भारत में किसान को भगवान या अन्नदाता का दर्जा दिया जाता है। फिर भी हमनें किसानों को आर्थिक तंगी के दौर से गुजरते और भुखमरी में जीते देखा है। किसानों ने इतना संघर्ष किया है कि वे अपने बच्चों को किसान नहीं बनाना चाहते। पर समय थोड़ा बदल गया है, अब पढ़े लिखे लोगों का भी खेती की तरफ़ रुझान बढ़ रहा है।
यह कहानी भी एक ऐसे शक्स की है जो एमबीए छोड़कर खेती कर रहा है। नाम है, वैभव पांडेय (Vaibhav Pandey). वैभव उरई (Orai) उत्तर प्रदेश के आटा (Ata) गांव के रहने वाले हैं। इन्होंने एमबीए में एडमिशन लिया था। चाहते थे कि डिग्री लेने के बाद खेती करेंगे लेकिन खेती (Farming) को प्राथमिकता दी और एमबीए छोड़ दिया।
मां हुई भावुक और पिता का सहयोग मिला
वैभव के पिता देवेंद्र पांडेय (Devendra pandey) और मां भावना पांडेय है। The Logically से बात करते हुए वैभव बताते हैं कि 90 के दशक में पिता जी ख़ुद खेती करते थे। फिर उन्होंने कंस्ट्रक्शन का बिजनेस शुरू किया और 80 बीघा ज़मीन बंटाई पर दे दिए। कॉलेज ड्रॉपआउट पर माता-पिता के प्रतिक्रिया के बारे में वैभव कहते हैं, “पापा का प्रेशर नहीं रहता। उन्होंने कहा कि डिग्री लेकर क्या करना, नॉलेज होनी चाहिए। वापस आ गए हो तो करो खेती लेकिन मां को लगा क्यों आ गया, क्या कर रहा, अच्छी खासी जॉब करता… पर अब खुश हैं।”
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लॉकडाउन में सोचने और निर्णय लेने का समय मिला
वैभव ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई उरई से और इंटरमीडिएट Dr. Virendra Swaroop Memorial Public School, कानपुर से की है। ग्रेजुएशन बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से और 2020 में वैभव ने एमबीए करने के लिए पीआईबीएम (Pune Institute of Business Management, Pune) में दाखिला लिया। उसी साल लॉकडाउन लग गया और वैभव को सोचने का समय मिल गया।
दंतेवाड़ा मटर की खेती शुरू की
The Logically से बात करते हुए वैभव (Vaibhav Pandey) कहते हैं, “ख्याल आया, लॉकडाउन में कुछ तो करते हैं। मैं एमबीए के बाद खेती करना चाहता था। फिर लगा, अल्टीमेटली खेती ही करना है तो दो साल वेस्ट क्यों करना। बुंदेलखंड में मटर अच्छा होता है और दो-तीन साल पहले यहां मटर की नई फ़सल आई थी, दंतेवाड़ा (IPFD 10-12). रिटर्न भी अच्छा आया था। मैंने सीजन देखा, खेत अक्टूबर में खाली हो रहा था। दंतेवाड़ा न्यू वैरायटी थी। मार्केट में इसकी मांग ज्यादा थी और मुनाफा भी अच्छा था। दूसरे किसानों से मिला, उनसे बात की और 20 बीघा ज़मीन में ग्रीन और पिंक मटर की खेती की।
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धीरे धीरे फ़सल और खेती की ज़मीन बढ़ा रहे ताकि अच्छी पकड़ बना सके
दंतेवाड़ा मटर (IPFD 10-12) का इस्तेमाल नमकीन बनाने में होता है। यह मटर सूखने के बाद भी हरी रहती है। इसलिए मार्केट अच्छा है। दिल्ली मुंबई से भी व्यापारी बुंदेलखंड से यह मटर ले जाते हैं। वैभव ने अक्टूबर 2020 में फ़सल लगाया था और फरवरी 2021 में उसकी कटाई हुई। निवेश 2 लाख का था और फ़ायदा 8-10 लाख का हुआ। अक्टूबर 2021 में वैभव ने 40 बीघे में फ़सल लगाई और मुनाफा भी 20 लाख तक होने की उम्मीद है। इस साल वैभव 60 बीघा में खेती करेंगे। साथ ही ऑर्गेनिक खेती की भी योजना बना रहे।
भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। आंकड़ों के मुताबिक भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा युवा आबादी वाला देश है। यह युवा वर्ग भी अब खेती कर रहा है। The Logically युवा किसान वैभव पांडेय (Vaibhav Pandey) के फ़ैसले की प्रशंसा और भविष्य में उनके सफ़लता की कामना करता है।
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