15 महीनों में विकराल रुप धारण कर चुका कोविड-19 आज केवल किसी एक देश के लिए नही बल्कि पूरे विश्व के लिए सबसे अधिक चर्चा का विषय बन चुका है। पूरे के पूरे परिवार कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। आलम यह है कि परिवार के बीमार सदस्यों की सेवा तो दूर उन्हे खाना बनाकर देने वाला तक कोई नही है। लेकिन, हमारे समाज में एक कहावत है कि – ‘सच्चे इंसान की परिभाषा ही यही है जो दूसरों के दुःख को अपना समझ कर हर कदम पर उनका साथ दे।‘
इसी का साकार उदाहरण हैं पटना स्थित राजेन्द्रनगर(Rajindra Nagar in Patna) की दो बहनें- अनुपमा और नीलिमा जो कोरोना संक्रमित परिवारों के लिए न केवल भोजन बना रही हैं बल्कि उनके घरों तक फ्री में खाना पहुंचाने का काम भी कर रही हैं।
पटना की बहनें खिला रही हैं कोरोना पेशेंट्स को खाना
बिहार की राजधानी पटना के राजेंद्रनगर में रहने वाली दो बहनें- 32 वर्षीय अनुपमा (Anupama) और 26 साल की नीलिमा सिंह(Neelima Singh) अपनी मां कुंदन देवी (Kundan Devi) के साथ मिलकर कोरोना पॉजटीव परिवारों के लिए खाना बनाने का काम कर रही हैं। आज जब कोरोना पूरे के पूरे परिवारों को अपनी चपेट में ले रहा है। ऐसे में इन दो बहनों का यह काम बेशक ही सराहनीय है।
स्कूटी पर फ्री में खाना पहुंचाती हैं नीलिमा
जहां एक ओर, अनुपमा मां कुंदन देवी के साथ मिलकर भोजन बनाती हैं। वहीं, UPSC की तैयारी कर रही छोटी बहन नीलिमा सिंह रोज़ाना तकरीबन 15 किमी तक स्कूटी चलाकर लोगों को फ्री में खाना पहुंचाने का काम करती हैं।
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आपबीती से मिली दोनों बहनों को प्रेरणा
कोरोना पॉज़िटीव परिवारों के लिए खाना बनाने और उनके तक पहुंचाने के बारे में अनुपमा कहती हैं- “कोरोना के इस भयानक दौर में लोगों का क्या हाल है ये केवल वहीं इंसान जान सकता है जो इस दौर से गुज़रा हो। होली के फौरन बाद मेरी मां और छोटी बहन नीलिमा भी कोरोना पॉज़िटीव हो गये थे। कोई खाना बनाकर देने वाला भी नही था, वाकई वो एक मुश्किलों भरा समय था। उसी समय हम दोनों बहनों ने यह प्रण किया कि जिस दौर से हम गुज़रे हैं उससे और कोई न गुज़रे, एक तो व्यक्ति बीमार हो फिर उसे पौष्टिक और समय पर भोजन भी नही मिले ये सही नही, इसलिए हमने यह कार्य शुरु किया है।“
दोनों बहनें हाईज़ीन और पौष्टिकता का पूरा ख्याल ध्यान रखती हैं
कोरोना पेशेंट्स के लिए खाना बनाते वक्त अनुपमा और उनकी मां इस बात का पूरा ध्यान रकती हैं कि खाना न केवल टेस्टी हो, बल्कि पौष्टिकता व सफाई से बनाया गया हो।
एक साल तक बिमारों को खाना पहुंचाने की है दोनों बहनों की योजना
डबल एमए. कर चुकी अनुपमा कहती हैं- “कि हमने इस बात पर विचार किया है कि अगले एक साल तक हमें किसी प्रकार का पारिवारिक उत्सव जैसे-शादी की सालगिरह, बच्चों के बर्थडे या अन्य कोई पर्व या त्यौहार में होने वाले अपने खर्चों को रोककर उससे बचे हुए पैसों से राजधानी पटना के कोरोना संक्रमित परिवारों के लिए, जहां कोई सदस्य भोजन पकाने वाला नही है ऐसे लोगों तक फ्री में खना पहुंचाएंगे।“
15 किमी, 15 घर तक विस्तृत हो गया है बहनों का यह कार्य
फिलहाल, यह दोनों बहन राजधानी पटना के 15 किलोमीटर के अंतराल पर कुल 15 घरों में खाना पहुंचा रही हैं। खाना में सब्जी चावल रोटी दाल को पैक कर छोटी बहन स्कूटी से उन घरों तक जाती हैं, जिनके घर में कोई भी व्यक्ति खाना बनाने योग्य इस वक्त नहीं है। सभी के सभी परिवार के सदस्य कोरोना संक्रमित हैं। एक तरफ जहां बड़ी बहन अनुपमा लोगों के लिए खाना बनाती हैं तो छोटी बहन नीलिमा घर का जरूरी सामान जैसे ग्रॉसरी आइटम खरीद कर लाना और 15 किलोमीटर दूर तक जाकर खाना पहुंचाने का कार्य कर रही हैं।