर्ग कहा जाता है क्योंकि यहां खुबसूरती अद्भूत और अनुपम है। लेकिन यहां के अलग-अलग क्षेत्रों में अक्सर आतंकवादी घटनाएं देखने को मिलती है जिस वजह से वहां की जिंदगी थोड़ी अलग है। ऐसे में यदि किसी घर के बच्चे उस क्षेत्र से निकलकर जब कुछ बड़ा करते हैं तो वह सभी के लिए प्रेरणा का मिसाल बन जाता है। इस बार भी वहां के एक ही घर के तीन बच्चों ने जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक परीक्षा में सफलता हासिल करके इतिहास रच दिया है।
3 भाई-बहन ने एक साथ क्लियर किया JKAS की परीक्षा
हम बात कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के डोडा जिले के रहनेवाले 3 भाई-बहनों की जिन्होंने एक साथ 150 के अंदर रैंक लाकर JKAS की परीक्षा में सफलता पाई है। ऐसा कीर्तिमान रचने वाले तीनों भाई-बहनों का नाम है हुमा वानी, इफरा अंजुम वानी और सुहैल। प्रतियोगी परीक्षाएं काफी कठिन हो गई है इसके बावजूद भी इन सभी भाई-बहन ने अपनी मेहनत से इस परीक्षा को क्लियर किया है।
एक ही बुक से करते थे पढ़ाई
सबसे बड़ी बहन हुमा ने जहां Jammu-Kashmir Administrative Exam को दूसरे प्रयास में क्लियर किया है वहीं इफरा और सुहैल ने प्रथम प्रयास मे ही इस परीक्षा को क्लियर कर दिया है। इन सभी की सफलता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने बिना कोचिंग क्लासेज की सेल्फ स्टडी करके ऐसा कारनामा किया है। इतना ही नहीं उनके पास एक स्ब्जेक्त के बुक भी एक होती थी जिससे कभी-कभी उनमें पढ़ाई के लिए लड़ाईया भी हो जाती थी।
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बचपन से था JKAS परीक्षा पास करने का सपना
जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा (JKAS Exam) में सफलता पाने वाले इन सिब्लिंग्स का परिवार डोडा के भलेसा क्षेत्र के काही ट्रनखाल गांव का रहनेवाला है। बच्चों की शिक्षा अच्छी हो सके इसलिए उनका परिवार जम्मू में सेट हो गया। तीनों सिब्लिंग्स के पिता का नाम मुनीर अहमद वानी है और वह पेशे से मजदूरी कांट्रेक्टर हैं।
कितनी देर करते थे पढ़ाई?
अहमद वानी ने बताया कि, उनके ये तीनों बच्चों का शुरु से ही JKAS की परीक्षा पास करने का सपना था जिसे हकीकत में बदलने के लिए वे प्रतिदिन 12 घन्टे पढ़ाई करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि उनके बच्चों के पास अभी तक मोबाइल नहीं था। ऐसे में जब उन्हें काम होता था तो वे अपनी मां के फोन से इंटरनेट कनेक्ट करके लैपटॉप चलाते थे।
डिप्टी मेयर ने किया सम्मानित
इन तीनों भाई-बहनों की सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि ये अपने परिवार के पहले ऐसे हैं जिनकी सरकारी नौकरी होगी। उनकी इस अपार सफलता के लिए जम्मू के डिप्टी मेयर बलदेव सिंह (Jammu’ Deputy Mayor Baldev Singh) उन्हें ढेर सारी बधाई दी है साथ ही उन्हें सम्मानित भी किया है।
पिछड़े समाज को बढ़ाना चाहती हैं आगे
भाई सुहैल ने बताया कि वे शुरु से ही पुलिस सेवा में भर्ती होना चाहते थे क्योंकि वे मानते हैं कि पुलिस एक ऐसी नौकरी है जिसमे शक्ति और जिम्मेदारी दोनों है। जबकी दोनों बहनें प्रशासनिक सेवा में भर्ती होना चाहती थीं क्योंकि वे समाज में पिछड़े हुए लोगों की आगे बढ़ने के लिए सहायता करना चाहती हैं।
The Logically इन तीनों भाइयों को उनकी सफलता के लिए ढेर सारी बधाई देता है।