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भारत का अनोखा गांव: मिट्टी की कच्ची घरों में रहते हैं लोग, जमीन-जायदाद है भगवान के नाम

Unique Deomali Village of Ajme

भारत की आत्मा गांवों में बसती है जिसकी प्राकृतिक खुबसूरती देखकर कोई भी मोहित हो सकता है। इसके अलावा यहां मौजुद हर गाँव की अपनी एक अलग पहचान और विशेषता है जिसके बारें में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। उदहारण के लिए कुछ गावों अपनी शिक्षा और साफ-सफाई के लिए पहचाना जाता है तो वहीं कुछ गावों खेती-बाड़ी और अपने अजीबोग़रीब रीति-रिवाज के लिए मशहूर है।

यह कहानी भी भारत में बसे एक ऐसे गांव की है जहां आधुनिक युग में भी लोग मिट्टी के कच्चे मकान में रहते हैं और उस पूरे गांव में एक भी पक्के मकान नहीं है। इसके अलावा यहां शादी के लिए भी एक अलग नियम है जिसे पूरा गाँव मानता है। इस अनोखे गांव के बारें में जानने के बाद आप सभी के मन में यह ख्याल उठ रहा होगा कि आखिर गांववालें ऐसा क्यों करते हैं। तो चलिए जानते हैं इस अनोखे गांव के बारें में –

आज भी मिट्टी के कच्चे मकानों में रहते हैं इस गांव के लोग

हम बात कर रहे हैं राजस्थान (Rajasthan) के अजमेर जिले में स्थित देवमाली गांव (Deomali Village) की, जिसकी कहानी अपने-आप में बेहद खास है। वर्तमान समय में शहर के अलावा अब गाँवों में भी ईंट सीमेंट से बने पक्के मकानों में रहने लगे हैं लेकीन देवमाली गांव एक ऐसा गाँव है जहां के लोग आर्थिक रुप से मजबुत होने के बाद भी मिट्टी से बने कच्चे मकानों में रहते हैं।

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क्या है दुल्हें को घोड़ी पर नहीं बैठाने और पक्के मकान में न रहने के पीछे की वजह

मिट्टी के कच्चे घरों में रहने के अलावा इस गांव में शादी को लेकर भी अलग परम्पराएं हैं। जी हां, आमतौर शादी में दुल्हें को घोड़ी पर बैठाया जाता है लेकिन यहां ऐसा करना सख्त मना है। इस गांव के रहनेवाले ग्रामीणों का यह मानना है कि यदि शादी में दुल्हें को घोड़ी पर बैठाया जाता है तो गाँव में हादसे होने लगते हैं। इसी तरह यदि गांधी का कोई व्यक्ति पक्का मकान बना लेता है तो गांव में संकट आने लगता है। इतना ही नहीं कई पक्के मकान ढह भी चुके हैं।

गाँव के लोग नहीं करते हैं मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन

आजकल अधिकांश लोग शाकाहारी और मांसाहारी भोजन करते हैं। यहां तक कि डॉक्टर भी अब बीमारी के अनुसार लोगों को शाकाहारी और मांसाहारी खाने की सुझाव देते हैं। लेकिन देवमाली गांव के लोग मांसाहारी भोजन नहीं करते हैं। यहां स्थित हर घर के सदस्य सिर्फ शाकाहारी भोजन का ही सेवन करते हैं। इसके अलावा आजकल जहां शराब पीना लोगों का फैशन बनते जा रहा है वहीं इस गांव के लोग शराब पीना तो दूर उसे हाथ तक नहीं लगाते हैं।

एक भी घर में नहीं लगता है ताला

आप सब पुराने समय से चोरी, लूट-मार आदि के बारें में सुनते आ रहे हैं और आज भी आए दिन चोरी-डकैती की खबर सुनने को मिलती है। इसके विपरीत देवमाली गांव में पिछ्ले 50 वर्षों से एक बार भी चोरी की घटना सामने नहीं आई है और न ही ग्रामीणों की आपस में कभी कोई मतभेद हुई है। यही वजह है कि इस गांव मे मौजुद किसी भी घर में ताला नहीं लगाया जाता है।

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अपने आप को मानते हैं एक ही व्यक्ति की संतान

अजमेर में स्थित इस अनोखी देवमाली गांव में 300 घर स्थित है और सभी का गोत्र लावड़ा और जाति गुर्जर है। यहां के सभी गांववाली अपने आप को एक ही पूर्वज का वंशज मानते हैं। दरअसल, यह घटना लगभग 17वीं शताब्दी की है जब इस गांव के आदिपूर्वज नादाजी को भगवान देवनारायण जी ने दर्शन दिया था। उसी समय के बाद से नादाजी के वंश के लोग इस गांव में रहने लगे और यहीं बस गए। इय गांव में रहनेवाले अधिकांश पीढ़ी की बात करें तो वह नादाजी की 14वीं पीढ़ी हैं।

भगवान के नाम पर ग्रामवासियों की सभी जमीन

देवमाली गांव (Deomali Village) का प्रमुख मंदिर देवनारायण भगवान का है जिन्हें सभी ग्रामवासी भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं। इस मंदिर में ऐसा कहा जाता है देवनारायण भगवान ने इस मंदिर को स्वयं स्थापित किया था। इसके अलावा इस ग्रामवासी की सभी जमीन-जायदाद खुद के नाम पर नहीं बल्कि भगवान देवनारायण के नाम पर है।

मंदिर में नहीं की जाती है प्रतिमा की पुजा

देवनारायण मंदिर के बारें में आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में इश्वर की कोई प्रतिमा नहीं है। यहां पांच ईंटे रखी हुई हैं और उसी की पुजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा जहां कहीं भी देवनारायण भगवान की मंदिर का निर्माण किया जाता है वहां जागती जोत और पुजा के लिए इस्तेमाल में आनेवाली पांच ईंटों को देवमाली गांव (Deomali Village) से ही लेकर जाते हैं।

उम्मीद करते हैं भारत में स्थित इस अनोखे गांव के बारें में जानकर आपको अच्छा लगा होगा। ऐसे ही अन्य आर्टिकल्स पढ़ने के लिए The Logically के साथ जुड़े रहें।

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