आज कई युवा ऐसे हैं जो उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी खेती या फिर मवेशी पालन को अपने आय का स्रोत बना रहे हैं। इसके अतिरिक्त वह इसलिए भी इस क्षेत्र से जुड़ रहे हैं ताकि वह खुद के दम पर स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर सकें। आज की हमारी यह कहानी एक ऐसी युवती की है जिन्होंने उच्च शिक्षा हासिल करने के उपरांत कोई जॉब नहीं किया बल्कि मवेशीपालन करने का निश्चय और इसमें सफलता हासिल की। वह अपने डेयरी फार्म से प्रत्येक माह 10 लाख रुपए कमा रही हैं। साथ उन्होंने गार्डेनिंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग को भी अपनाया है।
अगर आप भी मवेशीपालन का व्यवसाय प्रारम्भ करना चाहते हैं तो हमारे साथ बने रहें। इस लेख में आप ये जानकारी लेंगे कि किस तरह आप गोपालन का व्यवसाय प्रारम्भ करें और इसमें सफलता हासिल करें।
वह युवती हैं वैश्वी जिनके पास ना तो खुद की जमीन थी ना कोई गो पालन से नाता था। परन्तु उन्होंने अपना नाम बनाने के लिए गो पालन का रास्ता चुना और इसमें अलग पहचान बनाई। उनका लक्ष्य ये था कि वह एक गोल्फर बनें जिसके लिए उन्होंने 8 वर्ष की उम्र से ही गोल खेलना प्रारम्भ किया। 16 वर्ष की उम्र तक उन्होंने बहुत से टूर्नामेंट खेलें और गोल्फ के कारण उन्होंने विदेश का भी दौरा किया।
आगे जब वह इंडिया आईं तो उनका लक्ष्य बदल गया और उन्होंने ये तय किया कि वह देश के किसानों के लिए कुछ करेंगी। आगे अब उनका मिशन यही है कि वह किसानों से जुड़ें और उनकी आमदनी बढ़ा सकें और उन्हें ये रास्ता दिखा सकें कि खेती या डेयरी फार्म से लाखों रुपए कमाया जा सकता है। इसके लिए कुछ निम्न बिन्दुओं पर नजर डालकर और कुछ महत्वपूर्ण बातों को अपनाकर इसमें सफलता हासिल की जा सकती है।
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सम्पन्न करने के बाद इकोनॉमिक्स से बैचलर डिग्री प्राप्त की। उनका खेती या फिर गो पालन से कोई बैगराउंड नहीं है। वह बताती हैं कि अगर कोई गो पालन करना है तो वह इसमें सफल हो सकता है क्योंकि अब लोगों को ये रियलाइज हो चुका है कि हम जिन चीजों का सेवन कर रहे हैं या फिर हम जहां रह रहे हैं, वह दूषित हो चुका है इसलिए ये आवश्यक है कि जैविक तरीकों को अपनाकर कोई कार्य किया जाए। इसलिए लोग ये सोंच रहे हैं कि हमारे पूर्वज जो करते थे हम उसे हीं अपनाएं। इसके समक्ष एक वीडियो भी शेयर करेंगें जिससे आप को समझने में आसानी होगी
वह बताती हैं कि हम भी यहां इसी कार्य को कर रहे हैं। हम देशी गायों के नश्ल सुधार का काम कर रहे हैं। इसी से से हम खेती-बाड़ी को जोड़ रहे हैं और फिर से नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। जिस तरह हमारे पूर्वज खेती में बहुत उत्पादन हेतु गाय के गोबर का उपयोग करते थे जो पूरी तरह शुद्ध हुआ करती थी जिससे उन्हें कोई बीमारी भी नहीं होती थी और वह लंबे समय तक जीवित भी रहते थे।
- रेतीली जमीन को बनाया हरा-भरा
अपने फार्म के विषय में वह बताती हैं कि वह अपने गोपालन से निकलने वाले अपशिष्ट का उपयोग खेतों में फर्टिलाइजर के लिए करेंगी ताकि खेती पूरी तरह ऑर्गेनिक पद्धति से की जाए। उन्होंने जहां फार्मिंग की है वह जमीन 4 वर्ष पूर्व रेतीली थी फिर उन्होंने यहां फार्मिंग स्टार्ट किया और इसमें जान डाल दी। वह लोगों को ये बताना चाहती हैं कि आखिर गाय के गोबर में कितनी ताकत है कि वह रेतीली जमीन को भी उपयोगी बना सकती है।
