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गांव के लोगों ने खुद के परिश्रम से खोदे तलाब, लगभग 6 गांवों की पानी की समस्या हुई खत्म

कुछ लोग कहते हैं कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा। पता नहीं इस बात में सच्चाई है या नहीं, पर एक बात सच है कि जिस तरह से दिन प्रतिदिन भूजल स्तर नीचे जा रहा है वह काफी चिंताजनक हैं। लेकिन खुशी की बात यह है कि अब कुछ लोग जागरूक हो रहे हैं और धीरे-धीरे जल संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं। कुछ इसी तरह से उत्तराखंड के उत्तराखंड जन मैत्री संगठन वर्षा जल को संरक्षित करने के साथ ही पर्यावरण बचाने का काम कर रहा है।

उत्तराखंड जनमैत्री संगठन( Uttarakhand janmatri organisation)

उत्तराखंड जनमैत्री संगठन कोई एनजीओ या पंजीकृत संस्था नहीं है। यह उत्तराखंड के गांव के लोगो का मिलकर बनाया गया एक संगठन है जो कि ग्राम विकास के लिए श्रमदान करते हैं। संगठन की शुरुआत 1992 में की गई थी। यह संगठन जल, जंगल और जमीन बचाने का काम करता है। इन सबके अलावा यह लोग पहाड़ो पर स्वच्छता अभियान चलाते हैं, पौधारोपण का काम करते हैं, वर्षा जल संरक्षण का काम करते हैं। यह संगठन सबसे पहले तो गांव के सभी लोगों से अपने अभियान पर चर्चा करता है। उसके बाद उन सभी से श्रमदान करने को कहता है। इस तरह से यह लोग मिलजुलकर अपने गांव की समस्याओं का समाधान स्वयं ही कर लेते हैं।

गांव के सभी लोग कुछ वक्त इस संगठन के काम में देते हैं

उत्तराखंड जन मैत्री संगठन के एक सदस्य बची सिंह बिष्ट बताते हैं कि इस संगठन की शुरुआत ग्रामोत्थान के लिए की गई है। इसमें सभी ग्रामीण अपने काम से थोड़ा वक्त निकाल कर इस संगठन के द्वारा किए जा रहे कार्यों में देते हैं। संगठन की शुरुआत की गई थी तभी यह सुनिश्चित कर दिया गया था कि ग्रामीण चाहे कोई भी हो, मजदूर हो या किसी भी तरह का कोई काम करता हो, वह पर्यावरण संरक्षण और गांव के विकास में किए जा रहे कार्यों में अपना वक्त देगा और पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद करेगा।

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नदियों के उद्गम स्थल पर ही पानी की किल्लत

यह तो हम सब जानते हैं कि उत्तराखंड बहुत सारी नदियों का उद्गम स्थल है। लेकिन ताज्जुब तब होता है जब यही उत्तराखंड पानी की किल्लत से जूझ रहा हो। यह सच्चाई है कि आज नदियों का आकार घटा है और वहां के लोगों को भी पानी की किल्लत हो रही हैं उन लोगों को अपने खेतों तक पानी लाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उत्तराखंड के गांव फल पट्टी में आते हैं। यहां पर सेब आदि फलों के काफी पेड़ हैं पर पिछले कुछ सालों से पानी की कमी के कारण फसल अच्छी नहीं हो पा रही थी जिससे किसान काफी परेशान थे। इससे महिलाओं को भी परेशानी हो रही थी क्योंकि उन्हें पानी लाने के लिए काफी दूरदराज के इलाकों में जाना पड़ रहा था। पर उत्तराखंड जनमैत्री संगठन के कारण आज नैनीताल के रामगढ़ ब्लॉक में पानी की समस्या को काफी हद तक कंट्रोल कर लिया गया है।

गांधी के विचारों से प्रभावित है संगठन

बची सिंह बिष्ट बताते हैं कि यह संगठन को गांधी जी की ग्राम उत्थान के विचारों से प्रभावित होकर बनाया गया है। इसमें पर्यावरण और जल संरक्षण के अलावा महिला सशक्तिकरण, अवैध कब्जों को रोकना जैसे विषयों पर भी काम किया जाता है।

सामाजिक संस्था सेवा निधि के साथ मिलकर कर रहे हैं काम

बची सिंह बिष्ट बताते हैं कि 2015 में उन लोगों का संपर्क एक सामाजिक संस्था सेवा निधि( Sewa Nidhi organisation) से हुआ था। संस्था ने उत्तराखंड के सूपी के पास पाटा गांव को जलवायु परिवर्तन के अध्ययन के लिए चुना था। इनलोगो ने सभी से चर्चा की थी कि कैसे जलवायु के कारण हम सब की जिंदगी प्रभावित हो रही है। उत्तराखंड जनमैत्री संगठन ने गांव की पानी की किल्लत समाप्त करने के लिए सेवा निधि संस्था के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया।

कृत्रिम तालाब बनाकर वर्षा जल संरक्षित किया

सभी लोगो ने मिल कर ऐसे उपाय खोजे जिससे बारिश के पानी को संरक्षित किया जा सके। संगठन के लोगो ने इसके लिए कृत्रिम तालाब बनाने का फैसला किया। इसकी शुरुआत पाटा गांव से ही कि गई। लोगो के घरों के आस-पास गड्ढे बनाये गए फिर उसमें प्लास्टिक बिछाई गई। घरों की छत से पाइप लगा कर इन गड्ढो में बारिश का पानी इकट्ठा किया जाता हैं। जब एक तालाब भर जाता है तब इससे पाइप लगा कर दूसरे तालाब को भरा जाता हैं।
एक तालाब की क्षमता 10 से 12 हज़ार लीटर पानी इकट्ठा करने की है। अब तक 312 तालाब बनाए जा चुके हैं और ग्रामीण इससे 75 लाख लीटर पानी बचा चुके हैं। पाटा गांव में 90 घर है और हर एक घर का एक तालाब बनाया गया है यानी कि 90 घर वाले इस गांव में 90 तालाब बनाए गए हैं।

महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका

बची सिंह बिष्ट बताते हैं कि इन सारे अभियान में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जिससे गांव की महिलाओं के प्रति सम्मान बढ़ा है। जल संरक्षण हो, जमीन संरक्षण हो या पौधारोपण हो या स्वच्छता अभियान इन सब में महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं और अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाती हैं।

नदियों को संरक्षित करने का कार्य कर रहे हैं

अब यह संगठन जिन नदियों का उद्गम स्थल उनके इलाके में आता है, उन सभी को संरक्षित करने का कार्य कर रहा है। इसके अलावा इनके सफल वर्षा संरक्षण का मॉडल देख बाकी गांव भी अब इन लोगों से जल संरक्षण के लिए संपर्क कर रहे हैं। कृत्रिम तालाब बनाए जाने से अब फसलों को पानी मिल पा रहा है जिससे फसल अच्छी हो रही है और किसानों को इससे मुनाफा हो रहा है।

अब इस संगठन का जोर लोगों को जैविक खेती के प्रति जागरूक करने पर है। उत्तराखंड जनमैत्री संगठन( Uttarakhand janmaitri organisation) हमें बताता है कि कैसे अगर सभी मिलकर काम करें तो हर काम सफल बनाया जा सकता है। श्रमदान एक ताकत है जिससे हर परेशानी का हल निकाला जा सकता है।

अगर आप जन मैत्री संगठन के सदस्य बची सिंह बिष्ट से संपर्क करना चाहते है तो 8958381627 पर बात कर सकते हैं।

मृणालिनी बिहार के छपरा की रहने वाली हैं। अपने पढाई के साथ-साथ मृणालिनी समाजिक मुद्दों से सरोकार रखती हैं और उनके बारे में अनेकों माध्यम से अपने विचार रखने की कोशिश करती हैं। अपने लेखनी के माध्यम से यह युवा लेखिका, समाजिक परिवेश में सकारात्मक भाव लाने की कोशिश करती हैं।

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