- किसानों के प्रोडक्ट को करती हैं प्रमोट
वह किसानों से जुड़कर उनका प्रोडक्ट प्रमोट करती हैं। उनके क्लाईंट मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड यूपी आदि शहरों में हैं। वह उनका शहद लेकर उसे ब्रांड करके बेचती हैं। उनका कहना है कि किसान हमसे जुड़ सकते हैं ताकि हम उनका ऑर्गेनिक खेती में सपोर्ट कर सकें। वह चाहती हैं कि किसान रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती की तरफ रुख मोड़ें और स्वयं को स्वस्थ्य रखें साथ ही अपने वातावरण को भी शुद्ध बनाएं।
- होता है 350 लीटर दूध का उत्पादन
उनके फार्म में आपको 100 गायें मिलेंगी जिसके 150 बच्चे भी हैं। वहीं उनका मिल्क एवरेज दिन का 300-350 लीटर तक आता है, क्योंकि यहां मिल्किंग गायें कम हैं। पहले तो मिल्क की सेलिंग होती है और जो बच जाता है उससे घी आदि अन्य प्रोडक्ट बनते हैं। उनके फार्म में आपको सिर्फ खेती या गोपालन ही दिखाई नहीं देगा बल्कि आप यहां गार्डेनिंग भी देख सकते हैं। यहां आम के पौधों की 10 वरायटी, लीची, आंवला, निम्बू तथा सहजन आदि हैं। उनका ये उद्देश्य है कि ज्यादा-से-ज्यादा लोग इससे जुड़ें और आगे इसे फैलाएं।
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- बिकता है 150 रुपए लीटर दूध
उन्होंने इसे प्रारम्भ करने से पूर्व काफी रिसर्च किया और विभिन्न जगहों का दौरा भी किया। उन्होंने 2.50 वर्ष इसी में गुजार दिया कि इसे कैसे करें और किस तरह आगे बढ़ाएं। शुरुआती दौर में उन्होंने मात्र 10 गायों से अपना कार्य प्रारंभ किया। उनके दूध जो ब्लक में जाते हैं उसका मूल्य 65 रुपए लीटर तथा ग्राहकों देने वाला दूध का मूल्य 150 रुपए लीटर है। उनका 50% दूध रिटेल तथा 50% दूध रिटेल में जाता है।
- घी की अधिक डिमांड
वह अपने कस्टमर्स को 3 तरह की घी देती हैं एक देशी गाय मिक्स का घी है। दूसरी राठी गाय का और गीर गाय का घी। अभी वह शाहीवाल गाय के घी को इंट्रोड्यूज कर रही हैं। देशी गाय के 500 ग्राम घी का मूल्य 950 रुपए, राठी गाय का 1250 और गीर गाय जा 1450 है। उनके फार्म में हर कार्य मैनुअली किया जाता है कोई भी कार्य मशीनों द्वारा नहीं होता।
- 12 लोग करते हैं गायों की देखभाल
वह गायों की रख रखाव तथा हर चीज पर हमेशा सर्च करती रहती हैं। अगर गायें बीमार हो तो इन्हें ठीक करने के लिए नैचुरल तरीका ही अपनाया जाता है। वह अपने गायों के लिए हर चीज स्वयं हीं तैयार करती हैं बाहर से कोई भी चीज नहीं खरीदतीं। गायों के देखभाल के लिए उन्होंने यहां 2 डॉक्टर्स भी रखे हुए हैं। यहां गायों को सम्भालने के लिए 10-12 लोग रहते हैं। वही एग्रीकल्चर पार्ट को 4 लोग मिलकर सम्भालते हैं।
- आप भी ले सकते हैं यहां जाकर ट्रेनिंग
इसके अतिरिक्त कस्टमर्स या अकाउंट के कार्य के लिए ऑफिस में 5-6 लोग हैं। उनका ये मानना है कि आप अगर गाय खरीद रहें हैं तो मिल्किंग गाय ही खरीदें। उनके फार्म में आपको गाय की 6 प्रजातियां मिलेंगी। आगे इसमें और 3 प्रजातियां जोड़ने का उद्देश्य है। उन्होंने गायों के ब्रीडिंग के लिए बुल भी रखे हुए हैं। अगर कोई किसान उनसे खेती या गोपालन सीखना चाहें तो वह यहां आकर ट्रेनिंग ले सकता है। हालांकि कोविड के कारण इसका अलाउंसमेन्ट नहीं हुआ था लेकिन बहुत जल्द इसकी भी जानकारी दे दी जाएगी।